*कर्पूरगौरं करुणावतारं*
*संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।*
*सदा वसन्तं हृदयारविन्दे*
*भवं भवानीसहितं नमामि।।*
*जो कर्पूर जैसे गौर वर्ण वाले हैं, करुणा के अवतार हैं, संसार के सार हैं और भुजंगों का हार धारण करते हैं, वे भगवान शिव माता भवानी सहित मेरे ह्रदय में सदैव निवास करें और उन्हें मेरा नमन है।
देहरादून, मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय रक्षा मंत्री से गोरखा मिलिट्री इण्टर मीडिएट कॉलेज के भवन एवं भूमि को पुनः लीज पर दिये जाने का किया अनुरोध
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने केन्द्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह से देहरादून केन्ट स्थित गोरखा मिलिट्री इण्टरमीडिएट कॉलेज के भवन एवं भूमि को न्यूनतम दरों पर पुनः लीज पर दिये जाने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि वर्ष 1927 से रक्षा विभाग भारत सरकार से लीज पर 3.542 एकड़ की भूमि पर गोरखा मिलिट्री इण्टरमीडिएट कॉलेज संचालित किया जा रहा है जिसमें कक्षा 06 से कक्षा 12 तक कक्षाएं संचालित हो रही हैं। इस विद्यालय में सैनिकों, पूर्व सैनिकों, अल्पवेतन भोगी कर्मचारियों के बच्चों को नाम मात्र के शिक्षण शुल्क पर शिक्षा ग्रहण कराई जा रही है तथा कक्षा 6 से कक्षा 9 तक के विद्यार्थियों को निःशुल्क शिक्षा एवं पाठ्य पुस्तकें भी प्रदान की जा रही है।
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मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय रक्षा मंत्री को यह भी अवगत कराया है कि इस सम्बन्ध में विद्यालय के प्रबन्धक ने उनसे भेंट कर बताया कि विद्यालय को रक्षा विभाग द्वारा लीज पर दी गई भूमि अवधि बढ़ाये जाने के क्रम में रक्षा सम्पदा अधिकारी, मेरठ द्वारा भारत सरकार द्वारा पुनः पट्टा सृजन के पश्चात निर्धारित दरों पर भाड़ा जमा करने का उल्लेख करते हुए उक्त विद्यालय भूमि की लीज अवधि बढ़ाने पर निर्णय नहीं लिया गया है तथा विद्यालय भवन एवं भूमि को खाली करने हेतु विद्यालय प्रबन्धन को नोटिस दे दिया गया है। चूंकि विद्यालय द्वारा न्यून शिक्षण शुल्क पर छात्र-छात्राओं को शिक्षा ग्रहण कराई जाती है तथा विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों के वेतन का भुगतान राज्य सरकार से प्राप्त होने वाले अनुदान से किया जा रहा है तथा विद्यालय प्रबन्ध समिति के पास आय के अत्यन्त सीमित संसाधन हैं जिस कारण बढ़ी हुई दरों में लीज की धनराशि का भुगतान करने में प्रबन्ध समिति असमर्थ है।
मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय रक्षा मंत्री से विद्यार्थियों के हित को ध्यान में रखते हुए देहरादून स्थित गोरखा मिलिट्री इण्टरमीडिएट कॉलेज के भवन एवं भूमि को न्यूनतम दरों पर पुनः लीज में दिये जाने हेतु सम्बन्धित अधिकारियों को निर्देशित करने का अनुरोध किया है।
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पिथौरागढ़ में दैवी आपदा के कारण हुई जनहानि पर मुख्यमंत्री ने किया शोक व्यक्त
घटना को बताया दुःखद, राहत कार्य युद्ध स्तर पर चलाये जाने के दिये हैं निर्देश।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने जनपद पिथौरागढ की तहसील बंगापानी के अंतर्गत कई गांवों में भारी वर्षा, भूस्खलन एवं भू कटाव के हुई जनहानि पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। उन्होंने जिलाधिकारी पिथौरागढ़ को निर्देश दिए हैं कि राहत और बचाव कार्य में किसी तरह की कोताही न बरती जाए। इस घटना की जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी पिथौरागढ़ को आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं बचाव कार्यों के लिए प्रभावित क्षेत्र में तुरंत एसडीआरएफ की एक टीम और भेजे जाने के निर्देश दिए। प्रभावितों को तत्काल अनुमन्य राहत राशि उपलब्ध कराने के साथ ही साथ ही जरूरी सुविधाएं भी मुहैया कराने के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिए हैं। जो लोग अभी तक लापता हैं, उनकी खोज के लिए तत्काल युद्ध स्तर पर खोज अभियान शुरू किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा की दृष्टि से राज्य के लिये यह समय हर वक्त सतर्क रहने का है। सभी जिलाधिकारी इस प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं के प्रति सतर्कता के साथ हर समय सचेत रहें। जिलों में आपदा प्रबंधन तंत्र को और अधिक प्रभावी बनाया जाए। आपदा के दौरान राहत एवं बचाव कार्य अविलम्ब आरम्भ हो जाए, यह सुनिश्चित किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि राहत एवं बचाव कार्यों हेतु त्वरित सहायता आदि के लिये जिलाधिकारियों को धनराशि उपलब्ध करायी गयी है। आपदा पीड़ितों की हर संभव मदद के लिये धनराशि की कमी नहीं होने दी जायेगी। उन्होंने कहा कि सतर्कता के साथ ही हम आपदा के नुकसान को कम कर सकते हैं।
उन्होंने जिलाधिकारियों को मौसम के पूर्वानुमान की जानकारी आम जानता को नियमित रूप से अवगत कराने तथा संवेदनशील स्थलों, गांवों एवं भवनों आदि की स्थिति का आंकलन भी नियमित रूप से किये जाने के निर्देश दिये हैं। मुख्यमंत्री ने कुमाऊँ एवं गढ़वाल आयुक्तों को भी इस प्रकार की घटनाओं के प्रति सजगता के साथ त्वरित कार्यवाही करने को कहा है। मुख्यमंत्री ने सचिव आपदा प्रबंधन एवं आई.जी. एसडीआरएफ को भी निरन्तर जिलाधिकारियों के सम्पर्क में रहने तथा उनकी समस्याओं का त्वरित समाधान के भी निर्देश दिये हैं।
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उत्तराखंड के सिंचाई, पर्यटन, एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने की केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से मुलाकात
उत्तराखंड के सिंचाई, पर्यटन, एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने सोमवार को नई दिल्ली में केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से भेंट की। उन्होंने उत्तराखंड के लिए स्वीकृत सिंचाई योजनाओं के लिए धनराशि स्वीकृत करने का केन्द्रीय मंत्री शेखावत से अनुरोध किया। सतपाल महाराज ने बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम एवं त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम के माध्यम से केंद्र सरकार से राज्य को मिलने वाली सहायता के लिए केन्द्रीय मंत्री का आभार भी व्यक्त किया।
पर्यटन एवं सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से उत्तराखण्ड को बाढ़ प्रबन्धन कार्यक्रम एफ0एम0पी0 की 12 योजनाओं के लिए 29.52 करोड,़ एआईबीपी की 32 योजनाओं के लिए 77.41 करोड़ दोनों योजनाओं की कुल राशि 106.93 करोड़ की धनराशि प्रदान करने का अनुरोध किया।
महाराज ने राज्य सरकार द्वारा प्रेषित नई योजनाओं में बाढ़ प्रबन्धन कार्यक्रम एफएमपी की 59 योजनाओं के लिए 1582.89 करोड़ एवं जल संचयन व संवर्द्धन बैराज/जलाशय/झील निर्माण निर्माण की 14 योजनाओं के लिए 2170.70 करोड़ दोनों की कुल राशि 3753.59 करोड़ की धनराशि स्वीकृत करने का भी अनुरोध किया।
उन्होंने केन्द्रीय मंत्री से लघु सिंचाई विभाग के लिए प्रस्तावित नई योजना प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना हर खेत को पानी की 422 योजनाओं के लिए 349.39 व पी0एम0के0एस0वाई भूजल की 4 योजना के लिए 16.44 करोड़ दोनों योजनाओं के लिए कुल 365.83 करोड़ रूपये स्वीकृत करने का अनुरोध किया।
सतपाल महाराज ने कहा कि गजेन्द्र सिंह शेखावत मंत्री, जल शक्ति मंत्रालय ने सभी प्रस्तावित योजनाओं के लिए धनराशि स्वीकृत करने का आश्वासन दिया है।
पर्यटन एवं सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने केंद्रीय जल मंत्री को अवगत कराया कि उत्तराखण्ड राज्य देवभूमि होने के साथ-साथ अति महत्वपूर्ण नदियों गंगा एवं यमुना का उद्गम स्थल भी है, परन्तु इसके अधिकांश भू-भाग की प्रकृति पर्वतीय है एवं इसे प्रतिवर्ष विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं यथा बाढ़, अतिवृष्टि, बादल फटना आदि से जूझना पड़ता है। राज्य सरकार अपने अति सीमित संसाधनों से बाढ़ सुरक्षा एवं प्रबंधन कार्य कराने का भरसक प्रयास करती है। उन्होने बाढ़ प्रबन्धन कार्यक्रम एवं त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम के माध्यम से राज्य सरकार की सहायता के लिये भारत सरकार का आभार भी व्यक्त किया, उन्होंने कहा कि प्रदेश के हर खेत को पानी मिले इसके लिए राज्य सरकार निरंतर प्रयासरत है।
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मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पन्तनगर को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा वर्ष 2019 में उत्कृष्ट विश्वविद्यालय घोषित किये जाने पर बधाई दी है। विश्वविद्यालय को इसके लिए 10 लाख का नकद पुरस्कार भी प्रदान किया गया है। मुख्यमंत्री ने इस पर भी प्रसन्नता व्यक्त की है कि पिछले 15 सालों के बाद विश्वविद्यालय को यह सम्मान प्राप्त हुआ है इससे विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा भी पुनः स्थापित हुई है। मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की कि कृषि विकास एवं अनुसंधान के क्षेत्र में यह विश्व विद्यालय देश व दुनिया में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने में भविष्य में भी निरंतर सफलता प्राप्त करेगा।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि पंत नगर कृषि विश्वविद्यालय ने कृषि के आधुनिकीकरण एवं देश में कृषि क्रांति लाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। विश्वविद्यालय ने बीज उत्पादन, कृषि के विभिन्न क्षेत्रों, प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण, संवर्धन, जल संरक्षण, जैविक व संरक्षित खेती, पशुपालन आदि के क्षेत्र में शोध को भी बढ़ावा दिया है। विश्वविद्यालय द्वारा पर्वतीय फसलों के संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में भी महत्वपूर्ण सहयोग दिया जा रहा है। उन्होंने विश्व विद्यालय को मिले इस सम्मान के लिये विश्व विद्यालय के वाइस चांसलर डॉ. तेज प्रताप को भी बधाई दी है।
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मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा प्रारंभ की गई “कृषि अवसंरचना निधि के तहत वित्तीय सुविधा“ योजना से कृषि क्षेत्र में बङे सुधार लाने में सहायक होगी। इससे कृषि उद्यमियों, कृषि साख समितियों, विपणन सहकारी समितियों, इससे जुड़े स्टार्टअप को कम ब्याज पर ऋण और क्रेडिट गारंटी लाभ मिलने से प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से किसानों को फायदा मिलेगा। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
गौरतलब है कि भारत सरकार द्वारा ‘‘कृषि अवसंरचना निधि के तहत वित्तीय सुविधा’’ नामक केन्द्रीय क्षेत्र की एक नई अखिल भारतीय योजना शुरू की गई है। इस योजना के अंतर्गत ब्याज में छूट और वित्तीय सहायता के जरिये, फसलोपरांत प्रबंधन से संबंधित अवसंरचना तथा सामुदायिक कृषि-परिसम्पत्तियों की व्यावहारिक योजनाओं में निवेश के लिए मध्यम और लम्बी अवधि की ऋण-सुविधा के रूप में वित्त-पोषण किया जाएगा।
यह जानकारी केन्द्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर द्वारा मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को प्रेषित पत्र में दी गई है, उन्होंने कहा है कि प्राथमिक कृषि साख समितियों (पैक्स), विपणन सहकारी समितियों, कृषि उद्यमियों, स्टार्ट-अप और सार्वजनिक – निजी भागीदारी परियोजनाओं इत्यादि को बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा 1 लाख करोड़ रूपये की वित्त पोषण सुविधा प्रदान की जाएगी, इस योजना के तहत वर्तमान वर्ष में 10,000 करोड़ रूपये और अगले तीन वित्तीय वर्षों के दौरान 30,000 करोड़ रूपये के ऋण प्रतिवर्ष वितरित किए जाएंगे।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि इसमें वित्तीयन सुविधा के अंतर्गत 2 करोड़ रूपये तक के सभी ऋणों पर 3 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज छूट प्रदान की जाएगी और 2 करोड़ रूपये तक के ऋणों के मामले में ‘सूक्ष्म एवं लघु उद्यम क्रेडिट गारण्टी फण्ड ट्रस्ट’ के तहत पात्र ऋण-ग्रहीताओं के लिए क्रेडिट गारण्टी कवरेज भी उपलब्ध होगा। इस कवरेज के लिए शुल्क का भुगतान सरकार द्वारा किया जाएगा। एफपीओ के मामले में कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग की एफपीओ संवर्धन योजना के तहत दी गई सुविधा से क्रेडिट गारंटी लाभ उठाया जा सकता है। इस वित्तपोषण सुविधा के तहत ऋणों की अदायगी के लिए अधिस्थगन अवधि न्यूनतम 6 महीने और अधिकतम 2 वर्ष होगी।
केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री ने अवगत कराया है कि कृषि अवसरंचना निधि का प्रबंधन तथा निगरानी ऑनलाइन एमआईएस प्लेटफॉर्म के माध्यम से की जाएगी। रियल टाइम निगरानी और प्रभावी फीड-बैक सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर निगरानी समितियों की स्थापना की जाएगी। योजना की अवधि वित्तीय वर्ष 2020 से 2029 (10 वर्ष) तक होगी।
केन्द्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र से योजना के प्रभावी एवं सफल कार्यान्वयन में सहयोग की अपेक्षा करते हुए योजना की प्रगति से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग के साथ साझा करने की भी अपेक्षा की है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने इस योजना को उत्तराखण्ड के व्यापक हित में बताया है, उन्होंने उत्तराखण्ड में इस योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये संबंधित अधिकारियों को प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिये।
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राज्यपाल श्रीमती बेबी रानी मौर्य ने उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जनपद की तहसील बंगापानी में अतिवृष्टि एवं भूकटाव के कारण हुई जन हानि पर गहरा दुःख व्यक्त किया है।
राज्यपाल ने दुर्घटना में मृतकों की आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हुए शोक संतप्त परिजनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से कामना की है। राज्यपाल ने घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना भी की है।
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राज्यपाल श्रीमती बेबी रानी मौर्य ने कहा कि कोविड-19 के प्रभाव के कारण शहरों से अपने गांवों व कस्बों में लौटे मानव संसाधन का सदुपयोग ग्रामीण व स्थानीय स्तर पर किया जाना चाहिये। युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिये । राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन को ध्यान में रखते हुये कृषि एवं औद्यानिकी से जुड़े विभिन्न कार्य-कलापों जैसे मछली पालन, डेयरी एवं दुग्ध विकास, मधुमक्खी पालन, औषधीय वनस्पतियों का उत्पादन, कृषि उत्पाद की ब्रांडिंग व वितरण प्रक्रिया को मजबूत करने हेतु विशेष कार्य योजना बनाने की आवश्यकता है। राज्यपाल श्रीमती बेबी रानी मौर्य ने सोमवार को भारतीय वाणिज्य संघ तथा दून विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ’‘कोविड-19 के दौर के बाद बदलते सामाजिक-सांस्कृतिक एवं आर्थिक परिदृश्य’’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। दो दिवसीय वेबिनार के उद्घाटन सत्र में देशभर से 100 से अधिक विशेषज्ञ, शिक्षक, विद्याार्थी तथा प्रतिभागी जुडे़ थे।
राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने कहा कि वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौर में देश व दुनिया में सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक क्षेत्रों में बड़ा बदलाव दिखाई पड़ रहा है। इनके दूरगामी परिणाम वैश्विक स्तर पर सामाजिक मूल्यों को नये सिरे से परिभाषित करेंगे। सामाजिक-सांस्कृतिक समारोह सीमित तथा सादगीपूर्ण आयोजित किये जा रहे हैं। इस बदले हुए दौर में हमें टेक्नोलाॅजी के अधिकतम उपयोग पर जोर देने की आवश्यकता है। सीमांत एवं छोटे किसानों को वैज्ञानिक विधि से खेती का प्रशिक्षण देना होगा। जैविक व प्राकृतिक खेती पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। स्थानीय स्तर पर तैयार किये गये उत्पाद को प्राथमिकता देनी होगी ।
राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने कहा कि सामाजिक संवाद तथा सम्बन्ध वर्चुअल हो गये हैं। शिक्षा प्रणाली आॅनलाइन हो गई है । सोशल मीडिया तथा डिजिटल तकनीकी का महत्व बढ़ता ही जा रहा है। मानवीय मूल्यों व सामाजिक व्यवहार में भी बड़ा बदलाव आया है। पर्यावरण संरक्षण व प्रकृति प्रेम का महत्व सभी को समझ आ रहा है।
राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने भी ‘‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’’ के माध्यम से भारत को आर्थिक रूप से सशक्त तथा आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य देश के समक्ष रखा है। उत्तराखण्ड राज्य में भी मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना आरम्भ की गई है। राज्यपाल ने कहा कि इस वैश्विक महामारी के दौर में स्वास्थ्य के प्रति लोगों की सजगता काफी बढ़ी है। ग्रामीण स्तर पर स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रमों का संचालन बड़े पैमाने पर लम्बे समय तक किया जाना चाहिए। राज्यपाल श्रीमती मौर्य ने शिक्षकों एवं विद्यार्थियों का आह्वाहन किया कि वे इस कोविड-19 के दौर में बदलते सामाजिक एवं सांस्कृतिक तथा आर्थिक परिदृश्य में शोध एवं अध्ययन को जारी रख कर देश को गतिशील बनाने में अपना योगदान दें।
दून विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ0 अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि कोविड-19 तथा लाॅकडाउन के परिणामस्वरूप समाज में बहुआयामी परिवर्तन दिख रहे है। इस पर विचार-मंथन के लिये आर्थिक विशेषज्ञों, समाजशास़्ित्रयों व सांस्कृतिक क्षेत्र से जुड़े लोगों को एकत्र होना चाहिये।
भारतीय वाणिज्य संघ के उपाध्यक्ष प्रो0 मानस पाण्डेय ने कहा कि हमें अपनी अर्थव्यवस्था को ग्रामोन्मुखी बनाना होगा। प0 दीनदयाल उपाध्याय तथा नानाजी देशमुख ने भी आर्थिक स्वालम्बन पर बल दिया था। कृषि को प्राथमिकता दी जानी चाहिये।
वेबिनार में अन्य वक्ता प्रो0 नरेन्द्र कुमार सचिव भारतीय वाणिज्य संघ, प्रो0 एच0 वेंकटेश्वर लू, पूर्व अध्यक्ष भारतीय वाणिज्य संघ ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन दून विश्वविद्यालय के आयोजन सचिव प्रो0 एच0 सी0 पुरोहित द्वारा किया गया।