उत्तराखंड सरकार में जनता की सुनवाई नहीं होने से जयप्रकाश पांडये ट्रान्स पोर्टर जैसे लोगों को आत्म हत्या करने के लिये मजबूर किया जारहा। जब पांडये ने विशेष कार्यधिकारी उर्वी दत्त भट से अपनी समस्या गिनाई थीं तो उनको अपने आप निर्णय लेने की शक्ति न होने के चलते प्रभारी मंत्री य मुख्यमंत्री से इस संबंध में बात करनी चाहिए थी ।सरकार को भी इसका संज्ञान लेना चाहिए कि gst लागू करने से पहले विभागों को नम्बर आंबटित करदे,य बैंको से कह दे कि इनको परेसान न करें उत्तराखंड का आदमी ईमानदारी में नम्बर एक ,सीमा पर लड़ाई में दुनिया मे नम्बर एक पर हमारे प्रदेश की सरकार ने हमको नम्बर 2 का बनाने का काम कर बाहर के लोगों को तबोजो देकर उत्तराखंड का स्वरूप बदल कर रख दिया।दावा खिलाने में दरियादिली दिखा रहे हैं परन्तु यह घटना न घाटे इसके लिए काम करने की रण नीति बनाने की सोच पैदा नहीं हो पा रही है ।
दर्द कागज़ पर मेरा बिकता रहा
Tue Jan 9 , 2018