देहरादून, पहाड़ों की गूंज ,कोरोना काल मे प्रदेश सरकार एंव प्रशासन स्वस्थ व्यवस्था बनाने के लिए कार्य कर रहे हैं वही इलाके में यात्रियों को आवाजाही में दिखते आरही है । उनको हल्का सुधार करने से ही जनता को राहत मिल जाएगी ।टैक्सी टाटा सूमो कमांडर वालो की आने जाने का किराया अलग अलग जगह समान दूरी का अलग अलग देना पड़ रहा है। पत्र का कहना है कि परगना मजिस्ट्रेट ,उप जिलाधिकारी ,तहसील ,पुलिस प्रशासन अपनी जिम्मेदारी ठीक से निभाते आ रहे हैं। जनता को सुभिधा देने के लिए सभी यूनियन की बैठक बुला कर गाड़ी वालों को समझा समझना है कि इन्हीं जनता से आप लोगों की गाड़ियां ठीक चलती है। गाड़ी वालो को बैंक यानि पब्लिक मानी से 75 प्रतिशत ऋण वा छूट के गाड़ियां स्वरोजगार के लिए सरकार से मिलती हैं । यह सरकार की जनता को सुभिधा देने के लिए जनता को सुभिधा देकर स्व रोजगार देने की योजनाएं हैं ।आज इनका दुरुपयोग करने पर यूनियन लगी है। इस समय दुगना किराया से ज्यादा लिया जा रहा है।माना पांच सवारी में यदि तीन सवारी एक ही जगह से आये है और 2 दूसरी जगह से आये हैं। उन तीन सवारियों के जिस गंतव्य स्थान को जाना है। वहीं अलग जगह से आये सवारियों का भी जाना है तो वह उन सवारियों को नहीं ले जाते हैं जबकि उन अलग अलग जगह से आने वाले यात्रियों के पास कोरोना नेगेटिव रोपोर्ट है। यह प्रस्थिति गाड़ी वालों ने पैदा कर रखी है । अब ऐसी स्थिति में जब रोजगार नही है तो।साधन भी नहीं है ।तो दो स्थानों से आने वाले सवारी को अलग अलग ढाई गुना किराया देना पड़ रहा है। टैक्सी यूनियन के साथ अधिकारीयों को बैठक कर सीधे सीधे आदेश कर देना चाहिए कि आपको डेढ़ गुना किराए पर गाड़ी चलाने का कार्य करें। इस आपदा में मानवीय संवेदना व्यक्त करते हुए उसके पालन कराने की आवश्यकता है। इस प्रकार की व्यवस्था से मानव सेवा के साथ साथ विमारी से बचाव होगा । देखा जा रहा है कि दूर मुंबई गुजरात से बंगाल य अन्य जगहों से यात्री रेल बसों से आ रहें हैं तो किरया कम देने के लिए वह दसों गाड़ियों के पास जाकर संक्रमण से वचाव करने का खतरा बना रहता है।यह आपदा हमारे देश के लिए चुनौती है ।इसके निपटने के लिए यह आसन तारिका है ।कि व्यवहार में आने वाली दिक्कतों को मिल बैठक कर आसानी से सुलझ सकती है।इस महामारी में समय की कीमत समझने की आवश्यकता है ताकि हमारे जिला प्रदेश देश की जनता की दिक्कतें कम की जा सके।आगे भविष्य में और भी दिखते आरही हैं ।उनसे भी आम जन सहयोग से निपटने का कार्य होना चाहिए।