टेहरी:उत्तराखंड गढ़वाल रियासत की दूसरी राजधानी के नाम से प्रचलित राजा के दीवान के निवास स्थान लिखवार गावँ के प्रसिद्ध स्व संग्राम सेनानी श्री लक्ष्मी
प्रसाद पैन्यूली की स्मृति में श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ का आयोजन आज से प्रारंभ होगया है व्यास पीठ पर डॉ दुर्गेश महराज के श्री मुख से कथा में आये श्रद्धालुओं के उज्वल भविष्य की कामना करते हुए कथा का सुभारम्भ किया इस समय श्री लक्ष्मी प्रसाद जी के परिवार के सदस्यों के अलावा उनके बड़ी पुत्री
हेमलता केसाथ तीन बहिनो के साथ इस ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ करने का अनुकरणीय बीड़ा उठाया है
श्रीमद्भागवत में गोकर्ण, और वामदेव महाराज की कथा का बर्णन आता है गोकर्ण महराज के गुणों से अल्प समय में प्रसिद्ध होगये जबकि वामदेव महराज की उम्र1400 वर्ष थी।उनको बुरा लगा कि 10वर्ष का बालक उनके आगे होगये उन्होंने उनका अपमान किया था कि उनको विना सम्बोधित पत्र भेज दिया गोकर्ण महराज ने लिखा कि यह पत्र घमंड का प्रतीक है अब वामदेव जी को गुस्सा भयंकर आगया उन्होंने शेर की सवारी उसपर सांप की लगाम लागाये सुबह ही पहुंच गये ।गोकर्ण महराज बड़े पत्थर के ऊपर बैठे दाँत मंजन कर रहे थे।सन्देश के बगैर उनको देख वह उनका स्वागत करने के लिए उन्होंने पत्थर पर हाथ लगाया कि पत्थर चलकर उनके वामदेव महराज के आगे खड़ा होगया शेर बहुत नीचे दिखने लगा तो जहाँ वामदेव जी को 1400वर्ष में इतनी सिद्धि प्राप्त कर कुछ हासिल नहीं हुआ तो उन्होंने गोकर्ण महाराज से दीक्षा ली कहने का तात्पर्य यह है कि आज भोजन इतना दूषित है कि आदमी बुद्धि अपनी ज्यादा समझे विना सदियों से नहीं रह सकते तो अबतो बात ही कुछ और हैं