भगवान श्रीकृष्ण ने गौधन पालने वाले पर्वत गोवर्धन को माना तो उनके अनुयायियों से इंद्र भगवान नाराज़ होगये अहम की लड़ाई होगई ,भगवान इन्द्र ने 7दिन तक वर्षा करदी तो भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठा कर प्रेम करने वाले गोपियों व नगर वासियों की रक्षा संयुक्त रूप से की ।आज हम गोवर्धन पूजा मनाने के लिए बात तो करते हैं । अपने अकेले मोह के मद में पूजते हैं। पर जिसने हमें पाला बड़ा किया है। उसका ज्यादा लोग तिरस्कार करते हैं । आज गाय ,खेती व बुजुर्गों से मोह भंग हो गया है। तीनो के बिना त्यौहार मानते हैं ।गाय के बिना गोवर्धन पूजा का त्यौहार मानते हैं।बाह्य मन से पूजा करते हैं । आज भौतिक चकाचौंध में हम अपनी संस्कृति धर्म को नष्ट करने में लगे हैं ।श्रीकृष्ण भगवान का यह व्यबहारिक रूप में कार्य करने का सन्देश है कि हमारे लालन पालन करने के लिए, समाज की रक्षा करने के लिए , पालने पोसने वाले को सदैव समय समय पर आदर करते रहें ।पूजा अर्चना करते रहे । आज समाज में व्यबहारिक रूप से गोवर्धन पर्वत समान व्यवहार करने वाले लोगों की पूजा आदर करने वाले लोगों को आगे आने की जरूरत है ।उनको आलोचना से नहीं डरना है,समाज है जो समाज में अच्छे के लिए बदलाव लाने का प्रयास करते है। उसकी आलोचना करते हैं। आज गौवर्धन पूजा का महत्व व्यबहार में जानने की जरूरत है।तभी हमारे त्यौहारो का महत्व बनाये रखने में हम आगे रहेंगे अन्यथा अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर ही आगे आने में दिखाई देने लगेंगे, अपनी पहचान बनाने के लिए उनके बचकाने पन से कम उम्र के लोग साथ देते हैं। तभी तो श्रीकृष्ण भगवान ने उनकी लाज बचा कर अच्छे कार्य के लिए प्रयोग में आने वाले पर्वत को मानने के लिए इन्द्र भगवान के अनुयायियों के समाज को मजबूर किया है। वह समाज में जनता को बातों के बहकावे लाकर उनकी भावनाओं से दोहन करते हुए समाज प्रदेश देश को कमजोर करते रहेंगे। मनुष्य होने के नाते जो हम समाज के लिए मनन कर शब्दों को कहते हैं ।उसे हमारे व्यबहार में भी हमारे पास दिखाई भी देना चाहिए।आज अन कूट का त्यौहार है नये अनाज से पहले पूजा अर्चना के लिए प्रसाद बनाते हैं । खेती करने वाले बैलों की पूजा अर्चना करते हैं ।उनकी पूछ पर रक्षा बंधन के दिन भाई की कलाई पर बांधा रक्षा सूत्र बांधने की सामाजिक मान्यता है कि हम भाई बहन के प्रेम, खेती के लिए गाय ,बैल के गोबर से उत्तपन अन्न से पूजा के बाद अपने परिवार बच्चे बुढों का लालन पालन करते हुए समाज को एक सूत्र में बांधने के लिए कार्य करें। अन्नकूट पूजा के बाद हम अन्न ग्रहण करते हैं उससे समाज को जोड़कर चलने के लिए मन बने इसके लिए भगवान श्रीकृष्ण से हमेशा हमें प्रार्थना करनी चाहिए।
गंगोत्री धाम के कपाट शीतकालीन के लिए बंद , शीतकाल में मुखवा में होंगे माँ गंगा के दर्शन ।
Mon Oct 28 , 2019