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देहरादून में मिली हजारों साल पुरानी अति विशाल गुफा!http://अजब गजब
देहरादून के त्यूनी तहसील के दुर्गम क्षेत्र में बसे गोरछा गांव से दो किलोमीटर दूर जंगल में मिली एक प्राचीन गुफा लोगों में कौतूहल का विषय बनी हुई है। ग्रामीणों ने इसे पांडव कालीन होने की संभावना जताई है।
15 से 20 फीट ऊंची इस गुफा में शिवलिंग जैसी आकृतियां मिलने के साथ ही दीवारों पर देव आकृतियां और भित्ति चित्र बने हुए हैं। शिवलिंग जैसी आकृतियों के ऊपर टपकता पानी ग्रामीणों के लिए आस्था का केंद्र बन गया है। इसके साथ ही ग्रामीणों ने गुफा में पूजा अर्चना शुरू कर दी है।
तीन दिन पहले खोजी गई गुफा के भीतर ग्रामीण कौतूहलवश सात किमी अंदर तक जा चुके हैं लेकिन इसके बाद भी ये गुफा खत्म नहीं हुई। ग्रामीणों ने इसके और लंबी होने की संभावना जताई है। गुफा मिलने की सूचना पुरातत्व विभाग को भी दे दी गई है।
पूर्व जिला पंचायत सदस्य विजयपाल सिंह रावत ने बताया कि तीन दिन पहले गांव से करीब तीन किलोमीटर दूर घने जंगल में पशुओं को चराते समय चरवाहों ने यह गुफा खोजी।
चरवाहों ने बताया कि बकरी को खोजते हुए वे लोग चीड़, कैल, रई, देवदार के घने जंगलों में घुसे तो वहां यह गुफा दिखाई दी। कौतूहलवश भीतर जाकर देखा तो दीवारों पर भित्ति चित्र उकरे हुए थे। चरवाहों ने इसकी जानकारी गांववालों को दी।
इसके बाद अगले दिन गोरछा समेत कई गांवों के ग्रामीण गुफा देखने पहुंचे। कुछ भीतर जाने पर बड़ी संख्या में शिवलिंग जैसी आकृतियां नजर आईं, जिनके ऊपर अनवरत जल गिर रहा था। इसे देखकर ग्रामीण वहां पूजा-अर्चना करने में जुट गए।
ग्रामीणों ने इस गुफा को बिहार गुफा का नाम दिया है। यह पूरा इलाका पांडवों के अज्ञातवास के दौरान उनके प्रवास से जुड़ा रहा है। साथ ही गुफा के भीतर मिले शिवलिंगों की तरह का समूह लाखामंडल में भी खुदाई के दौरान पाया गया था। इसलिए लोगों ने संभावना जताई है कि यह गुफा भी पांडव काल से जुड़ी हो सकती है।
गुफा मिलने की जानकारी ग्रामीणों से मिली है। टीम को मौके पर भेजकर इसका निरीक्षण कराया जाएगा। उसके बाद ही गुफा के विकसित करने के बारे में कुछ कहा जा सकता है।