देहरादून। नाग देवता की पूजा को समर्पित त्योहार नाग पंचमी पांच अगस्त को सोमवार के दिन पड़ रही है। मान्यता है कि नाग पंचमी के साथ सोमवार के दुर्लभ संयोग पर पर्व का महत्व कई गुणा बढ़ जाता है। ज्योतिष के अनुसार कालसर्प दोष निवारण और पितृ दोष की मुक्ति के लिए यह श्रेष्ठ दिन है। नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजन-अर्चना की जाती है। इस त्योहार को मनाने के पीछे पर्यावरणीय तर्क यह भी दिया जाता है कि भारत कृषि प्रधान देश है, और चूहे वगैरह से खेती में बहुत नुकसान होता है। नाग चूहों का सफाया करके फसलों की सुरक्षा कर प्रकृति का संतुलन कायम करते हैं। ऐसे में नागों को संरक्षण याद दिलाने के लिए भी संभवतया यह पर्व मनाया जाता है। हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस साल पांच अगस्त को सोमवार के संयोग के साथ पंचमी तिथि आ रही है। नाग पंचमी पर नाग की पूजा मूर्ति या चित्रों के माध्यम से की जानी चाहिए। इस दिन शिवजी की आराधना करने से कालसर्प दोष, पितृदोष का आसानी से निवारण हो जाता है। मान्यता है कि जब- जब भगवान विष्णु ने धरती पर अवतार लिया तब-तब शेषनाग भी अवतरित होकर उनके साथ रहे। राम अवतार के समय वह भाई लक्ष्मण बनकर और श्रीकृष्णावतार में भाई बलराम बनकर साए की तरह प्रभु के साथ रहे। इतना ही नहीं भगवान भोलेनाथ के गले के हार और भगवान विष्णु की शैय्या माने जाने वाले नागों की पूजा पौराणिक काल से की जाती है।पुराणों में नागों की नौ जातियां बतायी गयी हैं। ज्योतिषाचार्य बासुदेव प्रसाद सेमवाल का कहना है कि सोमवार के साथ नाग पंचमी के संयोग पर रुद्राभिषेक सहित नाग पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन नाग को दूध पिलाने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिल सकती है।
पांच दिन में आठ लोगों ने दी जान
Sun Aug 4 , 2019
देहरादून। इस भागम भाग जीवन में लोग अवसाद ग्रस्त होने लगे है। जनपद में पांच दिन में आठ लोगों ने जान दे दी। इसमें 30 जुलाई को देहरादून में तीन लोग, एक अगस्त को ऋषिकेश में प्रेमी जोड़े ने व उसी दिन प्रेमनगर में युवा कारोबारी ने दी जान दे […]

You May Like
-
उत्तराखंड में जल्द शुरू होगा रक्षा उपकरण संस्थान
Pahado Ki Goonj January 14, 2020