दुनिया की सांसे अटकी पड़ी हैं …. राष्ट्रपति भवन की फाईलों में
हम बात कर रहे हैं भारत देश नहीं 195 देशों वाली दुनिया की जिसकी आबादी 800 करोड़ के करीब हो चुकी हैं | इन सबकी जिन्दगी की सांसे भारत के राष्ट्रपति भवन की फाईलों में अटकी पड़ी हैं | इसका कारण 350 वर्षों पुरानी आधुनिक डिस्पोजेबल प्लास्टिक आधारित चिकित्सा विज्ञान का एक जगह स्थिर हो जाना व समय के चक्र का लगातार आगे घुमते रहना हैं | इसके फलस्वरुप एक मिनिट में एक ईंसान काल के मुंह का ग्रास बन रहा हैं |
हम बात कर रहे हैं राजस्थान में जन्में शैलेन्द्र कुमार बिराणी की जिन्होंने अपने असली एडी-सिरिंज के आविष्कार के माध्यम से दुनिया भर की अब तक की सभी सिरिंजो से आगे निकल 2006 में ही पेटेंट (202881) प्राप्त कर लिया था | इस पेटेंट के माध्यम से वो व्यक्तिगत रूप से पेटेंट हासिल करने वाले मध्यप्रदेश इतिहास के दूसरे व्यक्ति बन गये और भारत को आधुनिक प्लास्टिक डिस्पोजेबल आधारित चिकित्सा विज्ञान में अग्रणी देश बना दिया | इस स्वत: टुटने वाली सिरिंज की निडिल तकनीक से सुई आधारित सभी डिस्पोजेबल उत्पाद ओटो – डिस्पोजेबल हो सकते हैं | इससे अस्पतालों में इंजेक्शन लगाना, ग्लुकोज चढाना, खुन दान करना, खुन ट्रांसफर करना सबकुछ सुरक्षित व संक्रमण फैलाने से मुक्त हो जाते |
- इससे ईंसान ही नहीं अपितु सभी जानवर भी संक्रमण के कारण अकाल मृत्यु से सुरक्षित हो जाते क्योंकि सिरिंज व निडिल का इस्तेमाल उनके ईलाज में भी होता हैं | वर्तमान सुई व सिरिंज मानवीय स्वार्थ व लालच के कारण खतरनाक वायरसों के उत्पति की जननी बनी हुई हैं | इस कारण अब वायरस ईंसान एवं जानवरों के जिनोम (डीएनए व आरएनए) के संयोजन वाले उत्पन्न हो रहे हैं | एड्स, हेपेटाइटस, ब्लड फ्लू, स्वाईन फ्लू, इबोला, जीका, कोरोना यह सब वायरसों की बढती एक श्रृंंख्ला हैं जो असली एडी-सिरिंज की फाईल के राष्ट्रपति भवन में दबाई रखने के कारण दिन दुगुनी रात चौगुनी रफ्तार से फैल रही हैं | कोरोना वायरस पैदा होने से पहले शैलेन्द्र ने राष्ट्रपति-भवन व प्रधानमंत्री कार्यालय जाकर रिमांइडर भी करवाया | अब इससे आगे कौनसा वायरस आयेगा वो भी लिखित में राष्ट्रपति महोदय को भेज रखा हैं |
इस आविष्कार के बाद उन्हें दुनिया भर के लोगों व संस्थानों का खुब समर्थन मीला | इसके फायदों को हर आम व खास नागरिक तक पहुंचाने के लिए खुब प्रयास किये परन्तु फाईल को टेबल दर टेबल घुमाने की प्रक्रिया, कानूनों के अभावों एवं पेचदगीयों सें कुछ भी सम्भव नहीं हो रहा था | भविष्य की अल्पकाल्पनिकशीलता और एक सोच की सीमित फ्रेम में ही बने रहने की अधिकांश लोगों की आदत ने उनके लिए आगे का मार्ग धुंधला एवं अंधेर कर दिया था | इस कारण उन्होंने सभी कागजों को 3.5 किलोग्राम की फाईल में देश के राष्ट्रपति को अरबों रुपये में मिले व्यवसाहिक प्रस्तावों के साथ भेज दिया और आविष्कारक के रूप में अपनी जिम्मेदारी पुरी करते हुए आगे लोगों को बचाने, देश को फायदा देने का फैसला राष्ट्रपति को लेने के लिए अनुरोध कर दिया |
इस 3.5 किलोग्राम की फाईल में 10 पेज तो सिर्फ लगाये गये दस्तावेजों की इंडेक्स सूची थी | इसमें दुनिया की सर्वोच्च संस्थानों (संयुक्त राष्ट्र संघ, द ग्लोबल फंड, इंटरनेशनल रेड क्रोस सोसायटी, अमेरिका के राष्ट्रपति, क्लिंटन फाउंडेशन, बिल एण्ड मेलेना गेट्स फाउंडेशन, विश्व स्वास्थ्य संगठन आदि-आदि) की प्रतिक्रिया के दस्तावेज एवं चालीस से ज्यादा देशों की कम्पनीयों के अरबों रूपये के व्यवसायिक प्रस्तावों को लगाये थे | मेडिकल के उत्पादों को लेकर दुनिया के हर देश की आर्थिक स्थिति की रिपोर्ट के साथ उत्पादन करने वाली मशीनों की हर अन्तर्राष्ट्रीय कम्पनी की डिटेल को भी शामिल करा था |
आम लोगों तक पहुंचाने के तरीके के राष्ट्रपति महोदय द्वारा निर्धारण के साथ यह भी अपने आप तय हो जाता हैं कि देश व देशवासियों को आर्थिक एवं सामाजिक रुप से कितना फायदा होगा | दुनिया भर के लोगों की जिन्दगी को लेकर प्रस्तावित योजना पर अमल करा जाये तो देश को मिलने वाले फायदे इस प्रकार हैं | सरकारी खजाने को 1 लाख 54 हजार करोड का प्रतिवर्ष रेवन्यू, देश में एक अन्तर्राष्ट्रीय संस्था की स्थापना, भारत में नई 5000 कम्पनीयों की स्थापना, वर्तमान कम्पनीयों का 20 गुना बड़ा होने का विकास, लाखों देशवासियों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार, दुसरे देशों पर प्रतिबंध लगाने के विशेषाधिकार, चीन व पाकिस्तान वाली दुश्मनी वाली चालों का माकूल जवाब व पेट्रोलियम पदार्थों (पेट्रोल, डीजल, गैस) को स्थाई कर महंगाई से मुक्ति प्रमुख हैं |
यह फाईल तीन राज्यों के मुख्यमंत्रीयों (नरेन्द्र मोदी, शिवराज सिंह चौहान, अशोक गहलोत) केन्द्रीय मंत्रालयों, विभागों, प्रधानमंत्री कार्यालय से होकर गई दस्तावेजों को भी अपने अन्दर समाहित करे हुये थी | इस कारण कई सामाजिक विकास के पहलुओं को भी साथ ले गई | इसमें मीडिया के संवैधानिक चेहरे व जवाबदेही वाले कानूनी अधिकार से वंचित होने की सच्चाई के साथ, स्कूल एवं कालेजों से लखपति व अरबपति बनकर प्रत्येक छात्र की निकलने की योजना, सरकारी प्रक्रियाओं की खामियों के साथ विकसित व्यवस्था का प्रारूप प्रमुख हैं |
इस फाईल पर अन्तिम फैसला लेने के लिए राष्ट्रपति कभी के अधिकृत हो चुके हैं और कार्यपालिका ने सभी के अच्छे दिनों की आस में संवैधानिक कानूनी अधिकार भी दे दिया हैं | शैलेन्द्र ने तो इसे राष्ट्रपति-भवन के अन्तर्गत रोशनी प्रोजेक्ट की तरह सेपरेट सेल बनाने की बात कही हैं ताकि दुनिया की संस्थाओं का पैसा प्राप्त हो सके जिससे गरीब व कमजोर लोगों को मुफ्त में इस आविष्कार का फायदा पहुंचाया जा सके | ईंसान से बना भगवान सिर्फ मृत्यु ही दे सकता हैं जिन्दगी नहीं, वो तो सिर्फ एक माध्यम का रोल निभाता हैं | यह तो राष्ट्रपति को तय करना हैं कि वो जिन्दगी देने के माध्यम हैं या मौंत देने के क्योंकि एक मिनिट में एक ईंसान की मौत का सिलसिला जारी हैं |