HTML tutorial

पहाडोंकीगूँज ने जाड़ों में गूंजा दिया राजधानी गैरसैंण-जीतमणि पैन्यूली

Pahado Ki Goonj

पहाडोंकीगूँज ने जाड़ों में गूंजा दिया राजधानी गैरसैंण- जीतमणि पैन्यूली
उत्तराखंड सरकार ,बिपक्ष राजधानी गैरसैंण लेजाने के नाम पर उल्टे सीधे बयान बाजी करते रहे हैं।उनको 17 सितम्बर 2018 से राज्य के लोग धरना प्रदर्शन करते रहे हैं।सभी प्रकार के संघठनो ने राजनीतिक पार्टीयों समर्थन देदिया है।दे रहे हैं।राज धानी बनाने के नाम पर जो गैरसैंण में निर्माण किया गया है वह राजधानी वहां नहीं लेजाने पर फजूल खर्चा करना साबित करने का काम हुआ। इसके निर्माण में भी ढांदली कईबार करने के लिए भृष्टाचार के सवाल खड़े किये गए हैं।यहभ्रष्टाचार के नाम का कार्यक्रम बढ़ाकर चलते हुए सरकार आरही जारही है।

राज धानी को लेकर उत्तराखंड राज्य का निर्माण की लड़ाई लड़ी गई है।गैरसैंण के नाम को प्रचारित करने वाले वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली रहे उन्होंने1970 वर्ष के दशक टिन की चदर का भौंपू माइक का स्तेमाल कर जहां पर 4 आदमी भी खड़े रहते वहां पर खड़े होकर भौंपू से बोला करते थे।उत्तराखंड बनाया जाय राजधानी गैरसैंण बनाई जाय मुझे उन्होंने 23 फरबरी 1974 को कहा था कि गैरसैंण दूधातोली  देखकर आप नोजवान देखकर आइये। फिर उनसे मुलाकात होती रही । उनकी बात को सिरोधार्य मानते हुए 1978 में वहां विनसर महादेव मंदिर के मेले में जाने का अबसर प्राप्त हुआ अपने साथ पोटर बिस्तर खाने के समान के साथ 3 दीवसीय यात्रा की।तब हकीकत का पत्ता चला कि यह मध्यस्थता का केंद्र है।

हमारे साथ साथ धरने पर परेड ग्राउंड 17 सितम्बर 2018से चल रहा है पर सब सुनार की हतोड़ि वाले आये  पर सरकार कुछ करने को तैयार नहीं हुई मुझे लगा कि अब अपने अन्दर के हनुमान को जगाना पड़ेगा।इससे पहले आंदोलन कारियों  जब नेताओं के बयान सुना तो उन्होंने नेता प्रतिपक्ष श्रीमति इंद्रा हृदेश व वन मंत्री डॉ हरक सिंह को आंदोलन कारियों ने कम्बल जिलाधिकारी के माध्यम से गत वर्ष पहुँचाई। कई बार इन सबको राय दिया कि आपलोग 108 बार हनुमानजी का पाठ करें।पर भैंस के आगे बीन बजाने तक सीमित रहा है इतने समय से हमारी उर्जा बेकार जारही है

यह बात इसलिए कह रहा हूँ कि वर्ष 1987 में टिहरी बांध में  भारी मात्रा में हुए बिस्फोट सामग्री के प्रयोग से पड़े  सुखे  के आंकलन से भविष्य में जीवन यापन करने के लिए विश्व प्रसिद्ध श्री

  गुरु सुंदर लाल बहुगुणा  अक्टूबर में विकास मेले में कोटाल गाँव भदुरा टिहरी गढ़वाल अपने साथ सितजरलैंड के अर्थशास्त्री, एंव पत्रकार लेकर आये थे।उनका टिहरी बांध के खिलाफ लड़ाई जारी थी उधर टिहरी बांध बनाने के लिए केंद्रीय मंत्री ब्रह्मदत्त की कल्पना राजीव गांधी प्रधानमंत्री ने टिहरी बांध बनाने के लिए सरकार से हट कर कम्पनी बनाने का काम कर लोगों को रोजगार टिहरी जल विकास निगम लि में मिलने का भविष्य दिखाई दिया ।कोटाल गाँव विकास मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम पूर्ण होने पर वहां से अक्टूबर की11 बजे रात्रि की ठंड 2000 मीटर की ऊंचाई पर चलते हुए टिहरी बांध को रोकने की बात पर उन्होंने समझाया बात सही है सवाल रोजगार बिजली पानी की जरूरत देश को है। तो सरकार यह सब करेगी। इस पर मेरी राय यह है कि इसकी ऊंचाई घटाई जासकती है तो इसपर भी बात की जानी चाहिए ।इस पर उन्होंने नाराजगी अपने मन में जाहिर तो की होगी।परन्तु उन्होंने  हमे कभी भी इसका आभास नहीं कराया मेरे द्वारा जीतने भी कार्यक्रम किये गए उनमें सुंदर लाल बहुगुणा जी हमेसा आते रहे और वह कार्यक्रम सफल रहे।आखिर चरण आंदोलन में जिसदिन बहुगणा फरवरी 1989 में इस्पील वे पर धरना देते हुए उठाया गया उस दिन मेरे दूसरे पुत्र  प्रदीप कुमार पैन्यूली फोटोग्राफर का हाथ टूटने से पलस्तर के लिए  टिहरी  लाये तो मालूम हुआ कि आज ग्रिफ्तार होंगे ।मैं अपने लड़के को लेकर वहां धरना प्रदर्शन करने चले गए ।अंधेरे में रात को टिहरी जेल बाप बेटे चले गए ।मेरी नई bata की चपल किसी मित्र पुलिस ने छिपा दी नंगे पांव टिहरी की फरवरी की ठंड में जेल यात्रा की। सुबह ठण्ड में नंगे पैर नई टिहरी बाजार में तब  दुकान कम थी 10 30 तक खुलता एक दिखाई दे दिया।तब चप्पल ली फिर धरने पर पुरानी टिहरी आगये।

आंदोलन लम्बा चला ।श्रीमती मेनका गांधी जी पर्यावरण मंत्री के पास बहुगणा जी ने अचानक उनसे रास्ते मे मिलने जाते ही दिल्ली जाने को कहा। मुझे पत्र लेकर भेजा दिल्ली भेजा। यह प्रसंग अगली बार दूंगा।

बात यह रही कि सुनार के हतोड़ि से कुछ नहीं हो सकता है घन से कुछ करना पड़ेगा।पहाडोंकीगूँज वेब पोर्टल ने आंदोलन कारियों को भीगने से बचाने के लिए वर्षात में छत बनाने में अल्प सहयोग किया। इन सब बातों से संज्ञान लेते हुए मैने सोचा कि विश्व प्रसिद्ध सख्सियत श्री सुंदर लाल बहुगुणा जी से विगत 4 साल से भेंट नहीं हुई उनसे पूछा जाय ।यह अबसर उनके जन्मदिन 9जनवरी2020 प्राप्त हुआ ।वह हमारे पत्र के उस दिन अगले अंक में सम्पादक के रूप में रहे उनका व्यू पूछने पर अंक में प्रकाशित करने के बाद सरकार नहीं कह पाई कि गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राज धानी है। अब वहां 3 फरवरी से सदन 5 दिन चलेगा घन मारकर आंदोलन को सफल बनाने का कार्य किया आंदोलन का मूल्यांकन करने वाले लोगों ने बताया कि पहाडोंकीगूँज की गूंज का कार्यक्रम  सरहनीय सबसे भारी रहा है जिसके फलस्वरूप फरवरी में अधिवेशन होने जारहा है।प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्रीगुरु सुंदर लाल बहुगुणा जी शतायु से ज्यादा स्वास्थ्य रहे सरकार उनकी बहुगुणा जी के स्वास्थ्य की देखभाल करने के लिए आर्थिक सहायता बढ़ा कर दें देते रहें।

Next Post

धरती में 40,000 फीट से ज्यादा गहढ़ा क्यों नही खोदते

रूस में एक ऐसी जगह है जिसे नर्क का द्वार भी कहा जाता है। ये दुनिया में मौजूद सबसे गहरा बोरहोल है। कोला सुपरडीप बोरहोल नाम के इस होल को 1970 में रूस के वैज्ञानिकों ने खोदना शुरू किया था। अमेरिकी वैज्ञानिकों को चुनौती देने के लिए वे ज्यादा से […]

You May Like