देहरादून सचिवालय में पत्रकारों के प्रवेश ना देने के कारणों का पत्ता धीरे धीरे लगाने का प्रयास प्रेस से जुड़े लोग कारने लगे हैं ।कयास लागये जा रहे हैं की यह प्रचंड बहुमत की सरकार का असली चेहरा छिपा हुआ है ।अघोषित आपात काल छोटे पत्रपरिवार आर्थिक हालत को खराब करने के तमाम हतकंडे अपनाए जाने लगे हैं।उत्तराखंड के सचिवालय का जन्म लगता है मनमानी ,घपलों को अंजाम देने के लिए मातृ शक्ति के बलिदान से हुआ ।एकायेक मुख्यसचिव का यह फरमान करना लोकतंत्र की हत्या करने की ओर इशारा है ।आप चौथा स्थम्ब को सचिवालय में प्रवेश ना देकर सरकार से विकास की उम्मीद लगाई जनता के क्या सन्देश सबका साथ सबका विकास के नाम पर देना चाहते हैं। इसके विरोध में विपक्ष के साथ साथ लोकतंत्र पर आस्था रखने वालों ने प्रतिक्रिया प्रेस के साB7मने दी ।तब मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र के समझ मे आया कि यह आदेश गलत होरहा है वापस लेना पड़ा इससे सरकार की भदद पिटने का मसाला पत्रकारों के हाथ लगने लगा ।मुख्यमंत्री रावत ने बातें करने से रोक दिया ।परन्तु मुख्यसचिव कोई मामूली अधिकारी तो नहीं है किन किन पत्रकारों से उनको खतरा होरहा है उनके नाम उजागर करने में ही प्रदेश का फायदा है पर जो भी हो पाप का प्रकट,आग के धुंए की निकल ने का पता चल ही जाता है ईस कायास से कोई न कोई बड़ी साजिश की आशंका है।छिपाने पर भी छिप नहीं पाएगी यह जनता का मानना है।