-ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज*
20 दिसम्बर 2022 ई.
देहरादून,श्रीकाशी,धर्म का कार्य करने के लिए किसी सिंहासन या उच्च पद की आवश्यकता नही होती अपितु दृढ संकल्प की आवश्यकता होती है। बहुत से लोग बडे पदों पर नही हैं लेकिन फिर भी धर्म कार्य कर रहे हैं। इसलिए हम यह समझते हैं कि धर्म कार्यों में सिद्धि के लिए किसी संसाधनों की नहीं, अपितु संकल्प की आवश्यकता होती है।
उक्त उद्गार परमाराध्य पूज्यपाद अनन्तश्रीविभूषित उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती महाराज ने श्रीविद्यामठ केदारघाट वाराणसी में आयोजित विद्वत् सपर्या सभा के अवसर पर संस्कृत भाषा में व्यक्त किए।
उन्होंने काशी नगरी एवं विद्वज्जनों की प्रशंसा करते हुए कहा कि काशी में एक ज्योति है इसी कारण लोग काशी को सर्वप्रकाशिका कहते हैं। यहाॅ वह ज्योति ज्ञान की ही ज्योति है जिसके प्रचार-प्रसार यहा के विद्वानों द्वारा हो रहा है। इसलिए यह नगरी सर्वप्रकाशिका के रूप में विख्यात है।
उन्होंने कहा कि हम लोग ब्रह्मलीन शंकराचार्य जी महाराज के आदेशानुसार यहाॅ पर बैठे हैं। उनका जो भी आदेश होता है उसका पालन ही हमारे जीवन का उद्देश्य है। पूर्व में भी श्रीविद्यामठ में शास्त्रार्थ सभा आयोजित होती रही है और आगे भी होती ही रहेगी।
सभा में प्रो. राजाराम त्रिपाठी जी द्वारा रचित महेश्वर सूत्र महिमा और दुर्गायन ग्रन्थ का विमोचन पूज्यपाद शंकराचार्य जी महाराज के कर-कमलों से समपन्न हुआ। इस बीच काशी विद्वत् परिषद् के पूर्व अध्यक्ष स्व. आचार्य पं रामयत्न शुक्ल जी का स्मरण भी किया गया।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से सर्वश्री:-प्रो. कमलेश झा जी,प्रो. राजनाथ त्रिपाठी जी,प्रो. राजाराम शुक्ला जी,सदा शिव कुमार द्विवेदी जी,उमेश चन्द्र दुबे जी,जय प्रकाश त्रिपाठी जी,धर्मदत्त चतुर्वेदी जी,कमलाकांत त्रिपाठी जी,शत्रुघन त्रिपाठी जी गोप बंधु मिश्रा जी आदि विद्वानों ने अपना उद्बोधन प्रस्तुत किया।
विद्वत सपर्या कार्यक्रम में प्रमुख रूप से चंद्रमा पाण्डेय जी,सिद्धदात्री भारद्वाज जी,बलराम त्रिपाठी जी,माधव जनार्दन रटाते जी,डॉ श्रीराम भट्ट जी,नीरज कुमार पाण्डेय जी,अवध राम पाण्डेय जी,अनंत भट्ट जी,गिरीश चन्द्र तिवारी जी,
विद्वज्जन उपस्थित रहे।
उक्त जानकारी शंकराचार्य जी महाराज के वाराणसी क्षेत्र के प्रेस प्रभारी सजंय पाण्डेय ने दी है।
कार्यक्रम का शुभारम्भ वैदिक मंगलाचरण से हुआ। आचार्य पतंजलि मिश्र जी व आचार्य परमेश्वर दत्त शुक्ल जी ने पं वीरेश्वर दातार जी के आचार्यत्त्व में पूज्यपाद शंकराचार्य जी का पादुका पूजन सम्पन्न किया। संचालन आचार्य डा रमाकान्त पाण्डेय जी ने किया।