देहरादून- परिवहन निगम को भविष्य में मुफ्त यात्रा की प्रतिपूर्ति के लिए संबंधित महकमों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने सचिव परिवहन व सचिव वित्त को मुफ्त यात्रा सुविधा की प्रतिपूर्ति के लिए परिवहन विभाग के अंतर्गत लेखा शीर्षक में शीर्षकवार बजट प्रावधान करने के निर्देश दिए हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने परिवहन निगम के प्रतिपूर्ति दावों को और मजबूत बनाने के लिए डायरेक्ट बेनेफिसरी ट्रांसफर (डीबीटी) व्यवस्था प्रभावी करने के लिए कार्ययोजना बनाने के भी निर्देश दिए हैं।
उत्तराखंड परिवहन निगम समय-समय पर सरकार की ओर से संचालित कल्याणकारी योजनाओं के अंतर्गत मुफ्त बस सेवा सुविधा देता है। स्थिति यह बनी हुई है कि अधिकांश विभाग इन सेवाओं के लिए परिवहन निगम का सहयोग लेने के बाद इसकी प्रतिपूर्ति नहीं कर पाते हैं। इसके लिए निगम को समय-समय पर शासन में दस्तक देकर संबंधित विभागों से भुगतान कराने का अनुरोध करना पड़ता है।
इस संबंध में इसी माह मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह की अध्यक्षता में बैठक हुई थी। अब इस बैठक का कार्यवृत जारी हो चुका है। बैठक में यह बात सामने आई कि निगम को वर्ष 2013 में आई आपदा के दौरान यात्रियों को दी गई मुफ्त यात्रा के अलावा अन्य तमाम योजनाओं के लिए 35 करोड़ से अधिक रुपये का भुगतान नहीं किया गया है। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि निगम की कमजोर माली हालात को देखते हुए सभी विभाग तत्काल इसका भुगतान सुनिश्चित करेंगे।
मुख्य सचिव की ओर से परिवहन निगम की प्रतिपूर्ति के लिए उठाए गए कदमों की रोडवेज इंप्लाइज यूनियन के महामंत्री रवि पचौरी ने सराहना करते हुए कहा कि इससे निगम को खासी राहत मिलेगी।
ये हैं लंबित भुगतान के मामले
– 65 वर्ष से अधिक वरिष्ठ नागरिकों को मुफ्त बस सेवा
– रुद्रप्रयाग से कलेक्ट्रेट और कलेक्ट्रेट से रुद्रप्रयाग की मुफ्त बस सेवा
– केदारनाथ आपदा के दौरान उत्तराखंड और अन्य प्रांतों के यात्रियों को मुफ्त यात्रा के जरिए उनके गंतव्य स्थानों पर पहुंचाना
– नेपाल के काठमांडू में आए भूकंप त्रासदी के दौरान परिवहन विभाग की ओर से उपलब्ध कराए गए वाहनों के खर्च की प्रतिपूर्ति का भुगतान
– विधानसभा निर्वाचन के प्रतिपूर्ति दावों के सापेक्ष काफी कम भुगतान
– छात्राओं, दिव्यांगजन एवं उनके सहवर्ती व बुजुर्गों को मुफ्त तीर्थाटन योजना का भुगतान