आज विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर हमें प्रेस की स्वतंत्रता के लिए किये गए त्याग और बलिदान देने वाले पत्रकार महापुरुषों को नमन करने का दिवस है ।इसके साथ साथ उनके किये गए प्रयास से समाज के प्रति जागरूक होने की जिम्मेदारी को बढ़ावा देने के सिद्धांतों को लेकर चलने के लिए शपथ लेनी चाहिए।
पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है, क्योंकि यह लोगों के विचारों को प्रभावित करने या परिवर्तित करने में अहम भूमिका निभाता है, लेकिन यहां यह भी ध्यान रखना है कि निष्पक्ष पत्रकारिता ही लोकतंत्र की मजबूती है। इसीलिए हर साल तीन मई को अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। भारत में प्रेस की स्वतंत्रता भारतीय संविधान के अनुच्छेद-19 में भारतीयों को दिए गए अभिव्यक्ति की आजादी के मूल अधिकार से सुनिश्चित होती है। आइए जानते हैं कि आखिर अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाया जाता है और इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई?
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श्री राम भजन
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क्यों मनाया जाता है यह दिन?
अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता स्वतंत्रता दिवस का उद्देश्य प्रेस यानी मीडिया की आजादी के महत्व के प्रति जागरूकता फैलाना है। साथ ही यह दिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बनाए रखने और उसका सम्मान करने की प्रतिबद्धता की बात भी करता है। यह दिन बताता है कि लोकतंत्र के मूल्यों की सुरक्षा और उसे बहाल करने में मीडिया अहम भूमिका निभाता है। इसलिए दुनियाभर की सरकारों को पत्रकारिता से जुड़े लोगों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करनी चाहिए।
क्या है इस साल की थीम?
हर साल यह दिन किसी थीम यानी विषय पर आधारित होता है और इस साल की विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस का विषय है- सूचना से जनकल्याण, जो जनहित कार्यों में सूचना के महत्व को दर्शाता है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेश ने इस दिवस पर दुनियाभर की सरकारों से ये आग्रह किया है कि वे स्वतंत्र, निष्पक्ष और विविध मीडिया को समर्थन देने का हर संभव प्रयास करें। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कई देशों में पत्रकारों और मीडियाकर्मियों को अपना दायित्व निभाते हुए प्रतिबंधों, उत्पीड़न, नजरबंदी और यहां तक की मौत के खतरे का भी सामना करना पड़ता है।
अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता स्वतंत्रता दिवस का इतिहास
साल 1991 में यूनेस्को और संयुक्त राष्ट्र के ‘जन सूचना विभाग’ ने मिलकर अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता स्वतंत्रता दिवस मनाने का फैसला किया था।’संयुक्त राष्ट्र महासभा’ ने भी तीन मई को यह दिवस की घोषणा की थी।
कोरोना का अभ्यास होने या होरहा है तो दोनों नाक में 3-3 बूंद निम्बू का रस डालिये बलगम सब 2 मिनट बाहर
कोविद का बचाव की रामबाण औषधि है
साल 1993 में यूनेस्को महासम्मेलन के 26वें सत्र में इससे संबंधित प्रस्ताव को स्वीकार किया गया था और तब से लेकर अब तक हर साल तीन मई को यह दिवस मनाया जाता है।
क्या होता है इस दिवस पर?
हर साल अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर तीन मई को यूनेस्को द्वारा ‘गिलेरमो कानो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम प्राइज’ दिया जाता है, जिसकी शुरुआत स्थापना के चार साल बाद
वर्ष 1997 में हुई थी। यह पुरस्कार प्रेस की स्वतंत्रता के लिए उल्लेखनीय कार्य करने वाले व्यक्ति या फिर संस्थान को दिया जाता है।
मनन करने का मौका है
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उत्तराखण्ड पत्रकार संघठन समन्वय समिति के संयोजक होने के नाते निवेदन।
देहरादून,मित्रों बड़े दुःख के साथ पत्रकार साथियों से व वेव मीडिया से जुड़े लोगों से अर्ज कर कहना चाहता हूँ कि हंसों के बीच बगुला की भी सुनेंगे तो अपने नीब के पत्थर के ऊपर नजर पड़ती रहेगी। तब लोकतंत्र के मकान के चौथे कोना सुरक्षित रहने के लिए अपनी कमियों की सुरक्षा के साथ साथ अन्य लोगों के दुख दूर करने का कार्य किया जा सकेगा ।
हम सबके भलाई के लिए जीते हैं।और अच्छा कार्य करने का कार्य करते हैं। उसीका परिणाम
है कि
उतने ज्यादा संघठनों का होना भी है।और अपनी हैसियत दिखाने के लिए आर्ट ऑफ अर्निंग का कार्यक्रम बनाते हुए हमारे मार्ग दर्शक संघठनों में तेतीस कोटि के देवता होगये हैं।
जिन्होंने पत्रकारिता की जागरूक करने के लिए व्यबहार की सारी रस्सी जला दी पर अहम की गांठ नहीं खुल रही है।
हम विश्व स्तर पर अपनी पहचान फिकवाल गंगा जल कलश “कावड़ “लेकर गंगोत्री गोमुख से दिल्ली तक विश्व शान्ति सद्भावना पद यात्रा अगस्त क्रांतिकारी माह में वर्ष 1991 में दर्ज कराने का सौभाग्य प्राप्त करने का अबसर गंगा माँ ने भगवान श्री बदरीविशाल की कृपा से मिला है।
हमने लखनऊ उत्तर प्रदेश के जमाने में वर्ष 1985 में टिहरी बांध में आवश्यकता से ज्यादा बिस्फोटक पदार्थ के प्रयोग से होने वाले नुकसान
के बारे में जागरूकता के साथ साथ
देव भूमि उत्तराखंड के ऊपर बांधों से वास्तविक विकास के लिए सेमिनार करनी चाही।
उत्तराखंड के बुद्धिजीवी वर्ग की बैठक करनी चाही।
आगे प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र के टिहरी गढ़वाल में सुखा पड़ेगा उसका असर उत्तराखण्ड में पड़ेगा ।
विकास पुरूष मा0 स्व नारायण दत्त तिवारी की सरकार में, मा0 कृषि मंत्री शिव बालक पासी थे।
प्रेस क्लब में मा0 स्व कुशला नंद उनियाल जी उत्तराखण्ड सरकार के माo कृषि मंत्री सुबोध उनियाल जी के चाचा श्री ने लखनऊ के जाने माने पत्रकार विद्यासागर जिन्होंने माया में स्टोरी लिख कर मा भजनलाल की सरकार को हरियाणा से चलते करा दिया था। अपने लोगों के साथ साथ । गिनती करने पर उस समय उत्तराखण्ड के बुद्धिजीवी वर्ग लखनऊ में 300 से ऊपर लेखक ,पत्रकार , चित्रकार प्रोफेसर,वैज्ञानिक, जज, आईएएस आईएफएस ,आईपीएस पीसीयस, वैज्ञानिक, इंजीनियर ,राज नेता निकलने से उसी वर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस की उत्तराखण्ड के वास्तविक पलायन रोकने की बैठक की योजना वह हंसी मजाक में उड़ाते निकलने वाली अन्य बुद्धिजीवियों की साथ नहीं देने से नहीं हो पाई।
क्यों कि पापी पेट है उसी की चिंता घर से दूर होती है।
हम इस चिन्ता से मुक्त रहे। परन्तु मनुष्य होने के नाते हमें अपनी कही हुई बात को मनाने के लिए प्रयास करते रहना चाहिए।
उसके बाद 1987 में टिहरी गढ़वाल सूखा पड़ा । उसका आंकलन कर उत्तराखण्ड के लोग कैसे जीवन यापन गावँ में करेंगे ।
प्रसिद्ध पर्यावरण विद श्री सुंदर लाल बहुगुणा जी के साथ स्विजरलैंड के अर्थशास्त्री एंव पत्रकार अक्टूबर में बहुद्देशीय विकास मेला कोटाल गावँ भदूरा प्रतापनगर में बुलाने से पहले सूखे पड़ने के पत्राचार के आधार पर प्रतापनगर में 40 kg गेहूँ बांटने का कार्य किया । वहां भी प्रत्येक घर में हम जैसे पत्रकार हैं ।यह योजना यहाँ के संघठनों को देखते हुए वहां भी उस समय सफल होने नहीं दी।
उन स्विट्जरलैंड के पत्रकार, अर्थशास्त्री ने चोंकाने वाली बात कही कि हमारे देश में कृत्रिमता से पर्यटन स्थल सु व्यबस्थित कर बनाये
गये हैं और यहाँ कुदरत ने प्रत्येक मनुष्य को बरबस बुलाने के लिए सुंदरता बिखेरी है । इसका सदुपयोग प्रचार प्रसार से किये जाने से यहाँ सभी प्रस्थिति में पर्यटकों को ,विश्व विद्यालय के पीयचडी करने वाले लोगों को थीसिस लिखने के लिए गावँ में उचित स्थान है।उनकी माने तो 16676 ग्रामों के मकानों, छानियों में 16,676×200 पर्यटकों को के रहने से 1000 रुपये / दिन की दर से 3,33,52,00000 रोज का रोजगार ग्रामीण क्षेत्रों को मिलेगा ,साथ ही शहरों में इसके अलावा होटलों धर्मशाला ओं का व्यापार होगा। वहीं देश मे प्रतिदिन$476457142 डॉलर विदेशी मुद्रा मिलेगी।
आपके द्वारा प्रदेश एवं देश का भविष्य उज्वल देखने के लिए जुलाई 2013 से अक्टूबर 2013 तक 11 बैठक करने , मा oविधायकों माo अध्यक्ष विधानसभा के द्वारा सरकार को संस्तुति कराने पर पत्रकारों के लिए बड़ा पेलटफार्म दिखाई देने से जहां अपने ऊर्जा के सदुपयोग से खुशी हो रही है।
वहीं बड़े कद के अहम से वहीं उनकी रावण की लंका बनाने के चलते मोह से पत्रकार कोरोना से काल के गास में समा गए।
पर दर्जनों अख़बार के मालिक बनना अच्छी बात है।पर अपने साथियों का एक अखबार भी सूचीबद कराने के लिए प्रयास करना चाहिए।
वहीं कल्याण कोष की बैठक नहीं करा सकना संघठनों को गौण बना देता है।
साथ ही लोकतंत्र में सरकार की विज्ञापन के लिए जी हजूरी करने से जनता का पक्ष गौण न हो वह काम करने के लिए आपको पत्र का रजिस्ट्रेशन नंबर मिला है।
हमें प्रदेश एवं सरकार को मजबूत बनाने के लिए काम करने की आवश्यकता है।और अपने को सरकार पर निर्भर नहीं रहने की आवश्यकता के लिए काम करने के लिए योजना पर काम करने की आवश्यकता है।
इसके लिए पुनः बैठक कर आप के विचार सुझाव लेने के लिए बिचार आरहा हैं ।स्वयं कोराना से पहले पीड़ित होचुका हूँ। उन बैठक में साथ देने वाले लोगों का प्रतिफल है कि आज 300 से ज्यादा पोर्टल अपना योगदान tv से पहले निशुल्क विश्व को समाचार दे रहे हैं । देेेश के
जागरूक होने के नाते श्रद्धालुओं एंव कर्मचारियों की पीड़ा को समझने के लिए भगवान बद्रीविशाल ने 2010 में बदरीनाथ बुलाया था।
तब से 2011 से श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर की व्यवस्था सुधारने के लिए सुझावों पर टोकन व्यबस्था का कार्य करने से यात्रा में बृद्धि हुई ।
चमोली
रुद्रप्रयाग से पांचों सीट जीतकर आने से सरकार बनी। कर्मचारी
चारी संघ के संरक्षक होने के नाते कर्मचारियों की समस्याओं के निराकरण के लिए 77 साल के इतिहास में प्रथम अधिवेशन कराने का वर्ष 2013 में सौभाग्य प्राप्त हुआ।
उस अल्प
प्रयास को भी नेता व कुछ लोग पचा नहीं पाए ,उसके परिणाम दिखाई दे रहे हैं। अब आपलोगों ने यह बैठक सफल करदी तो आपके सुझाव से प्रदेश एंव देश को विश्व गुरु बनाने से कोई रोक नहीं सकता है।
वह सौभाग्य आपको प्राप्त होगा। उस समय के सबसे बड़ा धन समय की कीमत है समझने का प्रयास करें। सभी पत्रकारों का बिवर्ण के लिए सॉप्टवेयर विकसित कर सभी के लिए विज्ञापन 5 लाख तक का सामान रूप से वितरण किया जाय ।
बाकी हमारे पूज्य साथी ,भागदौड़ करने वालों के खाते में स्वतः उसके ऊपर की विज्ञापन धन राशि चला जाय करेगी।
सभी का 25 लाख का जीवन बीमा सरकार द्वारा किया जाय ।कल्याण कोष में 2003 से बृद्धि नहीं हुई ।उसके बढ़ाते हुए प्रति वर्ष 1 करोड़ जमा किया जाय । कोरोना काल में कुंभ के अखड़ों को एक एक करोड़ रुपए दिया गया है। उतने ही रुपये में प्रत्येक गांव की वेबसाइट बनाने के लिए सरकार के धन का सदुपयोग हो सकेगा। का विषय है ।
उतराखण्ड के प्रत्येक गाँव के लिए वेबसाइट बनवाकर होम स्टे से रोजगार सृजित किया जाय ।पलायन रोका जाएगा। 13
जिलों के 110 तहसील, 18 उप तहसील ,95 विकास खंड 670 न्याय पंचायत,7950 ग्राम पंचायत में 16674 ग्राम 8 नगर निगम, 39 नगरपालिका परिषद,47 नगर पंचायत ,9 छावनी परिषद, 5 लोकसभा संसदीय क्षेत्र,70 विधानसभा क्षेत्र में 576 बड़े उधोग व हजरों छोटे उधोग 16 विश्वविद्यालय के सम्बद्ध स्नाकोत्तर महा, विद्यालय के प्रवेट विद्यालय ,बिल्डर, विकास प्राधिकरण
प्रमोशन व
नगर
में व्यबसाई करने वाले प्रतिष्ठानो
के विज्ञापन आपको एंव आने वाली पीढ़ी को पीढ़ी दर पीढ़ी मिलते रहेंगे। यह हमारीमंद बुद्धि का सबके हित मे सोचना है। इसको सफल बनाने के लिए सहयोग किजयेगा। तो 2013 के अल्प प्रयास से इतनी प्रगति करने की जिज्ञासा बढ़ा दी गई है तो सोचो आगे आपके किसी बात की कमी नहीं होगी।