पत्रकार समाज का दर्पण है और पत्रकारिता एक मिशन हैपत्रकार की ओर ध्यान सरकार नहीं रख रही है।सच्चाई से पत्रकारिता करना मुश्किल करदिया है। उत्तराखंड पत्रकार संघटन समन्वय समिति ने वर्ष 2013 जुलाई से राज्य स्थापना दिवस तक 11 बैठक पत्रकार संघटनो की सम्पन कर पत्र एवं पत्रकार के हित के लिए 20 सुझाव आये उन सुझावों पर पक्ष विपक्ष के विधायकों की संस्तुति ,विधानसभा अध्यक्ष ,उपाध्यक्ष की संस्तुति सरकार को भेजी गई उसपर आंशिक कार्यवाही हुई ।विधानसभा में संकल्प आया परन्तु अभीतक आगे की कार्यवाही नहीं हो पाई ।
सरकार गिरने चुनाव में हारने के बाद त्रिवेन्द्र सरकार में पत्रकारों के मान्यता प्राप्त प्रमाण पत्र कार्ड जारी नहीं करने से पत्रकार एवं पत्रिकारिता मिशन को धक्का देने का काम किया जा रहा है उत्तराखंड की बात करें तो पत्रकार ही है जो सही निष्कर्ष निकलता है।वह सही कार्य को बढ़ावा देने के लिए तैयार रहना चाहते हैं।उनकी समस्याओं के प्रति गम्भीरतापूर्वक सोच कर काम करने की जरूरत है ।कर्मचारियों का7वां वेतन लागू होगया सरकार ने विधायक, मंत्री की वेतन भते बढादिये।मजदूर ,पत्रकार की ओर ध्यान नहीं किया गया है यही देश के विकास की मुख्य कड़ी है ।पत्रकार को 55 साल से1500 पेंशन दिया जाना चाहिये । विधायक मण्डल की संस्तुतियों पर हर हाल कार्यवाही होनी चाहिएं तभी सदन के सदस्यों के प्रति जनता का विस्वास बढ़ेगा, लोकतंत्र जीवित रह सकता है।