तारीख 13 दिसंबर 2001, समय :सुबह 11 बजकर 28 मिनट, स्ठान- संसद भवन
इस दिन संसद में शीतकालीन सत्र चल रहा था। नेतागण संसद में मौजूद थे, किसी बात को लेकर पक्ष और विपक्ष में जबरदस्त हंगामे के बाद दोनों सदनों की कार्यवाही 40 मिनट के लिए स्थगित की जा चुकी थी। लेकिन इसी बीच संसद के बाहर गोलियों के तड़तड़ाहट ने सिर्फ संसद को नहीं बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। देश के सबसे बड़े मंदिर पर आंतकियों ने हमला बोल दिया था।आज उसी हमले की 17वीं बरसी है।13दिसम्बर 2001को संसद पर हुये हमले में देश की आन,बान,शान की रक्षा करते हुये शहीद हुये एम.एस.नेगी ,जेपी य़ादव सहित तमाम जवानो को उनकी बरसी पर नमन I अगर उस दिन ये जांबाज हमले को ना रोकते तो शायाद हमारे देश के संसद में बैठे सभी नेता या तो बंधक बन जाते या आतंकियो के निशाने पर आ जाते।
जवानों के शौर्य पराक्रम और वीरता के बूते ही लोकतंत्र का मंदिर सुरक्षित रहा,17 वर्ष पूर्व संसद हमले में देश की आन बान की रक्षा करते हुए शहीद हुए,वीर सपूतों ,
सुरक्षाकर्मी की इस शहादत को हर साल संसद में मौजूद मंत्रीगण याद करते हैं। आज भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित संसद के हर एक सदस्य ने श्रद्धांजलि दी। हमले की 17वीं बरसी पर, मोदी ने ट्विटर पर सुरक्षा कर्मियों के साहस को याद किया। उन्होंने कहा, ‘हम उन लोगों की बहादुरी को सलाम करते हैं, जिन्होंने 2001 में इसी दिन हमारे संसद पर हुए नृशंस हमले के दौरान शहीद हो गये थे। उनकी हिम्मत और वीरता हर भारतीय को प्रेरित करती है।’
परन्तु दुख तब होता है हमारी रा आदि सूचना तन्त्र जब इतना बडी खतरनाक योजना उग्रवादियों की जनकारी पहले साबित करने में नाकाम रही है तो यह लोकतांत्रिक मूल्यों सुरक्षा की चिंता है दोशी अधिकारीयों को सजा देने में क्यों चूक होरही है। यह प्रशन जनता 17 बर्षो में चाहते हैं।