जेल परिसर से बंदी हुआ फरार
Mafizu has run away from prison camp
रूड़की। आज सुबह करीब नौ बजे एक और बंदी जेल परिसर से फरार हो गया। बता दें कि अभी कुछ दिन पहले ही सीने में दर्द का बहाना बनाकर मुलजिम हवालात से फरार हो गया था।
वहीं आज सुबह बंदी के फरार होने से जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया है। हालांकि अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि बंदी किस अपराध में जेल गया था। वहीं, जेल प्रशासन भी कुछ भी बताने से इनकार कर रहा है।
सूत्रों की मानें तो जेल में सभी कर्मचारियों के मोबाइल जब्त कर लिए गए हैं। ताकि मामले की जानकारी बाहर न सके। मामले जेलर वीके द्विवेदी का कहना है कि उन्हें फिलहाल मामले की जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि वह जेल परिसर में जाकर ही कुछ बता पाएंगे।अभी कुछ दिन पहले ही चाकू के साथ गिरफ्तार किया गया मुलजिम सीने में दर्द का बहाना बनाकर हवालात खुलवाई और कोतवाली में पुलिसकर्मी को चकमा देकर फरार हो गया था। जिसने पुलिस की पकड़ में आने से पहले ही चोरी के मामले में जमानत तुड़वाकर लक्सर कोर्ट में सरेंडर कर दिया था।
गंगनहर कोतवाली क्षेत्र स्थित गांव तेलीवाला निवासी रईस पुत्र नसीम को पुलिस ने पाड़ली गुर्जर के पास को चाकू के साथ गिरफ्तार किया था। पुलिस ने रईस के खिलाफ आर्म्स एक्ट में केस दर्ज कर लिया था। साथ ही उसे हवालात में बंद कर दिया था। पिछले गुरुवार को सुबह रईस ने कोतवाली में एक पुलिसकर्मी से सीने में तेज दर्ज होने की बात कही। इस पर पुलिसकर्मी ने उसे हवालात का दरवाजा खोलकर बाहर बैठा दिया। इस बीच आरोपी चकमा देकर कोतवाली से फरार हो गया था।
दून में नदियों के किनारे करीब 95 अवैध बस्तियां
रिस्पना के पुनर्जीवन के लिए अवैध बस्तियों पर हो सकती है कार्यवाही
देहरादून। राजधानी देहरादून में नदियों के किनारे करीब 95 अवैध बस्तियां हैं, जिनमें करीब 30 हजार से ज्यादा लोग रहते हैं। रिस्पना का पुनर्जीवन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल है। साथ ही हाईकोर्ट ने एक बार फिर रिस्पना में हुए अतिक्रमण को लेकर सरकार, एमडीडीए, नगर निगम, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला प्रशासन से 3 सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है। ऐसे में उम्मीद की जा रही कि सरकार वोट बैंक की गणित को छोड़ हाईकोर्ट के आदेश का पालन कर रिस्पना की बिगड़ी सूरत को संवारने का काम करेगी. इस पर अब सवाल कांग्रेस भी उठाने लगे हैं।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद जिला प्रशासन रिस्पना नदी के किनारे बसे तमाम अवैध भवनों को नोटिस जारी करने जा रही है। इससे एक बार फिर रिस्पना नदी के पुनर्जीवित होने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। कोर्ट के आदेश के बाद अब रिस्पना नदी के किनारे बसे तमाम अवैध भवनों को नोटिस जारी होगा। अगर सब कुछ ठीक रहा तो रिस्पना नदी अपने पुराने स्वरूप में जल्द ही नजर आएगी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद जिला प्रशासन हरकत में आ गया है। इससे एक बार फिर रिस्पना नदी के पुनर्जीवित होने की उम्मीदें बढ़ गई हैं, लेकिन इसके साथ ही अब सियासत भी गर्माने लगी है।
पिछले साल हाईकोर्ट के आदेश पर प्रशासन ने चिह्नीकरण कर अतिक्रमण की कार्रवाई की थी। इसमें छोटे-बड़े करीब 11 हजार से ज्यादा अतिक्रमण पर लाल निशान लगाए थे। हालांकि बाद में सरकार ने यहां बसी बस्ती को सुरक्षित रखने के लिए अध्यादेश लाते हुए यह कार्रवाई रोक दी थी। प्रशासन एक बार फिर कोर्ट के आदेशों के तहत रिस्पना के पुनर्जीवन के लिए अवैध बस्ती पर कार्रवाई करने जा रहा है। मामले की जानकारी डीएम सी. रविशंकर ने दी है।
अनियोजित खनन के कारण नदियों में मछलियों का संसार खतरे में
देहरादून। सूबे में मछलियों के खूबसूरत संसार पर अनिजोजित खनन से ग्रहण लग गया है। राज्य की नदियों में लगातार बढ़ते खनन क्षेत्र की वजह से मछलियों का संसार खतरे में हैं। मछलियों पर रिसर्च कर रहे देश के सबसे बड़े वैज्ञानिकों ने चेतावनी जारी की है कि खनन से उत्तराखंड की 258 मछलियों के संसार पर खतरा मंडरा रहा है। परेशान करने वाली बात तो यह है कि खनन से प्रभावित मछलियां अंडे तक नहीं दे पा रही हैं।
उत्तराखंड की कल-कल करती नदियों में एक नया संकट मंडरा रहा है और वह खतरा है इन नदियों को हमेशा जीवंत रखने वाली इन मछलियों के संसार पर जो अवैध खनन के कारण उजड़ने की ओर है। प्रदेश की छोटी-बड़ी नदियों में कुल मिलाकर 258 तरह की मछलियां पाई जाती हैं। हिमालयी नदियों में मछलियों पर रिसर्च के लिए बने भारत सरकार के संस्थान डायरक्टरेट ऑफ कोल्ड वाटर फिशरीज रिसर्च के वैज्ञानिकों ने इन मछलियों पर खतरा जताया है। डीसीएफआर के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉक्टर आरएस पतियाल बताते हैं कि भूस्खलन की वजह से मछलियों के प्राकृतिक निवास तो कम हुए ही हैं। उनकी फूड चेन भी गड़बड़ा गई है। इसकी वजह से इन मछलियों के अस्तित्व पर ही संकट आ गया है।
संस्थान के कार्यकारी निदेशक डॉक्टर देबाजीत सर्मा भी नदियों में लगातार हो रहे खनन के कारण पैदा हुए इस खतरे की तस्दीक करते हैं। वह कहते हैं कि पहले से ही खतरे के साए में आ चुकी हिमालयी नदियों की शान गोल्डन महाशीर के लिए यह बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। वैज्ञानिक यह भी मानते हैं कि अकेला खनन ही मचलती मछलियों के संसार को खतरे में डालने का जिम्मेदार नहीं बल्कि इसके साथ ही प्रदूषण, मछलियों का अवैध तरीके से शिकार और विस्फोटकों का इस्तेमाल भी इसकी बड़ी वजह हो सकता है। इस सबसे अगर जल्द नहीं संभले तो वह दिन दूर नहीं जब मछलियां केवल एक्वेरियम में ही नजर आएंगी