*रामा गौ के संरक्षण और संवर्धन को अपना नैतिक दायित्व मानें : जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानन्द: सरस्वती*
-ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामि श्री अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज ने स्वैक्षिक मेला बंदी का किया आह्वाहन।
– माघ मेला क्षेत्र में शङ्कराचार्य शिविर के समक्ष आस्थावानों ने पांच मिनट का मौन रखा, फिर किया ‘राष्ट्रमाता गौमाता की जय हो’ का घोष
प्रयागराज माघ मेला क्षेत्र।
7 फरवरी बुधवार का दिन स्वतः स्फूर्त ‘गौ माता राष्ट्र माता प्रतिष्ठा आंदोलन’ द्वारा मेला बंदी के लिए नियत किया गया था। जिसके तहत परमाराध्य परमधर्माधीश ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानन्द: सरस्वती ‘1008’ जी महाराज के आह्वाहन पर प्रयागराज माघ मेला क्षेत्र में स्वैक्षिक मेलाबन्दी की गयी। उन्होंने सभी कल्पवासियों, शिविराचार्यों, संतों महात्माओं से अपील की कि मेला क्षेत्र में लगे सभी शिविरों में से लोग गौमाता के सम्मान में अपने अपने शिविर द्वार के बाहर निकल कर कम से कम पांच मिनट के लिए मौन खड़े होंगे। ‘राष्ट्रमाता गौमाता की जय हो’ के नारे से मौन भंग करेंगे। स्वैक्षिक मेला बंदी के माध्यम से महाराजश्री मानते हैं कि गत मंगलवार को हुई प्रथम गौ संसद के निर्णयों की पुष्टि आम जन मानस द्वारा स्वतः अनुसरण में लायी जाये इसलिए उन्होंने आदेश नहीं दिया बल्कि आग्रह किया। इसका असर भी मेलाक्षेत्र में देखने को मिला। दोपहर 12 बजे शंकराचार्य शिविर के बाहर श्रद्धालुओं की भीड़ इकट्ठी हुई जिसे जगद्गुरु महाराज ने अपनी पर्णकुटी से संबोधित किया और आशीर्वाद भी दिया।
परमाराध्य परमधर्माधीश ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानन्द: सरस्वती ‘1008’ जी महाराज ने अपने विशेष संदेश में कहा कि प्रथम गौ संसद में पारित प्रस्तावों के प्रत्येक बिंदु पर सनातनी समाज को चिंतन-मनन करके उसे आचरण में उतारना होगा। रामा गौ को राष्ट्रमाता के आसन पर विराजमान कराने की दिशा में यह सनातनियों का पहला कदम होगा। जब तक पहला कदम नहीं बढ़ेगा तब तक लक्ष्य तक पहुंचने की शुरुआत नहीं होगी। जितनी जल्दी पहला कदम बढ़ा लिया जाएगा उतनी जल्दी लक्ष्य प्राप्ति के लिए आवश्यक अन्य कदम भी बढ़ाने की शुरुआत हो जाएगी। रामा गौ के संरक्षण और संवर्धन को हम सब को अपना नैतिक दायित्व मान कर इस दिशा में प्रवृत्त होना होगा। जब हिंदू समाज का बच्चा-बच्चा रामा गौ के पक्ष में खड़ा हो जाएगा तो उसकी आवाज को दबाना किसी के लिए भी सम्भव नहीं होगा। इस आवाज में जितनी अधिक शक्ति होगी रामा गौ के राष्ट्रमाता के आसन पर विराजमान होने की सम्भावना उतनी ही बलवती होती जाएगी। आगामी नवसंवत्सर के आरंभ होने से पहले सभी आस्थावान हिंदू अपने-अपने क्षेत्र में उन लोगों को चिह्नित करें जो गो हत्या का महापाप कर रहे हैं। गोहत्यारे व्यक्ति या संस्थाओं का सहयोग और समर्थन करने वाला भी गौहत्या के पाप का भागी होता है। सरकार बनाकर गोहत्या करने वाले राजनीतिक दलों को वोट देना भी मतदाता को गोहत्या का पाप लगाता है। अतः समस्त सनातनी हिन्दुओं को गौधर्मादेश द्वारा आदेशित किया जाता है कि वे उन्हीं राजनीतिक दलों को वोट दें जिन्होंने शपथपत्र द्वारा स्पष्ट सार्वजनिक उद्घोष कर दिया हो कि सरकार बनते ही पहला निर्णय रामा गो के सम्मान और अभयदान का करेंगे। उन्होंने कहा कि भारतीय नस्ल की एक गाय छह लोगों के एक परिवार का पालन करने की क्षमता रखती है। स्वदेशी रामा गौ से प्राप्त होने वाला दूध ही नहीं गोमूत्र और गोबर भी परिवार को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने में बहुत ही सहायक है।
आंदोलन के श्रीगणेश के बाद महाराज श्रीका प्रयागराज के मेला क्षेत्र में अंतिम दो दिन का ही प्रवास शेष है जिसमे आठ फरवरी को शिविर के पंडाल में उपस्थित शाद्धालुओं को प्रयाग क्षेत्र में माघ माहात्म्य विषय पर शंकराचार्य महाराज जी के श्रीमुख से कथा श्रवण का सुख प्राप्त होगा।
उक्त जानकारी परमाराध्य परमधर्माधीश ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य जी महाराज के मीडिया प्रभारी सजंय पाण्डेय के माध्यम से प्राप्त हुई है।