टिहरी, जीतमणि पैन्यूली चंद्रशेखर पैन्यूली , प्रतापनगर ऊंची पहाड़ियों पर हुआ हिमपात,सेम मुखेम,प्रतापनगर 8000 फीट ऊंची केमुण्डाखाल 2020 मीटर ,आबकी,भेखलतखाल5500 फिट ऊंचाई नमें गिरी बर्फ,बारिश भी लगातार जारी,मौसम हुआ काफी ठंडा भदूरा लिखवार गावँ से देखें नजारा
इस प्रकृति के सुंदर नजारे को देखने के लिए शैलानियों की भीड़ शिमला ,मसूरी, नैनीताल के बजाय प्रतापनगर, रोनिया उनाल गाँव ,सेमनागराजा मुखेम, दिनदयाली देवी बुड़कोट,मौल्या, नचिकेता ताल, ओणेश्वर ,कोटेश्वर ,थकलेश्वर तामेश्वर,
खैट पर्वत ,केमुण्डा खाल ,भेकलत खाल ,चौरंगी खाल, पनियाला ,जोगथ ,चंबा से कमांन,थौलधार तक पर्यटकों ,तीर्थ यात्रियों को लाया जा सकता है। उत्तराखंड के गांधी स्व इंद्रमणि बडोनी जी ने खतलिंग यात्रा वर्ष 1973 -74 सुरु की है ।आज वहां पर्यटक महोत्सव मनाया जाता है।साथ ही विश्व नाथ मेले को बढ़ावा दिया अब उनकी डोली भ्रमण पूर्व मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी कराते आरहे हैं।वर्ष 1973 में कोटेश्वर मेले को हमारे द्वारा आर्थिक अभाव में पुनःप्रारम्भ किया गया था।आज बृहद रूप से मनाया जाने से काफी लोगों को रोजगार मिल रहा है। वर्ष 1985 में टिहरी बांध निर्माण में बे हिसाब से विस्फोटक सामग्री फूखने से बातावरण में तापमान बढ़ने से सूखे पड़ ने के आसार दिखाई दिये।जिसके बारे में उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री शिव बालक पासी जी को लिखा गया था।उनके द्वारा सूखे पड़ने पर मौखिक रूप से निराकरण की बात कही गई थी।वर्ष1986- 87 में सूखा पड़ा।उससमयवर्ष1985 में की गई कार्यवाही के फलस्वरूप अगस्त87 में 40 kg गेहूं भदूरा मेंप्रतिपरिवार बाटें ही थे कि जनता ने मन मर्जी से अव्यवस्था फैलाने के चलते अन्य जगहों पर बांटने के लिए प्रशासन से हम कुछ नहीं कह सके।
उस सूखे समय पर लिखवार गाँव मोटर मार्ग पर हमारे मकान की नीब खोदने पर 35 LPM पानी का श्रोत फूट पड़ा विष्णु भगवान प्रगट होकर हमें मानव धर्म को बनाये रखने के लिए संघर्षरत रहने की प्रेरणा देते हुए
आज भी विद्यमान होकर चल रहा है। मानो उस भयंकर सूखे के अकाल में हमें तीर्थ स्थल मिला है जहां हजारों हजार लोगों ने अपनी प्यास की हल्क शांत कर रहे हैं। हमने सोचा यहां कैसे जीवन मे गुजर बसर करेंगे पर्यटन व्यवसाय ही यहां हमें रोजगार देसकता है ।यह सोचा और इसकी सम्भवनाये की जानकारी के लिए स्विट्जरलैंड के अर्थ शास्त्री एंव पत्रकार मेहमान बुलाये गये वह द्वय सपत्निक
पत्रकार व अर्थशास्त्री पर्यावरण विद सुंदर लाल बहुगुणा जी के साथ आये । उन महिला ने मेरी पत्नी श्रीमती सुशील देवी के साथ चूल्हे पर मंडवा की रोटियां बनाई। ओर आत्मीयता से खाई ।मनमें हमने इस इलाके के सूखे होने पर यहां जीवन यापन करने के लिए मूल्यांकन करना जरूरी समझा। इसके शोध के लिए उन्हें बुलाया गया । उन्होंने यहां चिंतन करते हुए लोगों को रोजगार के लिए जो राय व्यक्त की है ।
वह बहुमूल्य है कि हमारी (छाने ) गौशाला गावँ से अलग है ।उनमें बर्षा ऋतु में हम पशुपालन करते हैं। उसमें आधुनिक बाथरूम हो और सुरक्षा का माहौल एरिया में हो जाय तो प्रत्येक गाँव मे 9 माह तक शैलानियों के साथ साथ पढ़ाई करने पीएचडी करने वाले लोग दुनिया से बुलाया जासकता है। वह आसकते है ।जिससे हमारी आय होसकती है। हमें और हमारी संस्कृति को जीवित रखने के लिए हमें ही सकारात्मक प्रयास करने की आवश्यकता है । प्रत्येक प्रधान छेत्र पंचायत सदस्य अपनी जुमेदारी से छेत्र के विकास के लिए सोचे। रोजगार को बढ़ावा देने के लिए बेबसाइट बना कर सहयोग कर इलाके के लोगों को रोजगार के अबसर बढ़ाने में सहयोग करें।
वर्ष1954 में कम पढें लिखे छेत्र के जगरूक प्रधानो के सहयोग से लोगों ने उद्यान लगा कर एशिया के फलो की सेमिनार में पावा माजफ के सेव ने प्रतापनगर को पहचान दिलाई। वह समय 1970 के दशक तक पैदल का जमाना था ।आज साधन सम्पन है आई टी का जमाना है।और हम पीछे पीछे रह रहे हैं । इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है ।यहां के लिए हमारे ज्ञान को कर्म में बदलने के लिए इच्छा शक्ति को बढ़ावा देने की जरूरत है।
अब तक वहां प्रतापनगर में जूं की डर से झगुली छोड़ने वाले अपने स्वार्थ के लिए प्रतिनिधि बने। वहाँ से निकलने में फायदा समझ रहे हैं। उन्हें ही प्रतिनिधि बनाया गया है और बनाते गये हैं। वह रुपये कमा कर पलायन कर रहे हैं।एरिया के खुशहाली के लिए संघर्ष करने वाले संघर्ष शील अपना कार्य करने में लगे हैं।उनकी हजार किलोवाट की ऊर्जा छमता के बाहर पेण्ट करने वाले लोगों को पहचान कर उनको समझाने में ही उनकी बुद्धि का छेत्र के विकास के लिए उपयोग में लाया जासकता है। प्रतापनगर में होमस्टे पर जोर देकर उनके
निर्माण कर, रोजगार बढ़ेगा ।ट्रैकिंग ,मछली का आखेट के पर्यटकों का भी जलकुर के आसपास के गावँ में अपनी सुरक्षा को देखते हुए रहने का मन बनाएंगे ।अनेकानेक सुगन्धित ऑयल ऑर्गेनिक विधि से घर पर निकाला जा सकता है।इसके लिए हमें प्रयास करते रहना चाहिए। आदमी के संस्कार बदलने के लिए धैर्य ,सहनशीलता की आवश्यकता होती है । हमारे पास दुनिया के लोग आएंगे बस आपको अपने आप को अच्छा करने के लिए समझने की जरूरत है। आपको जानकारी देते हुए कहना है कि वर्ष 2012 में श्रीबद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति ने पहाडोंकीगूँज समाचार पत्र की खबर का संज्ञान लेकर यात्रियों के लिए मंदिर में दर्शन करने के लिए टुकन व्यबस्था लागू कीगईं ।इस व्यबस्था से यात्री अपने समय से मंदिर में दर्शन करने लगे।आस पास के स्थानों पर जाने का मौका मिला ,खरीददारी से स्थानीय लोगों को रोजगार बढ़ा । मंदिर में दर्शन करने के लिए की गई व्यबस्था से अच्छा सन्देश देश में गया।वर्ष 2013 से यात्रियों की संख्या बढ़ने लगी। यात्रा करने वाले लोगों ने व्यबस्था का अच्छा सन्देश दिया। यात्रा में बृद्धि होने लगी प्रदेश व देश मे उत्तराखंड के विश्वप्रसिद्ध मंदिर बद्रीनाथ केदारनाथ की व्यबस्था से रोजगार का सृजन हुआ ।
मनन करने से हमें मनुष्य कहते हैं ।शब्द ही ब्रह्म है जो हमें अच्छे कार्य करने के लिए चिंतन मनन करने के लिए प्रेरणा देसकता है। आप जनप्रतिनिधियों को लम्बगांव में ,ओखला खाल में ,रजा खेत में, सेमेडीधार में जन प्रतिनिधियों को बुलाकर बांध के कारण नर्क का जीवन जीने को मजबूर हैं उसे दृढ़ इच्छा शक्ति से संवारा जा सकेगा यह पहाडोंकीगूँज का मानना है।आपको नव वर्ष में नये सृजनात्मक कार्य करने के लिए भगवान बटुक भैरव,सेमनागराजा , बदरीविशाल सहायता करें।
दोबारा चांठी पुल