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पूजा में आसान का महत्व जानिए

Pahado Ki Goonj

 

पूजा में आसान का महत्व

हमारे महानऋषियों के अनुसार जिस स्थान पर प्रभुको बिठाया जाता है,उसे दर्भासन कहते हैं और जिसपर स्वयं साधक बैठता है, उसे पूजा कर्म करने का आसन कहते हैं, योगियों की भाषा में यह शरीर भी एक आसन ही है,प्रभु के भजन मे इसे समर्पित सबसे बड़ी पूजा अर्चना है*जैसा देव वैसा भेष* वाली बात भक्त को अपने इष्ट के समीप पहुंचता है,
1:- पूजा कभी भी जमीन पर बैठ कर नही करनी चाहिए,ऐसा करने पर पूजा का पुण्य का कर्म भूमि को चला जाता है l
2:- नंगे पैर पूजा करना भी अनुचित है,हो सके तो पूजा का आसन बिछाने वाला वस्त्र अलग जो हमेशा सुध रहे l
3:- लकड़ी की चौकी,घासफूस से बनी चटाई पत्तों से बने आसन पर बैठकर भक्त को मानसिक अस्थिरता,बुद्धि विक्षेप,चित विभ्रम, उच्चाटन,रोग शोक आदि उत्पन्न करते हैं,
4:- अपना आसन,माला आदि किसी को नहीं देने चाहिए,इससे पुण्य क्षय हो जाता है,
(निम्न आसनों का विशेष महत्व है,)
1 , कम्बल का आसन :-कंबल के आए पर बैठ कर पूजा करना सर्वश्रेष्ठ कहा गया है,लाल रंग का कम्बल मां भगवती,लक्ष्मी,हनुमानजी आदि की पूजा के लिऐ तो सर्वोतम माना जाता है,आसन हमेशा चौकोर होना चाहिए,कंबल के आए के अभाव में कपड़े का या रेशमी आसान चल सकता है,
2 कुश का आसन:- योगियों के लिऐ यह आसन सर्वश्रेष्ठ है,एक कुश नामक घास से बनाया जाता है,जो भगवान के शरीर से उत्पन्न हुई है,इस पर बैठकर पूजा करने से सर्वसिद्धि मिलती है l
विशेष:- पिंड श्राद्ध इत्यादि के कार्यों में कुश का आसन का प्रयोग सर्व श्रेष्ठ माना गया है,
*स्त्रियों को कुश का आसन प्रयोग में नही लाना चाहिए,इससे अनिष्ट हो सकते हैं*
किसी भी मंत्र को सिद्ध करने के लिऐ कुश का आसन सबसे अधिक प्रभावी है l
3,मृगचर्म आसन :- यह ब्रह्मचर्य,ज्ञान,वैराग्य, सिद्धि शांति एवं मोक्ष प्रदान करने वाला सर्वश्रष्ट आसन है,इस पर बैठने से इंद्रियां संयमित रहती है,कीड़े मकोड़े,रक्त विकार,वायु -पित विकार आदि से साधक की रक्षा करता है l यह शरीर ऊर्जा भी प्रदान करता है,
4, व्याघ्र चर्म आसन:- इस आसन का प्रयोग बड़े -बड़े यति,योगी तथा साधु -महात्मा एवं स्वयं भगवान शंकर करते हैं,यह आसन सात्विक गुण,धन -वैभव,भू संपदा,पद -प्रतिष्टा आदि प्रदान करता है,आसन पर बैठने से पूर्व आसन पूजन करना चाहिए या एक एक चम्मच जल एवं एक फूल आसन के नीचे अवश्य चढ़ाना चाहिए l आसन देवता से प्रार्थना करनी चाहिए कि मैं जब तक आपके ऊपर बैठकर पूजा करू तब तक आप मेरी रक्षा करे तथा मुझे सिद्धि प्रदान करें,
*पूजा आसन विनियोग का विशेष महत्व है*
पूजा के बाद अपने आसन को मोड़कर रख देना चाहिए,किसी को प्रयोग के लिए नही देना चाहिए…!!
जय श्रीराम, जय श्रीराम, जय श्रीराम,
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे,

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