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जय श्री बद्रीविशाल “सुभाषित”

Pahado Ki Goonj

*सुभाषित*

*विद्या मित्रं प्रवासे च भार्या मित्रं गृहेषु च |*
*व्याधितस्यौषधं मित्रं धर्मो मित्रं मृतस्य च ||*

अर्थात

विदेश में निवास करते समय किसी व्यक्ति की विद्वत्ता ही कठिन समय में उसके एक मित्र के समान सहायक होती है , तथा गृहस्थ जीवन में किसी व्यक्ति की पत्नी उसके मित्र के समान होती है | किसी व्याधि (बीमारी) से ग्रस्त होने की स्थिति में औषधि एक मित्र के समान सहायक होती है , तथा मनुष्य की मृत्यु होने पर उसका धार्मिक आचरण ही एक मित्र के समान परलोक उसका साथ देता है |

*सुप्रभात*
*आपका दिन मंगलमय हो*

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