नई दिल्ली। कोरोना वायरस को लेकर भारत को बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। भारत में लगातार सामने आ रहे कोरोना संक्रमित मरीजों में वैज्ञानिकों ने न सिर्फ स्ट्रेन की पहचान कर ली है, बल्कि उसे आइसोलेट (पृथक) करने में भी सफलता हासिल की है। इस उपलब्धि के बाद वायरस की जांच के लिए किट बनाने, दवा का पता लगाने और टीके का शोध करने में काफी मदद मिल सकेगी। पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ विरोलॉजी के वैज्ञानिकों ने कोरोना को पृथक कर लिया है।
अभी तक अमेरिका, जापान, थाईलैंड और चीन ही दुनिया में चार ऐसे देश हैं, जिन्हें ये कामयाबी मिली है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वैज्ञानिकों ने जयपुर और आगरा के संक्रमित मरीजों में स्ट्रेन को पृथक करने के बाद उसकी वुहान के स्ट्रेन से जांच की है। भारतीय मरीजों में मिला स्ट्रेन वुहान जैसा ही है। इन दोनों में 99.98 फीसदी की समानता मिली है।
दरअसल कोरोना वायरस के अब तक भारत में 81 संक्रमित मरीज मिल चुके हैं। इनमें 17 विदेशी नागरिक भी शामिल हैं। ज्यादातर संक्रमित मरीज ऐसे हैं जो बाहरी देशों की यात्रा करके हाल ही में लौटे हैं। इन लोगों के संपर्क में आने वाले कुछ ही फीसदी संक्रमित हुए हैं। अभी तक कोरोना वायरस की जांच के लिए देशभर में 65 प्रयोगशालाएं काम कर रही हैं। आईसीएमआर की डॉक्टर निवेदिता के मुताबिक, एक प्रयोगशाला की क्षमता करीब 90 नमूनों की जांच करना है। अब तक 5900 लोगों के 6500 नमूनों की जांच हो चुकी है जिसमें 81 पॉजिटिव केस मिले हैं।
आईसीएमआर पुणे की वैज्ञानिक प्रिया अब्राहम ने बताया कि कोरोना वायरस को पृथक करने में भारत को सबसे बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। इस महामारी से बचाव के लिए भारत ने पहला चरण पार कर लिया है। उन्होंने बताया कि जयपुर में मिले इटली के नागरिकों और आगरा के छह मरीजों में वायरस की जांच करने के बाद स्ट्रेन को आइसोलेट किया गया। साथ ही उस स्ट्रेन का वुहान में मिलने वाले स्ट्रेन से मिलान किया गया, इनके बीच समानता मिली है। किसी भी महामारी को रोकने के लिए उसके वायरस की पहचान होना जरूरी होता है। ये एक प्रकार से पहला चरण होता है जिसके बाद टीके और उपचार आदि को लेकर काम किया जाता है। आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने इसे वैज्ञानिकों की बड़ी कामयाबी मानते हुए कहा कि वायरस को पृथक करने वाला भारत दुनिया का पांचवां देश बन गया है। अब कोरोना वायरस का टीका खोजने की दिशा में वैज्ञानिक आगे बढ़ सकेंगे। उन्होंने ये भी बताया कि इस वक्त लोगों के सहयोग की जरूरत है। अगर सब कुछ नियंत्रण में रहा तो 30 दिन के भीतर हम कोरोना को यहीं पर रोक देंगे।