हरिद्वार। कुंभ का पहला शाही स्नान महाशिवरात्रि पर 11 मार्च को सकुशल संपन्न हो गया, लेकिन साधु-संतों की नाराजगी अभी भी बनी हुई है। साधुं-संत लगातार हरिद्वार कुंभ को लेकर जारी की गई एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) का विरोध कर रहे है। क्योंकि एसओपी में भजन कीर्तन पर पाबंदी लगाई गई है। इसके अलावा श्रद्धालुओं पर भी कई तरह की पाबंदियां है। साधु-संतों ने नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से मांग की है कि वे जल्द ही इसका समाधान निकाले. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि ने कहा कि इस मामले पर जल्द ही उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री से वार्ता की जाएगी। जयराम आश्रम के पीठाधीश्वर ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी का कहना है कि 12 साल में एक बार आने वाले कुंभ का पूरी दुनिया इंतजार करती है, लेकिन हरिद्वार कुंभ के लिए जारी गई एसओपी के कारण श्रद्धालु हरिद्वार नहीं आ पा रहे हैं। क्योंकि उन पर कई पाबंदिया लगाई गई है। श्रद्धालुओं की भावना से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। श्रद्धालुओं के लिए सभी प्रकार की व्यवस्था होनी चाहिए। अगर कोरोना के डर से उनको हरिद्वार नहीं आने दिया जाएगा तो उनके मन को ठेस पहुंचेगी। एसओजी में कथा-भागवत करने पर प्रतिबंध लगाया गया है। अगर धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं होगे तो फिर कुंभ का क्या महत्व है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद से भी निवेदन किया गया कि वह इस मामले में सरकार से वार्ता करें, ताकि आने वाले शाही स्नान में बॉर्डर पर श्रद्धालुओं परेशान न किया जाए। निर्मल अखाड़े के महन्त अमनदीप सिंह ने भी एसओपी का विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि कुंभ राशियों के हिसाब से लगता है। हिंदू धर्म के लिए कुंभ का काफी महत्व होता है, लेकिन सरकार की तरफ से इसे विफल किया जा रहा है। सरकार को धार्मिक अनुष्ठानों पर रोक हटनी चाहिए। जब प्रयागराज और वृंदावन में धार्मिक अनुष्ठान किए जा रहे हैं, तो हरिद्वार में क्यों पाबंदी लगाई गई है। कोरोना महामारी का प्रभाव केवल उत्तराखंड में आयोजित कुंभ मेले पर है? दूसरे राज्यों में क्या कोरोना महामारी का कोई प्रभाव नहीं है?स्वर्गीय जगतगुरु हंस देवाचार्य के शिष्य महंत अरुण दास महाराज ने भी अपनी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं होंगे तो लोगों का कल्याण कैसे होगा। उन्होंने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से मांग की है कि वे पूर्व मुख्यमंत्री की तरफ से जारी एसओपी का खारिज करें। जब उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में माघ माह के अंदर मेला और वृंदावन में कुंभ मेले का भव्य सफल आयोजन किया जा सकता है तो फिर उत्तराखंड में कुंभ मेले का भव्य और दिव्य आयोजन क्यों नहीं किया जा सकता हैं। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि ने कहा कि कुंभ मेले को लेकर कुछ नियम बनाए गए हैं। उसमें कथा-भागवत और पंडाल नहीं लगाए जाएंगे। इसको लेकर वे मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से बात करेंगे। और उनसे मांग करेंगे की इस तरह की पाबंदियों को हटाया जाए। उन्हें उम्मीद है कि नए मुख्यमंत्री इन पाबंदियों को हटाएंगे। क्योंकि वह धर्म के प्रति आस्था रखते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भी अच्छे थे, मगर वह अधिकारियों के चंगुल में आ गए थे। उन्होंने कहा कि वे मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से अनुरोध करेंगे की हरिद्वार में एक-दो अधिकारी हैं, उनका हटाए जाए। हरिद्वार नगर निगम के मुख्य नगर आयुक्त बिल्कुल ही निष्क्रिय उनको तुरंत हटाया जाए। क्योंकि मुख्य नगर आयुक्त को सफाई से कोई मतलब नहीं है। ऐसे अधिकारियों पर मुख्यमंत्री को ध्यान देना चाहिए।