नैनीताल : महिला सिविल जज के घर से किशोरी को मुक्त कराए जाने के मामले को नैनीताल उच्च न्यायालय ने गंभीरता से लिया है। मामले में हाईकोर्ट ने हरिद्वार की सिविल जज दीपाली शर्मा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। उन्हें जिला एवं सत्र न्यायाधीश टिहरी के कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है। इधर, किशोरी को हरिद्वार में बाल कल्याण समिति के संरक्षण में रखा गया है, बगैर आइडी के उससे मिलने पहुंचे पिता को समिति ने बैरंग लौटा दिया।
हरिद्वार के जिला जज राजेंद्र सिंह की रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट ने सिविल जज के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की। दो रोज पहले जिला जज ने पुलिस और बाल कल्याण परिषद के पदाधिकारियों को साथ लेकर सिविज जज के आवास से नैनीताल की तेरह साल की एक किशोरी को मुक्त कराया था। एक शिकायत पर संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने जिला जज को यह कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे।
जिला जज ने खुद अपनी मौजूदगी में किशोरी का सरकारी अस्पताल में मेडिकल कराया, जिसमें उसके शरीर में चोट के 20 निशान मिले। इनमें ज्यादातर पुराने थे, जबकि सिर पर ताजा चोट के निशान पाए गए। किशोरी फिलहाल बाल कल्याण परिषद के संरक्षण में है।
एक रोज पहले उसके अदालत में बयान भी दर्ज कराए गए थे। इसके बाद जिला जज ने नैनीताल हाईकोर्ट को अपनी रिपोर्ट भेज दी थी। कार्यवाहक रजिस्ट्रार जनरल अनुज संगल की ओर से सिविल जज को निलंबित करने का आदेश जारी किया गया। उन्हें आदेश तामील भी करा दिया गया है।
हालांकि मामले में पुलिस को अभी कोई तहरीर नहीं मिली है। एसएसपी कृष्ण कुमार वीके के अनुसार जिला जज के दिशा-निर्देश का इंतजार किया जा रहा है।
इधर, बाल कल्याण समिति ने एसएसपी से किशोरी की सुरक्षा की मांग की है। सूत्रों के अनुसार समिति पर विभिन्न स्तरों से दवाब डालने का भी प्रयास किया जा रहा है। इस बीच, खुद को किशोरी का पिता बताने वाला हेमचंद्र दोपहर किशोरी से मिलने बाल कल्याण समिति कार्यालय पहुंचा। उसके पास कोई पहचान पत्र नहीं था।
इसलिए समिति ने उसे मिलने नहीं दिया। इस शख्स ने एक रोज पहले पत्रकारों से बातचीत में सिविल जज पर लग रहे आरोपों को खारिज किया था। सिविल जज भी मामला सामने आने के बाद से ही इन आरोपों को नकार रही हैं।