हम से नफरत क्यों करते हो- कँवल भारती

Pahado Ki Goonj

कँवल भारती
जब हम कहते हैं कि दलित हिन्दू नहीं हैं, तो हिन्दुओं को लगता है कि हम बगावत कर रहे हैं.
लेकिन कोई भी हिन्दू गुरु और नेता हमें यह समझाने में कामयाब नहीं हुआ है कि हमारा कथन गलत है.
कोई भी हिन्दू गुरु और नेता हमें यह समझाने में कामयाब नहीं हुआ है कि हम किस आधार पर हिन्दू हैं.
कोई भी हिन्दू गुरु और नेता हमें यह समझाने में कामयाब नहीं हुआ है कि अगर हम हिन्दू हैं तो सदियों से हिन्दू हम पर अत्याचार क्यों करते आ रहे हैं?
कोई भी हिन्दू गुरु और नेता हमें यह समझाने में कामयाब नहीं हुआ है कि उनके धर्मशास्त्रों में हमारे लिए घृणा क्यों प्रदर्शित की गई है?
कोई भी हिन्दू गुरु और नेता हमें यह समझाने में कामयाब नहीं हुआ है कि अगर हम हिन्दू हैं तो हिन्दुओं ने हमें अधिकारों से वंचित क्यों रखा?
कोई भी हिन्दू गुरु और नेता हमें यह समझाने में कामयाब नहीं हुआ है कि अगर हम हिन्दू हैं तो हमें मारा क्यों जाता है?
हमें महाद में मारा गया, जहाँ हमने सार्वजनिक तालाब से पानी लेने का प्रयास किया.
हमनें नासिक में मारा गया, जहाँ हमने मन्दिर में प्रवेश करना चाहा.
और तो और जब हमने राजनीतिक अधिकारों की मांग की, तो देशभर के हिन्दू हमारे दुश्मन बन गये. क्यों किया था तुमने ऐसा?
तुमने हमें पढ़ने नहीं दिया, पक्का घर नहीं बनाने दिया, साफ़ कपड़े नहीं पहिनने दिए, साइकिल पर नहीं चढ़ने दिया, और कहते हो हम हिन्दू हैं.
हम हिन्दू नहीं हैं.
आज़ादी से पहले के अत्याचारों को छोड़ भी दें, तो उसके बाद से लगातार हम पर हमले किये जा रहे हैं, काटा जा रहा है, मारा जा रहा है, जलाया जा रहा है. बर्बाद किया जा रहा है. क्या-क्या जुल्म नहीं किया जा रहा है?
अच्छा यह बताओ—
ब्राह्मणों ने ठाकुरों पर कितने जुल्म किये?
ठाकुरों ने ब्राह्मणों पर कितने जुल्म किये?
ठाकुरों ने बनियों पर कितने जुल्म किये?
और बनियों ने ठाकुरों या ब्राह्मणों पर कितने जुल्म किये?
यह भी बताओ कि दलितों पर अत्याचार में ब्राह्मण, ठाकुर और बनिया सब एक क्यों हो जाते हैं?
हिन्दुओं तुम यह भी बताओ कि तुम्हारी नफरत का कारण क्या है?
दलितों ने तुम्हारे साथ ऐसा कौन सा जुल्म किया है कि सदियों से तुम सब मिलकर उसका बदला ले रहे हो?
कोरेगाँव में दलितों के आयोजन में भगवा पलटन क्या करने गई थी?
यह कौन सी नफरत है जो तुम्हें बार-बार दलितों को मारने के लिए उकसाती है?
हम तुम्हारी इस नफरत का स्रोत जानना चाहते हैं?
बताओ मोहन भागवत?
बताओ शिवसेना प्रमुख?
बताओ भाजपाइयों?
बताओ शंकराचार्यों ?
कोई तो कुछ बताओ?
यह नफरत तुम्हें कहाँ से मिली?
तुम हमसे ही नहीं, अपने सिवा सबसे नफरत करते हो—
तुम मुसलमानों से नफरत करते हो, ईसाईयों से नफरत करते हो, आदिवासियों से नफरत करते हो?
क्यों करते हो? क्या इन लोगों से तुम्हारी नफरत का सिरा दलितों से जुड़ा हुआ है?
क्या नफरत के सिवा भी तुम्हारे पास कुछ भी नहीं है?
नफरत के सौदागरों,
अब बहुत हो चुका.
क्या तुम्हारे आकाओं को नहीं दिख रहा है, कि तुम्हारी नफरत का जवाब अगर नफरत से देने का सिलसिला शुरू हो गया, तो क्या होगा?
कायरों सत्ता का सहारा लेते हो?
पुलिस को अपना हथियार बनाते हो?
इससे तुम नफरत को और हवा दे रहे हो.
अगर तुम पीढ़ी-दर-पीढ़ी नफरत पाल सकते हो, तो समझ लो, दलितों में भी तुम्हारे लिए पीढ़ी-दर-पीढ़ी नफरत भरती जा रही है.
इस नफरत को लेकर कैसा भारत बनाना चाहते हो—
संघियों, भाजपाइयों, हिन्दुओं !

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