ऋषिकेश:साधू सन्तो का तपस्या करने के लिए लक्ष्मण झूला स्वर्गाश्रम पवित्र छेत्र में नई ऊर्जा का जहाँ संचार होता है वहीं परमार्थ निकेतन द्वारा गंगा नदी के ऊपरअतिक्रमण कर गंगा आरती करने से तपस्वी लोगों को कष्ट होता है । साधू सन्यासियों के साथ साथ धर्माचार्यों का कहना है कि यदि माँ गंगा के ऊपर अति क्रमण करना धर्म के अनुरूप होता तो हरकी पैड़ी में गंगा के पुल के ऊपर आरती कर तीर्थ पुरोहित करोड़ रुपए का आरती से व्यापार करते ।परन्तु तीर्थ पुरोहित धर्म केI मर्यादाओं का खयाल रखते हैं।परमार्थ निकेतन स्वर्गाश्रम को धर्म के लिए अपनी सम्पूर्ण आरती का कार्यक्रम नदी के किनारे स्थित परमार्थ निकेतन को उपयोग के लिए की गई भूमि पर ट्रष्ट की सम्पत्ति को पीछे हटा कर करनी चाहिए।
जहाँ देवादिदेव भगवान शिव ने अपने सिर की जटा से माँ गंगा को जगत कल्याण के लिए सम्मान करते हुए निकाल कर महान कार्य कर किया जिसके लिए हमारे धर्म ग्रंथों में बर्णन है। वहीं परमार्थ निकेतन अपने स्वार्थ में सारी मर्यादा को लांग कर अधर्म के कार्यक्रम का मंचन कर रहे हैं।
पहले 2013 की आपदा भी धर्म के विरूद्ध कार्य कर्मों से आई फिर भी परमार्थ निकेतन के परम अध्यक्ष स्वामी चिदानंद मुनि महाराज जी को यह धर्म की गरिमा को कमजोर करने के कार्य से गंगा जी की आरती के नाम से व्यापार कर जहां आरती करने वालों को पुण्य का लाभ की सम्भावना दूर दूर तक नहीं दिखाई देती हैं । स्वामी जी को अबिलम्ब आश्रम द्वारा की गईं गलती को सुधारने की आवश्यकता है। केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार के लोग वहां पर आरती कर धर्म के विरुद्ध गलत कार्य को बढ़ावा देना का कार्य कर रहे हैं। इसके लिए सरकार का महकमा धर्म संस्कृति विभाग, विहिप अन्य संगठनों को आगे आकर भारत की छवि खराब होने से रोकने का काम किया जाना चाहिए।
भारत साधु समाज को धर्म के गलत प्रचार प्रसार को रोकने लिए कार्य करते रहने की आवश्यकता है।