गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियानकर्मियों ने दी पं0 नारायण दत्त को भावभीनी श्रद्धांजलि
देहरादून (गैरसैण राजधानी निर्माण अभियान स्थल) | गैरसैण राजधानी निर्माणअभियान के तत्वावधान में हिन्दी भवन (परेड ग्राउंड, देहरादून) स्थल पर आज 32वाँ दिवस के जारी अनशन स्थल पर दोर सांय उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के निधन का समाचार पहुंचने पर शौक की लहर दौड़ गई| गैरसैंण राजधानी अभियान कर्मियों ने प्रदेश के प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री रहे नारायण दत्त तिवारी की स्मृति में तुरंत एक शोक सभा का आयोजन किया| शोक सभा द्वारा जारी वक्तव्य पर राज्य आंदोलनकारी मनोज ध्यानी ने बताया कि पंडित नारायण दत्त तिवारी एक स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने देश की केन्द्रीय सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार एवम् उत्तराखंड सरकार में शानदार भूमिका निभाई थी| वक्तव्य में कहा गया है कि पं0 नारायण दत्त तिवारी ने राज्य आंदोलनकारियों की भावना के अनुरूप राज्य का नाम ‘उत्तराँचल’ से ‘उत्तराखंड’ करने का प्रस्ताव पारित किया था| तिवारी जी ने राज्य निर्माण आंदोलन में गोलीकाण्ड समेत जेल जाने वाले आंदोलनकारियों को राज्याधीन सेवा प्रदान कर उनके आर्थिक पुनर्वास का कार्य किया था| बतौर मुख्यमंत्री उत्तराखंड उन्होंने प्रदेश के लोगों की भूमि को बचाने हेतु 250 गज खरीद की सीमा के भी लागू किया था| आंदोलनकारियों ने उनके कार्यकाल में गैरसैंण के पक्ष में बाबा मोहन उत्तराखंडी की शहादत को भी याद किया और महसूस किया कि तिवारी जी यदि उस समय गैरसैण राजधानी के लिए कारवाई करते तो आज उनका कद और सम्मान एक कोहिनूर हीरे की भाँति होता| फिर भी राजधानी निर्माण को लेकर विशेषज्ञ समिति का गठन एक उच्चकोटी का प्रशासनिक निर्णय था| गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान कर्मियों ने उन्हें विद्वान नेता, कुशल प्रशासक व ईमानदार व संवेदनशील मानव करार करते हुए अपनी ओर से दो मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि अर्पित की| पंडित नारायण दत्त तिवारी को श्रद्दांजलि अर्पित करने वालों में मनोज ध्यानी, जबर सिंह पावेल, भार्गव चंदोला, कुसुमलता पांडे, मदन भंडारी, गिरीश रावत, धीरेन्द्र सिंह, संदीप कुमार, भारत भूषण वर्मा, भुवन जोशी, रवीन्द्र प्रधान, कृष्ण काँत कुनियाल आदि लोग उपस्थित रहे|
*गैरसैंण को राजधानी बनाने में हो रही देरी, भ्रष्टाचारियों की कारस्तानी : जबर सिंह पावेल*
इससे पूर्व आज 32वें दिन भी गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान का धरना कार्यक्रम पूरे जोश खरोश से जारी रहा| गैरसैंण संघर्ष स्थल राजधानी गैरसैंण के पक्ष में नारों से गूंजता रहा| धरने पर बैठे अांदोलनकारी व उनके समर्थक “राजधानी गैरसैंण, गैरसैंण – गैरसैंण”, और “देहरादून अब मंजूर नहीं, गैरसैंण अब दूर नहीं” के नारे लगाते दिखते रहे| गैरसैंण के समर्थक आंदोलनकारी आपस में लगातार गहन विमर्श करते हुए मुद्दे पर अपने विचार रख रहे हैं| आज प्रखर वक्ता और युवा क्रमिक अनशनकारी जबर सिंह पावेल ने गैरसैंण पर की जा रही हिला हवाली पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि गैरसैंण को राजधानी बनाने में हो रही देरी, भ्रष्टाचारियों की कारस्तानी है| उन्होंने कहा कि अस्थाई राजधानी देहरादून के नाम पर अकेले सचिवालय में प्रतिवर्ष राग रोगन व व्यवस्था संचालित करने के नाम पर करोड़ों रूपया फूंखा जाता है| पिछले 18 वर्ष में प्रदेश पर अनाप शनाप कर्ज चढ़ चुका है| सरकारी कर्मियों की तनख्वाह तक कर्ज लेकर दिया जा रहा है, बावजूद इसके नौकरशाह विदेश भ्रमण, गाड़ी खरीद, फर्नीचर आदि पर जनता के पैसे को लुटाने पर आमद हुए पड़े हैं| गैरसैंण आंदोलन में प्रथम दिवस से भागीदारी में लगे आर्यव्रत फाउंडेशन के हर्ष मैंदोली ने कहा कि राजधानी बनाने का नियम है कि वह केन्द्र में स्थापित हो| उन्होंने कहा कि प्रदेश का संचालन एक कोने में बैठे जनपद जिसकी सीमाएं अन्य प्रदेशों से जुड़ी हुई हैं किसी भी दृष्टिकोण से बुद्दिमता पूर्ण नहीं दिखता है| उन्होंने कहा कि यदि कोई नौकरशाह गैरसैंण राजधानी बनने पर असहज होता है तो उसे उत्तराखंड कैडर चुनना ही नहीं चाहिए था, व बेहतर है कि वह स्वयं स्थानांतरण करवा ले अथवा पहाड़ी प्रदेश की नौकरी छोड़कर घर पर बैठें| मसूरी से धरना को समर्थन देने आए राज्य आंदोलनकारी थलवाल ने कहा कि उत्तराखंड प्रदेश के साथ राजधानी के नाम पर किया जा रहा छलावा दुर्भाग्यपूर्ण है| उन्होंने सभी राज्य आंदोलनकारियों से गैरसैंण आंदोलन के पक्ष में खड़े होने का आह्वान किया| श्री थलवाल ने कहा कि जिस दिन राज्य निर्माण का आंदोलनकारी ठान लेगा प्रदेश की राजधानी उसी दिन गैरसैंण में तय हो जाएगी| मलेठा (चमोली) से आए राज्य आंदोलनकारी उमेद सिंह थलवाल ने कहा कि प्रदेश में हो रही लूट खसोट, संगठित अपराध और राजधानी समेत सभी नीतिगत विषयों पर होती बेईमानी राज्य निर्माण की तारों के लिए बड़ी चुनौती है| उन्होंने कहा कि अब जबरदस्त प्रतिकार करने का वक्त आ गया है|
उधर दूसरी ओर गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान के मुख्य संयोजनकर्ता लक्ष्मी प्रसाद थपलियाल के स्वास्थ्य में काफी सुधार आया है| गैरसैंण राजधानी निर्माण अभियान ने मांग की है कि सरकार की नाकामी के खिलाफ जो लड़ाई जारी है व जिस मांग के पूर्ण होने पर राज्य का ही भला होगा वह किसी एक व्यक्ति के घर की लड़ाई नहीं है| अत: संघर्ष के दौरान ह्रदयघात से जूझना वाले आंदोलनकारी श्री लक्ष्मी प्रसाद थपलियाल के ईलाज का पूरा खर्च प्रदेश सरकार आयुष्मान भारत योजना अथवा अन्य के द्वारा वहन करे| आज धरना पर बैठने वालों में व समर्थन करने आए आंदोलनकारियों में *हर्ष मैंदोली, कृष्ण काँत कुनियाल, जबर सिंह पावेल, मनोज ध्यानी, मदन भंडारी, पूर्व पार्षद रविन्द्र प्रधान, इंजीनियर आनंद प्रकाश जुयाल, संजय किमोठी, उत्पाद के शाँति प्रसाद भट्ट व बिजेन्द्र सिंह, मलेठा (चमोली) से आए पवन शास्त्री, मसूरी से आए उमेद सिंह थलवाल, सौरभ रावल, सुभाष रतूडी, सोहन सिंह, किरण किशोर, शशि कुमार सिंह, सोहन बिष्ट, राकेश सेठी, चंद्रभानू भट्ट, परमेश प्रसाद, अभिजीत सिंह थलवाल* आदि बडी संख्या मे समर्थक उपस्थित रहे|