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चारधाम यात्रा मार्गों पर फूलों की खेती पर फोकस

Pahado Ki Goonj

देहरादून : 17 साल पहले जहां फूलों की खेती का रकबा महज 150 हेक्टेयर था, उसमें अब 10 गुना का इजाफा हो गया है। सालाना टर्नओवर है करीब 200 करोड़। यह है उत्तराखंड में फूलों की खेती का लेखा-जोखा, जिससे करीब 10 हजार किसान जुड़े हैं।

पुष्पोत्पादन की ओर कृषकों के रुझान को देखते हुए अब राज्य सरकार ने इस पर खास फोकस करने और क्लस्टर आधार पर इसे बढ़ावा देने की ठानी है। कोशिशें परवान चढ़ीं तो वर्ष 2019 में पुष्पोत्पादन के क्षेत्रफल में न सिर्फ 25 फीसद का इजाफा होगा, बल्कि 50 नए क्लस्टर भी तैयार होंगे। इसमें चारधाम यात्रा मार्ग पर खास फोकस किया जाएगा। वजह यह कि वहां फूलों के विपणन की दिक्कत नहीं आएगी।

विषम भूगोल वाले उत्तराखंड में फूलों की खेती आर्थिकी संवारने की दिशा में अहम साबित हो सकती है। इस कड़ी में किसानों की आय दोगुना करने के प्रयासों में जुटी सरकार की योजना पुष्पोत्पादन को मैदानी क्षेत्र से पहाड़ों की ओर ले जाने की है। इसके लिए कवायद चल रही है। उद्यान निदेशक डॉ.बीएस नेगी बताते हैं कि राज्य में फूलों की खेती की तरफ किसानों का रुझान बढ़ा है। इसीलिए इसे क्लस्टर आधार पर बढ़ावा दिया जा रहा है।

डॉ. नेगी के अनुसार चारधाम यात्रा मार्गों पर फूलों की खेती पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जाएगा। यात्रा के चलते वहां फूलों के विपणन की समस्या नहीं होगी। साथ ही चारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री में फूलों की पर्याप्त आपूर्ति की जा सकेगी। यही नहीं, अन्य क्षेत्रों में भी किसानों के सामने विपणन की दिक्कत न हो, इसके लिए जगह-जगह बायर-सेलर मीट आयोजित की जाएंगी। इससे किसान और क्रेता दोनों को लाभ मिलेगा।

प्रदेश में फूलों की खेती

फूल———-टर्नओवर (करोड़ में)

जरबेरा———–60

गेंदा————–56

ग्लैडियोलाई—–28

कारनेशन——-18

गुलाब———–10

लिलियम———9

रजनीगंधा——–8

अन्य————10

-150 हेक्टेयर में राज्य गठन के वक्त होता था पुष्पोत्पादन

-1493 हेक्टेयर हो गया है अब फूलों की खेती का क्षेत्रफल

-15.65 करोड़ कटफ्लावर का वर्तमान में हो रहा उत्पादन

-2073 मीट्रिक टन लूज फ्लावर की भी होती पैदावार

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