देहरादून। एक दिन पहले शुक्रवार को उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में भूकंप का झटका आने के बाद अब शनिवार को उत्तरकाशी में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। शनिवार सुबह 11.27 पर उत्तरकाशी जिला मुख्यालय समेत जिले के अन्य हिस्सों में भूकंप का तेज झटका महसूस किया गया। भूकंप का केंद्र उत्तरकाशी और तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.3 मापी गई है। भूकंप का झटका इतना तेज था कि लोग अपने घर दुकानों से बाहर निकल आए। आपदा प्रबंधन विभाग भूकंप के बारे में विस्तृत जानकारी जुटाने में जुटा है। फिलहाल भूकंप से कहीं किसी तरह के नुकसान की सूचना नहीं है। शुक्रवार को सुबह 10 बजकर 5 मिनट पर उत्तराखंड की धरती भूकंप के झटके से डोल उठी थी। बागेश्वर में शुक्रवार की सुबह भूकंप का झटका महसूस किया गया था। भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.3 मापी गई थी। सभी तहसील और थानों को सूचित कर दिया गया था। किसी नुकसान की सूचना प्राप्त नहीं हुई।
मातृशक्ति, युवाओं और किसानों के लिए प्लेटफार्म की तैयारी
– राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने कहा, तीसरा विकल्प बनाएंगे
– कहा, नये कृषि कानून हर हाल में वापस ले सरकार
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देहरादून। राज्य आंदोलनकारी और समाजसेविका भावना पांडे ने प्रदेश की समस्त जनता को नववर्ष की शुभकामनाएं दीं हैं। उन्होंने कहा कि बीते साल में कोरोना की दहशत रही। इस दहशत को समाप्त कर नये साल में नई शुरुआत हो और उज्ज्वल भविष्य की कामना करें। उन्होंने महिलाओं और युवाशक्ति से अपील की है कि भाजपा और कांग्रेस को छोड़कर प्रदेश में एक नया विकल्प खड़ा करें ताकि राज्य गठन की अवधारणा और शहीदों के सपने साकार हो सकें। उन्होंने कहा कि नये विकल्प में 33 प्रतिशत युवा और 33 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी होगी। भावना के मुताबिक हमें राजनीति का एक माॅडल तैयार करना होगा जो कि पूरे देश में अपनाया जा सके।
राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने कहा कि यदि राजनीति में महिलाओं और युवाओं की भागीदारी होगी तो वो अपनी बात रख सकेंगी जबकि युवा अपनी समस्याओं और उनका निराकरण कर सकेंगे। यदि 33 प्रतिशत किसान होंगे तो वो नेताओं के सहारे नहीं रहेंगे। उनकी समस्याओं का समाधान हो सकेगा। उन्होंने कहा कि राजनीति में आज 70 साल से भी अधिक आयु वर्ग के नेता हैं जो कि आम जनता की समस्याओं को दरकिनार कर सत्ता सुख भोग रहे हैं। उन्हें जनता की समस्याओं से कोई लेना-देना नहीं है।
फायर ब्रांड महिला नेता भावना पांडे ने कहा कि आज देश का किसान खतरे में है। किसानों के लिए बनाए गये कानून को लेकर लोगों में जागरूकता नहीं है। जिस दिन ये बिल लागू होगा, उसका सीधा असर किसान पर ही नहीं आम जनता पर भी पड़ेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अच्छा काम कर रहे हैं, लेकिन उनके सलाहकार उन्हें डुबोने का काम कर रहे हैं। किसानों कानून लाकर केंद्र सरकार व्यापारियों को लाभ पहुंचाना चाहती है। उन्होंने कहा कि 2021 में पीएम मोदी को सद्बुद्धि आए और किसान कानूनों को वापस लिया जाए। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी होनी चाहिए। यदि खेती में कांट्रेक्ट प्रणाली लागू की जाती है तो नौ साल बाद किसान अपनी जमीन पर हक खो सकते हैं। उनकी सुनवाई एसडीएम करेगा जबकि एसडीएम पर पूरी तरह से राजनीतिक या व्यापारियों का प्रभाव रहता है। यहां तक कि कमिश्नर लेवल तक मैनेज किया जा सकता है। इस कानून को वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस कानून का विरोध होना चाहिए। आज अन्नदाता को सड़क पर छोड़ दिया गया है। हमारा देश बर्बादी के कगार पर है। भावी पीढ़ी खतरे में है, ऐसे में कृषि कानून हर हाल में रद्द होने चाहिए।
राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने कहा कि आज देश में जनांदोलन की जरूरत है। समाज का हर वर्ग समस्याओं से घिरा हुआ है। जिस तरह से प्राकृतिक पर्यावरण बचाने की शुरुआत उत्तराखंड से हुई थी उसी तरह से राजनीतिक प्रदूषण से छुटकारे का माॅडल की शुरुआत भी यहीं से होगी।