देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने दो बड़ी घोषणाएं कीं। श्रम और वन मंत्री रावत ने एक विधायक के सवाल के जवाब में ऐलान किया कि अब राज्य के बेरोजगारों को कंपनियां ट्रेनी के रूप में नहीं रख सकेंगीं। उन्हें पक्की नौकरी ही देनी होगी। एक और सवाल के जवाब में उन्होंने राज्य में बंदरों के काटे जाने पर मुआवजा देने का भी ऐलान किया।
नैनीताल से भाजपा विधायक संजीव आर्य ने श्रम मंत्री से कहा कि राज्य में विभिन्न कंपनियां हर साल रोजगार मेले से युवाओं को ट्रेनी के तौर पर नौकरी देती हैं। फिर अगले साल वह किन्हीं दूसरे ट्रेनी युवाओं को लेते हैं। इसमें कंपनी का तो फायदा होता है लेकिन ऐसे में एक साल की ट्रेनी नौकरी के बाद युवा फिर बेरोजगार हो जाते हैं।
विधायक की बात पर प्रतिक्रिया देते हुए श्रम मंत्री ने सदन में ऐलान किया कि उत्तराखण्ड में आगे से युवाओं को ट्रेनी के तौर पर नौकरी नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा कि कंपनियों को युवाओं को ट्रेनी नहीं बल्कि स्थाई नौकरी देनी होगी। सरकार इसके लिए ठोस कानून बनाएगी। बागेश्वर से भाजपा विधायक चंदन राम दास ने सदन में वन एवं पर्यावरण मंत्री से सवाल किया किया राज्य में बंदरों के बाड़े क्यों नहीं बनाए गए जबकि सीएम बंदरों के बाड़े बनाने की घोषणा कर चुके हैं? उन्होंने सवाल उठाया कि वन विभाग कैसे सीएम की घोषणाओं को नजरअंदाज कर सकता है। वन मंत्री ने सदन में कहा कि उन्हें सीएम की इस घोषणा की जानकारी नहीं है। विभाग से जानकारी लेकर इस दिशा में कार्ययोजना बनाई जाएगी। प्रश्नकाल के दौरान छाया बंदरों की समस्या का मुद्दा छाया रहा। बंदरों के काटने पर मुआवजा नहीं मिलने का भी सवाल उठाया गया जिसके जवाब में वन मंत्री हरक सिंह रावत ने ऐलान किया कि प्रदेश में सरकार बंदरों के काटने पर पीड़ितों को