टिहरी प्रतापनगर ukpkg.com, तप ,जप , साधना करने के लिए मनुष्य की मनन करने की प्रवृत्ति है । मनुष्य मनन करने से कहलाते हैं।मनुष्य की आवश्यकता से अविष्कार होते हैं । पहले राजा सगर और भगीरथ ने अपने पूर्वजों की आत्म शान्ति के लिए साधना तपस्या कर गंगा को शंकर जी के शर पर बांध बनाने का काम के लिए प्रार्थना हजारों साल करते रहे। देश के विकास के लिए आत्म शन्तोष पाने के लिए टिहरी बांध बहुउद्देश्यीय परियोजना का निर्माण किया गया है ।उसमें प्रतापनगर छेत्र के राष्ट्र निर्माण को बढ़ावा देने की प्रवृत्ति होने से छेत्र का बड़ा योगदान रहा । 1987 में पर्यवरण विद स्व सुंदर लाल बहुगुणा बांध में भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री प्रयोग होने से प्रतापनगर में भयंकर सूखा पड़ा उसके अध्ययन के लिए उनके साथ स्वीटजरलैंड के अर्थ शास्त्री एवं पत्रकार कोटाल गाँव विकास मेले मेंआये । मुख्य अतिथि ने बांध के विरोध में जन आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए कहा । स्व सुंदर लाल बहुगुणा जी से मैंने आग्रह किया कि विश्व बैंक योजना आयेग नही माने गा । बांध की ऊंचाई घटाने की बात भी की जाय।आंदोलन में 27 फरवरी1988 को मेरे पुत्र प्रदीप कुमार पैन्यूली भी उनके साथ जेल भी गये । वर्ष 1989 में उन्होंने पर्यावरण मंत्री श्रीमती मेनका गांधी जी के पास पत्र लेकर मुझे भेजा। वर्ष 1993 में मेरे द्वारा टाप टेरस भागीरथी पुरम टिहरी बांध की ओर गाड़ियों की दिन रात आवाजाही से टॉप टेरस पर जुलाई 1992 में कठिन दिवाल का निर्माण कार्य करने के लिए दिया गया । जिसे रात्री के समय में 2से 4 बजे ही बकिया जाता था । मजबूत बनाएगये कार्य के ऊपर पानी का तालाब महीनों तक बना रहा। एक प्रकार से टिहरी बांध को बनाने में सभी वर्गों को सहयोग की भावना से आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है ।
उस समय दूर दृष्टि के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक यस पी सिंह जी से जून माह में सुबह सुबह टहलते बांध निर्माण के साथ साथ प्रतापनगर वासियों के भविष्य के बारे में वार्ता होती थी ।तो उन्होंने पहले बांध बनाने के लिए जगह जगह निगमों से कर्जा लेकर अपनी परेशानी दूर करने की वजह बताई ओर बोलते रहते थे ।16 अक्टूबर1993 को स्वामी रामतीर्थ जी की पुण्यतिथि पर उन्होंने कहा कि T3-T4 टनल में गिर रहे पानी से 75 मेगावाट बिजली बनती है ।जिससे 75 लाख रूपये रोज की आय हो सकती है। जो 27,28 अक्टूबर 2005 टनल बन्द होने तक 12वर्ष में 3942 करोड़ रुपये की आय से बांध निर्माण में धन की बचत होती। पेज 8 के कालम न0 4,5 में वर्णित लेख के लिखने से कई बार सुविधा मिल रही हैं।अन्य लोगों को परन्तु सुविधा ई1
जबकि बांध निर्माण में 79000 करोड़ खर्चा आय है। परन्तु योजना आयोग बनाने नहीं देरहा है। यह बिडम्बना है। उन्होंने कहा प्रतापनगर वहाँ की समस्या भी देखेंगे एक समय आया कि जून 1993 में CMD यस पी सिंह सुबह 6. 30 बजे टॉप टेरस फूटपाथ पर घूमने आए वह सीमेंट से बना हुआ था। वह फिसलने वाला रहा।उन्होंने कहा कि इसके उपर चेकर्ड टाइल लगा दी जाय ,हम 15 दिन बाद आएंगे तब तक बन जाना चाहिए ।RCM विंग के सीनियर मैनेजर जीपी जोशी THDC के प्रशासनिक स्टाफ कालेज हैदराबाद विशेष प्रशिक्षण में सभी अधिकारियों बीच चयन होने से वहाँ गये हुये थे ।प्रबंधक यस यल भराज थे बाद मे कोटेश्वर के कार्याधिकारी ओर निदेशक सेवा भी रहे। उनसे CMD के आदेश का ज़िक्र किया ।उन्होंने कहा कि इसके लिए आदेश देना मेरे अधिकार में नही है फिरभी जनकारी प्राप्त की तो 4000 वर्ग फिट चेकर्ड टाइल एक प्रकार की एक दम मिलनी मुश्किल हुई।
तो प्रबंधक भराज ने निर्णय लिया कि यहाँ देश विदेश के लोग आते हैं।फुट पाथ पर मार्बल पत्थर लगाया जाय तो एशिया में बनने वाले प्रथम स्थान के संस्थान की शोभा बढ़ेगी। उसके बाद CMD के साथ उर्जा सचिव भारत सरकार आये मैं सुबह को वहाँ उनको गूमते हुये देख रहा था। मिलने गया ,मार्बल पत्थर बीच गये थे ।जैसे मैंने उनको दुवा सलाम किया उनकी नाराजगी जाहिर हो रही थी।बोले किसने बिछवाई ये मार्बल पत्थर उनको सस्पेंड करो। ऐसे में उनका लेंना उचित नहीं समझा ।लोग नोकरी देते हैं ।किसी की नोकरी लेंना उचित नहीं है।
।हमने अपने को संभालते हुए कहा कि सर ।आपके आदेशानुसार इतने टाइल एकदम नही मिली तो मैंने मार्बल को बिछाना उचित समझा।उन्होंने कहा अभी उखाड़ो इनको जब तक उर्जा सचिव भारत सरकार तैयार होते हैं, निरक्षण के लिए ।
पूरी 3000 वर्ग फीट उखाड़ फेंक दिया जाय ।नही तो कहेंगे कि कर्ज़ लेकर फजूल खर्चा कर रहे हैं। वह उनके निर्देश पर हटाई गई अब व्यू प्वाइंट पर आए तब उनसे आग्रह किया कि इस पर बिछी मार्बल रहने दिया जाय जो हेलिपैड और गेष्ट हाउस के बीच में है। हमारी परेशानी भागीरथी के बांए ओर टिहरी बांध की झील में पानी भरने से प्रतापनगर की दूरी बढ़ने के कारण परेशानी बढ़ी है। 27 नम्बर 2005 के पैन्यूली जी संदेश राष्ट्रीय मासिक पत्रिका के प्रवेशांक में बांध के कारण प्रभावित किये इलाके को जिला बनाने की बात प्रमुखता से प्रकाशित की गई। 26 जनवरी से 6 फरवरी2006 तक बड़े बड़े आंदोलन हुए 10 लाख की मांग प्रतिपूर्ति की कीगई है।
परन्तु मुख्यमंत्री से मिलने गये शिष्टमंडल की भीड़ की नाकामी के कारण हम सुविधाओं से बंचित रह गए। इसके बाद देहरादून दिल्ली आंदोलन चले कोई सुविधा नहीं मिली है 1जुलाई2008 को चावाड़ बैंड पर मेरे संयोजकत्वा में सफल आंदोलन किया गया । पूर्व निदेशक पुनर्वास , 1,25सवा लाख किया। जिलाधिकारी सचिन कुर्वे ने THDC एवं शासन के बीच समझौता10 की जगह डॉ रमेश पोखरियाल निशंक सरकार के समय कराया जिसमें 5 लाख रुपये प्रतिपूर्ति देने ,झील के आसपास व्यवसाय के लिए प्लाट देने बिजली100 यूनिट निशुल्क देने आदि की बात समझौते में कही गई।
तब से हमारे यहां रिश्तेदारों के आने जाने रिश्ते लगाने ,शिक्षा स्वास्थ्य का अभाव है।जन प्रतिनिधि जो बन रहे हैं उनको भी पलायन करने की होड़ लगी है।आम आदमी महंगाई की मार झेल रहे हैं।मेरा मानना है कि हम मनुष्य हैं तब मनन करके बोलते हैं काम करते हैं ।हम कोई त्योहार तब तक नही मनाएंगे जब तक हमारी मांग मनन करने वाले मनुष्य अधिकारी नेता नहीं लागू करते हैं।तब तक कोई त्यौहार नहीं मनायेंगे। हाथ पर पुराने रक्षा सूत्र दिखाई देरहे हैं। जय गंगा मैया ,जय बदरीविशाल।