पिथौरागढ़। विश्व प्रसिद्ध कैलाश मानसरोवर यात्रा पर भी इस वायरस का खतरा मंडराने लगा है। हर साल जून माह से कैलाश मानसरोवर के दर्शन के लिए हजारों तीर्थ यात्री चाइना जाते हैं लेकिन कोरोना का बढ़ता तांडव इस बार शिवभक्तों के काफिले को थाम सकता है। कोरोना के बढ़ते प्रभाव ने आयोजकों की चिंता भी बढ़ा दी है। यात्रा की नोडल एजेंसी कुमाऊं मंडल विकास निगम ने भले ही अपनी तैयारियां शुरू कर दी हो, लेकिन असमंजस के हालात बरकरार हैं।
हिंदुओं की आस्था का प्रतीक ये यात्रा उत्तराखंड के लिपुलेख और सिक्किम से होकर गुजरती है। साल 1981 से हर साल कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील के दर्शनों के लिए हजारों तीर्थ यात्री चाइना जा रहे हैं। साल 2008 में बीजिंग ओलम्पिक को छोड़ दें तो मानसरोवर यात्रा 1981 से बदस्तूर जारी है। बीजिंग ऑलम्पिक के दौरान कुछ दलों की यात्रा रद्द करनी पड़ी थी। इस बार कोरोना वाइरस को देखते हुए केएमवीएन ने प्लान बी भी तैयार किया है। प्लान बी के मुताबिक अगर मानसरोवर यात्रा रद्द होतीवहीं, लिपुलेख दर्रे से होकर जानी वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा दुनिया की सबसे दुर्गम पैदल धार्मिक यात्राओं में शुमार है। इसके बावजूद हर साल हजारों की संख्या में तीर्थ यात्री भगवान भोले के दर्शनों के लिए चाइना जाते हैं, मगर इस बार कोरोना वायरस यात्रा में खलल डाल सकता है। उम्मीद यह भी जताई जा रही है कि जून में गर्मियां शुरू होने तक कोरोना वायरस का प्रभाव अपने आप समाप्त हो जाएगा और शिवभक्तों की आस्था कि आगे उसे हार माननी पड़ेगी. है तो व्यापक स्तर पर आदि कैलाश की यात्रा संचालित की जाएगी. ताकी तीर्थ यात्रियों को निराश न होना पड़े।