चमोली। पहाड़ी क्षेत्रों में भी नशे की प्रवृति तेजी से बढ़ रही है। देहरादून, श्रीनगर, नजीबाबाद, रुड़की, सहारनपुर आदि स्थानों से चरस, गांजा, सुल्फा आदि नशे की चमोली जिले में तस्करी हो रही है। नशे के सौदागर महिलाओं के जरिये नशे की खेप चिह्नित स्थानों पर पहुंचा रहे हैं। 17 से 26 साल के युवा नशे के सर्वाधिक शिकार हैं।
चमोली जिले में चरस, गांजा, सुल्फा और अवैध शराब का धंधा जोरों पर है। नगरों से दूर पार्किंग स्थल और उनमें खड़े खराब वाहन नशा करने वालों का अड्डा बने हैं। पुलिस आंकड़ों के मुताबिक नशा तस्करी में पकड़े गए आरोपियों में अधिकांश मैदानी क्षेत्र के रहने वाले हैं। इनमें ज्यादातर तस्कर वे होते हैं जो बाइक या स्कूटी से पहाड़ में नशीले पदार्थों को लाकर बेचते हैं। नशे के सौदागर मोबाइल कॉल व व्हाट्स एप ग्रुप बनाकर भी नशे को पहुंचाने का स्थान तय कर रहे हैं। पुलिस की नजरों से बचने के लिए तस्कर चलते वाहनों से भी नशे की पुड़िया पहुंचाते हैं। मैदानी भागों में युवाओं को नशीले पदार्थों के सेवन से होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी देने और नशा छुड़ाने के लिए कांउसलिंग सेंटर बनाए गए हैं, लेकिन पर्वतीय क्षेत्र में ऐसे सेंटरों की कमी बनी हुई है। चमोली जिले में नशे के दुष्प्रभावों को बताने के लिए एक भी कांउसलिंग सेंटर नहीं बनाया गया है।
एनडीपीएस एक्ट के तहत कोकीन, हेरोइन, एलएसडी, चरस, सुल्फा, गांजा आदि नशीले पदार्थों की बरामदगी और उनका सेवन करने पर सजा का प्रावधान है। नशे के अधिकांश सौदागर पढ़े-लिखे और कानून की जानकारी रखने वाले होते हैं। ऐसे में वे एक साथ अधिक मात्रा में नशे की तस्करी नहीं करते हैं, ताकि पकड़े जाने की दशा में कोर्ट से जमानत आसानी से मिल जाए। अधिकांश मामलों में यह भी देखा गया है कि जमानत पर छूटने के बाद आरोपी फिर से नशे के कारोबार में संलिप्त पाए जाते हैं।
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Sat Feb 15 , 2020