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चिन्यालीसौड़ पुल बनकर तैयार, धनुष जैसा आकार है आकर्षण केन्द्र टिहरी, उत्तरकाशी जिले के सीमा पर टिहरी झील के ऊपर बनाए जा रहे चिन्यालीसौड़ पुल का काम पूरा हो चुका है। अब 20 दिन बाद इस पुल को जनता को समर्पित किया जाएगा। फिलहाल पुल न होने की वजह से ग्रामीणों को 90 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। चिन्यालीसौड़ पुल। पुनर्वास विभाग देवीसौड़ में 162 मीटर लंबे पुल का निर्माण किया गया है। साल 2007 में टिहरी झील बनने के कारण देवीसौड़ मोटर पुल डूब गया था। जिसके कारण चिन्यालीसौड़ के करीब 42 गांव माली, बादान, जोगत, तुल्याड़ा, भड़कोट, आदि का संपर्क तहसील मुख्यालय से टूट गया था। अब इस पुल के निर्माण के बाद अलग-थलग पड़े इन सभी 42 गांवों की राह आसान होगी। इन गांव के लोगों को तहसील मुख्यालय पहुंचने के लिए करीब 90 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है।  पढ़ें-ड्यूटी ज्वॉइन करने निकला था कुमाऊं रेजिमेंट का जवान, दो दिन बाद भी नहीं पहुंचा यूनिट बता दें कि देवीसौड़ में बन रहा पुल स्टील आर्च ब्रिज होगा जो दिचली-गमरी व टिहरी जनपद को जोड़ने वाला प्रदेश का सबसे बड़ा आर्च है

Pahado Ki Goonj

चिन्यालीसौड़ पुल बनकर तैयार, धनुष जैसा आकार है आकर्षण केंद्र निर्माणाधीन स्टील आर्च ब्रिज की तस्वीर।

टिहरी। उत्तरकाशी जिले के सीमा पर टिहरी झील के ऊपर बनाए जा रहे चिन्यालीसौड़ पुल का काम पूरा हो चुका है। अब 20 दिन बाद इस पुल को जनता को समर्पित किया जाएगा। फिलहाल पुल न होने की वजह से ग्रामीणों को 90 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है।पुनर्वास विभाग देवीसौड़ में 162 मीटर लंबे पुल का निर्माण किया गया है। साल 2007 में टिहरी झील बनने के कारण देवीसौड़ मोटर पुल डूब गया था। जिसके कारण चिन्यालीसौड़ के करीब 42 गांव माली, बादान, जोगत, तुल्याड़ा, भड़कोट, आदि का संपर्क तहसील मुख्यालय से टूट गया था। अब इस पुल के निर्माण के बाद अलग-थलग पड़े इन सभी 42 गांवों की राह आसान होगी। इन गांव के लोगों को तहसील मुख्यालय पहुंचने के लिए करीब 90 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। पढ़ें-ड्यूटी ज्वॉइन करने निकला था कुमाऊं रेजिमेंट का जवान, दो दिन बाद भी नहीं पहुंचा यूनिट
बता दें कि देवीसौड़ में बन रहा पुल स्टील आर्च ब्रिज होगा जो दिचली-गमरी व टिहरी जनपद को जोड़ने वाला प्रदेश का सबसे बड़ा आर्च है। झील के ऊपर बनने की वजह से ये पुल अपने आप में ही अनोखा होने के साथ ही चिन्यालीसौड़ के आकर्षण का केंद्र भी होगा। इस स्टील ब्रिज का आकार धनुष के जैसा है इसलिए भी ये सारे पुलों से हटकर है जिससे पर्यटक भी इस जिले की ओर आकर्षित होंगे

लंबे समय से पुल का था इंतजार
साल 2006 में टिहरी बांध की झील में दिचली-गमरी के लिए बने देवीसौड़ पुल के डूब जाने के बाद क्षेत्र के करीब 42 गांव की 60 हजार की आबादी जिले की मुख्यधारा से अलग हो गई थी। साल 2012 में चिन्यालीसौड़ से दिचली गमरी क्षेत्र को जोड़ने के लिए इस स्टील आर्च ब्रिज की स्वीकृति हुई। ये पुल प्रदेश का सबसे लंबा 440 मीटर स्टील आर्च ब्रिज है। इसे आधुनिक स्टील तकनीक से बनाया गया है।

30 जून 2011 को सचिव उर्जा भारत सरकार की अध्यक्षता में बैठक के दोरान इस पुल को स्वीकृति मिली जिसमें 50 प्रतिशत धन उत्तराखंड सरकार और 50 प्रतिशत केन्द्र सरकार के सौजन्य से जुलाई 2013 में 5275 करोड़ की लागत से नया पुल बनना शुरू हुआ जो आज बन कर तैयार हो गया है। इसे 20 दिन बाद 42 गावों की जनता को समार्पित कर दिया जायेगा।

6 साल से यहां की जनता आवागमन की समस्याओं से जुझ रही थी। गौर हो कि ये पुल कुल 40 गांवों को जोड़ता है। इस पुल का डिजायन मैसर्स कसलटेंसी डेवलेपमेन्ट सेंटर (सीडीसी) कोलकत्ता ने बनाया है। डिजायन का काम वैट लोक निर्माण विभाग आइआइटी बीएचयू के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो पीके सिंह द्वारा किया गया है।

बता दें, कि इस पुल को बनाने में 5275-00 करोड़ की लागात आई है। ब्रिज की लंबाई 162 मीटर स्टील और 278 मीटर एर्पोच

 

 

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