सावधान! तंबाकू चबाना पड़ा रहा है जिंदगी पर भारी

Pahado Ki Goonj

देहरादून :उत्तराखंड में सामने आ रहे कैंसर के नए मामलों में करीब 60 प्रतिशत पुरुष तंबाकू के कारण इस बीमारी की जद में आ रहे हैं। यह आंकड़ा स्वामी राम हिमालयन यूनिवर्सिटी के कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट का है। संस्थान ने उत्तराखंड स्टेट काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी (यूकॉस्ट) की ओर से वित्तपोषित प्रोजेक्ट के तहत कैंसर के मरीजों का अस्पताल आधारित डाटा संग्रहित किया है। इसमें वर्ष 2012 से 2017 के बीच इलाज कराने वाले 12188 कैंसर रोगी शामिल हैं।

आंकड़ों का विश्लेषण बताता है कि तकरीबन 40.42 प्रतिशत मामलों में तंबाकू कैंसर की वजह बना है। स्थिति यह है कि अधिकांश गंभीर प्रकृति के मामलों में फेफड़ों का कैंसर प्रमुख है। जिनमें सर्वाइवल रेट भी तुलनात्मक रूप से कम है। 60.32 फीसद पुरुष और आठ प्रतिशत महिलाएं तंबाकू सेवन के कारण कैंसर की जद में आए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि परंपरागत रूप से उत्तराखंड में तंबाकू धूमपान में इस्तेमाल किया जाता था,  तंबाकू खाने की आदत यहां नहीं थी। लेकिन, अब गुटखा-पान मसाला की आसान पहुंच के कारण इनकी पर्वतीय इलाकों में भी व्यापक खपत हो गई है।

 

जिससे कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। इन इलाकों में सही वक्त पर डायग्नोस न होने से भी स्थिति बदतर होती जाती है। यही नहीं, कैंसर के शुरुआती लक्षणों की अनदेखी और कभी-कभी धन की कमी के कारण लोग स्क्रीनिंग और उपचार से बचते हैं। जो बाद में जानलेवा साबित हो रही है।
कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट एसआरएचयू के निदेशक डॉ. सुनील सैनी का कहना है कि कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसके लक्षणों को यदि समय रहते पहचान लिया जाए या समय पर इलाज शुरू कर दिया जाए तो इसका इलाज संभव है। लेकिन, अगर देरी हो गई या पीडि़त ने इलाज में लापरवाही बरती तो स्थिति मुश्किल भरी हो जाती है।
कैंसर के पांच बड़े लक्षण
-पेशाब और शौच के समय आने वाला खून।
-खून की कमी, जिससे एनीमिया हो जाता है। थकान और कमजोरी महसूस करना। तेज बुखार आना और बुखार का ठीक न होना।
-खांसी के दौरान खून का आना, लंबे समय तक कफ आना, कफ के साथ म्यूकस आना।
-स्तन में गांठ, माहवारी के दौरान अधिक स्राव होना।
-कुछ निगलने में दिक्कत होना, गले में किसी प्रकार की गांठ होना, शरीर के किसी भी भाग में गांठ या सूजन होना।

 

 

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