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गांवों को समग्र विकास का आधार केन्द्र बनाकर हम पलायन रोकने में कामयाब होंगे-त्रिवेंद्र

Pahado Ki Goonj
देहरादून दिल्ली:मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को नई दिल्ली में आज तक एजेंडा लाइव कार्यक्रम में राज्य से सम्बन्धित विभिन्न विषयों पर अपने विचार रखे। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र ने कहा कि उत्तराखण्ड में हमारा पहला दायित्व कानून का राज स्थापित करना है। माफिया से राज्य को बचाना है। हमारी सरकार को बीस महीने हो चुके है। अभी तक ट्रांसफर पोस्टिंग में भ्रष्टाचार से संबंधित राज्य में किसी भी प्रकरण की कोई भी शिकायत नहीं आयी है।
राज्य में ट्रान्सफर पोस्टिंग का उद्योग बन गया था, हमने इस पर रोक लगायी तथा राज्य में पनप रहे इस उद्योग को समाप्त किया है। यही नहीं खनन माफिया भू माफिया पर भी अंकुश लगया है। इस अवधि में खनन से होने वाली आय को 410 करोड़ से 820 करोड़ किया है, पहले ऊर्जा के क्षेत्र में  राज्य को 287 करोड़ का घाटा हो रहा था,  हमने इस घाटे में एक वर्ष में 237 करोड़ रु0 कम किया है। राज्य में पहले एक वर्ष में 22 हजार हड़ताले धरने होते थे, हमने इस पर रोक लगायी है। धरना प्रदर्शन राज्य के विकास के लिए बाधक है, हमने समस्याओं के समाधान के लिये संगठनों के साथ टेबल पर बैठकर बातचीत के जरीये इसके समाधान के रास्ते निकाले तथा समस्याओं का समाधान किया। आज देश के टाॅप 10 थानों में 2 थाने उत्तराखण्ड के भी शामिल है। उत्तराखण्ड में देवभूमि के अनुरूप व्यवस्था सुनिश्चित कर राज्य को पर्यटन प्रदेश के रूप में पहचान दिलायी जा रही  है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज उत्तराखण्ड की तुलना स्वीटजरलैण्ड से भी की जा सकती है। हमारे राज्य में पर्यटन हर वर्ष बढ़ रहा है। हमने हाई एंड टुरिस्ट पर फोकस किया है।  इन्वेस्टर समिट के सम्बन्ध में कई देशों में जाकर इस दिशा में पहल भी की है। देश की 15 तरह की जलवायु में 14 उत्तराखण्ड में उपलब्ध है। उत्तराखण्ड में बच्चों, युवाआ,ें बुर्जुगो के लिये इस क्षेत्र में सम्भावनाएं है। एडवेंचर आध्यात्म की भी यहा सम्भावनाएं है। यहां पर्यटन का 12 महिने का क्लाईमेटिक जोन है, साथ में 12 नेशनल पार्क, सेंचुरी तथा सबसे ज्यादा टाइगर, बाघ, हाथी है, हिम तेदुएं भी राज्य में दिखायी देने लगे है। इस प्रकार हर तरह का पर्यटन उत्तराखण्ड में है। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में अधिक से अधिक उद्योगों की स्थापना कर अधिक से अधिक  रोजगार की सम्भावाए तलाशी जा रही है, उद्योगों को अनुकूल माहौल उपलब्ध कराने तथा समस्याओं के त्वरित निदान, बेहतर कानून व्यवस्था, फ्रैडली एटोमोस्फेयर, अधिकारियों का सम्मानजनक एवं सहयोगात्मक व्यवहार के माध्यम से बेहतर ओद्यौगिक वातावरण स्थापित किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में एक माह में 05 कैबिनट बैठकें आयोजित कर उद्योगों के अनुकूल 15 तरह की नीतिया लागू की गयी है, इसका लाभ भी राज्य को मिलने लगा है, 40 हजार करोड़ के निवेश के प्रस्ताव पर्वतीय क्षेत्रों के लिये प्राप्त हुये है, जब कि 17 सालों में 37 हजार करोड़ के ही प्रस्ताव प्राप्त हुये थे। राज्य में अब तक 1.25 लाख करोड़ के निवेश के प्रस्तावों पर हस्ताक्षर हुये है। जिनका हर सप्ताह फाॅलो अप किया जा रहा है। राज्य में मार्च 2019 तक 30 हजार करोड़ के इन्वेस्टमेंट की रिक्वारमेंट आयी है तथा 04 हजार करोड के प्रस्ताव पुराने उद्योगों के सक्सपेटेशन से संबंधित प्रस्ताव भी प्राप्त हुये है।  अभी तक राज्य के तराई आदि क्षेत्रों में ही इन्वेस्टमेंट के प्रस्ताव आते थे, आज पहाड़ो में भी निवेश के प्रस्तावों पर हस्ताक्षर हुये है। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि टिहरी सहित राज्य के अन्य क्षेत्रों में फिल्म निर्माता आकर्षित भी हो रहे है। फिल्म निर्माता महेश भट्ट ने उत्तराखण्ड में टिहरी, त्रिजुगीनारायण, बद्रीनाथ, केदारनाथ की यात्रा के बाद अपनी फिल्म सड़क-2 का फिल्माकंन रोमानिया के बजाय उत्तराखण्ड में करने को तैयार हुये। इसी प्रकार राजा मौली, राजकुमार संतोषी जैसे निर्माता अपनी बडे बजट की फिल्मों की शूटिंग राज्य में करने को सहमत हुये, हमने फिल्मकारों को भी अनुकूल वातावरण दिया है। फिल्म बत्ती गुल मीटर चालू की शूटिंग से फिल्म शूटिंग का चार्ज राज्य में माफ कर दिया गया है। राज्य में पिछले डेढ़ साल में 46 फिल्मों की शूटिंग हुयी है। इसके लिये राज्य को फिल्म फ्रैण्डली स्टेट का भी सम्मान प्राप्त हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सस्ती बिजली के साथ राज्य में बड़ी संख्या में आईटीआई, पाॅलीटेक्निक,इजीनियरिंग काॅलेज, विश्वविद्यालयों के साथ ही आई.आई.टी.,आई.आई.एम. आई.आई.आई.टी जैसे संस्थान उपलब्ध है जो दक्ष मानव संसाधन उपलब्ध कराते है, आने वाले समय में राज्य में उद्यौगों के अनुकूल दक्ष मानव संसाधनों की उपलब्धता में और अधिक बढ़ोत्तरी होगी जिस से रोजगार की सृजन में भी तेजी आयेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड 600 किलोमीटर अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से जुड़ा राज्य है, सीमान्त क्षेत्रों के विकास के प्रति भी राज्य सरकार जिम्मेदारी के साथ कार्य कर रही है। राज्य में पलायन एक चुनौती बनी हुयी है। हमने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए पलायन आयोग का गठन किया है। आयोग द्वारा प्रत्येक गांव की स्थिति का आंकलन तैयार कर अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी है। राज्य सरकार इस दिशा में गंभीरता से विचार कर रही है। गांवों को समग्र विकास का आधार केन्द्र बनाकर हम पलायन रोकने में कामयाब होंगे।
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