देहरादून। चीन और नेपाल बॉर्डर से सटे उत्तराखंड का पिथौरागढ़ जिला भले ही राष्ट्रीय सुरक्षा और पर्यटन के लिहाज से खासा अहम हो, मगर दुर्गम पहाड़ी सफर होने के कारण यहां पहुंचना खासा कठिन है। यही वजह है कि यहां हवाई सेवा की मांग लंबे समय से उठ रही थी. भारी जनदबाव को देखते हुए बीते साल 17 जनवरी को नैनी-सैनी एयरपोर्ट से पंतनगर और देहरादून के लिए हवाई सेवा शुरू हुई थी. हेरिटेज एविएशन के 9 सीटर प्लेन से शुरू हुई ये हवाई सेवा आगाज के साथ ही हवाई साबित हो गई।
महीने भर के भीतर ही हेरिटेज एविएशन के प्लेन का दरवाजा हवा में खुल गया, नतीजा ये रही है रुक-रुक कर चल रही हवाई सेवा सितंबर तक बंद कर दी गई। आखिरकार बीते साल 13 सितंबर को इसे देहरादून और फिर 12 अक्टूबर को गाजियाबाद के लिए चलाया गया। गाजियाबाद के हिंडन से जुड़ने वाली ये देश की पहली फ्लाइट थी, बावजूद इसके यात्रियों के लिए ये धोखा ही साबित रही। दिल्ली में जॉब कर रहे नीलम संजीव बताते हैं कि बीते साल दीपावली के त्यौहार पर प्लेन से घर जाने को लेकर वो खासे उत्साहित थे। खासी कोशिशों के बाद उन्हें टिकट तो मिल गई, लेकिन हिंडन एयरपोर्ट में घंटों के इंतजार के पता चला कि फ्लाइट रद्द हो गई।
संजीव की तरह हजारों यात्री अब तक हवाई सेवा के नाम पर खुद को ठगा महसूस कर चुके हैं. मात्र एक 9 सीटर प्लेन के सहारे चल रही ये हवाई सेवा कभी भी रद्द हो जाती है। फ्लाइट रद्द होने के बाद यात्रियों के पास अन्य ऑप्शन भी नही रहता। अक्टूबर से अब तक 6 महीनों में 70 से अधिक दिन फ्लाइट रद्द हुई हैं। एयरपोर्ट के मैनेजर विजय कुमार कहते हैं कि एक ही प्लेन के सहारे हवाई सेवा संचालित हो रही है। ऐसे में अगर कहीं भी कोई तकनीकी खराबी आई तो फ्लाइट रद्द करने के अलावा कोई चारा नहीं रहता। साथ ही वो बताते हैं कि हवाई सेवा के संचालन में आ रही दिक्कतों को लेकर शासन को बताया गया है। अब शासन स्तर पर ही समाधान संभव है।
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Sun Mar 15 , 2020