देहरादून:शरद ऋतु के लगभग समापन पर मनाये जाने वाला ये त्यौहार आपसी रिश्तों की मजबूती,गरमाहट और मिठास को प्रदर्शित करता है,इस त्यौहार का संदेश है कि पतंग की डोर की तरह रिस्ते मजबूत बने रहे,शायद इसीलिए पतंगबाजी की जाती है,रिस्तों की गरमाहट बनी रहे शायद तब ही लोहड़ी माता के नाम पर अग्नि प्रज्वलित की जाती है,साथ ही आपसी रिस्तों में सदैव अपनापन और मिठास बनी रहे शायद तभी गुड़,मूंगफली,मिठाई आपस में बांटी जाती है,ये त्यौहार हमारे किसान भाइयों की ख़ुशी का भी प्रतीक है ,इसलिए मक्के की रोटी और सरसों का साग भी वितरित किया जाता है ,कुल मिलाकर ये त्यौहार हमे मिलजुलकर रहने और सदैव अपनी मिट्टी से जुड़े रहने का ,अपनों से लगाव,अपनापन बनाये रखने का संदेश देता है,हमारे भारतवर्ष में इसे पंजाब राज्य और देश के अन्य भागों समेत विदेशों में भी पंजाबियों द्वारा धूमधाम से मनाते हैं,पंजाबियों के लिए लोहड़ी उत्सव खास महत्व रखता है। जिस घर में नई शादी हुई हो या बच्चे का जन्म हुआ हो, उन्हें विशेष तौर पर लोहड़ी की बधाई दी जाती है। घर में नव वधू या बच्चे की पहली लोहड़ी का काफी महत्व होता है। इस दिन विवाहित बहन और बेटियों को घर बुलाया जाता है।हम सभी के घरों में सदैव आपसी रिस्तों की डोर मजबूत बनी रहे,आपसी रिश्तों में प्यार,प्रेम और मिठास बनी रहे,और हम सभी अपनी मातृभूमि के लिए सदैव चिंतन करते रहें, जहाँ भी रहे लेकिन सदैव अपनी मातृभूमि के प्रति अपनापन बना रहे,लोहड़ी माता हम सभी को सुख,स्मृद्धि और खुशहाली दे,इस शुभ पर्व पर आप सभी मित्रों को मेरी तरफ से विशेषकर सिख् समुदाय,पंजाबी समाज और पंजाब के निवासियों को लोहड़ी की बहुत बहुत बधाई।
चन्द्रशेखर पैन्यूली।