देहरादून : शीतकाल में बदरा रूठे-रूठे रहे। इसकी गवाही आंकड़े दे रहे हैं। अक्टूबर से दिसंबर के बीच बारिश सामान्य से करीब 75 फीसद कम हुई है। वहीं, जनवरी में भी उत्तराखंड में सामान्य से 67 फीसद कम बारिश दर्ज की गई। मौसम की इस बेरुखी से कृषि एवं बागवानी के सामने संकट खड़ा हो गया है, जिससे काश्तकारों की चिंता बढ़ना लाजिमी है।
विशेषज्ञों के अनुसार सर्दियों की बारिश रबी की फसल के लिए बेहद लाभदायक है। हालांकि, अभी उम्मीद है कि फरवरी में इंद्रदेव मेहरबान होंगे और फसलों को संजीवनी मिलेगी।
मौसम विभाग के मुताबिक सूबे में जनवरी में 52.2 मिमी सामान्य बारिश होती है। इस लिहाज से देखें तो इस साल इस अवधि में बारिश केवल 17.5 फीसद ही हुई। यानी सामान्य से 67 फीसद कम। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता में कमी आना इसका मुख्य कारण रहा।
मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के मुताबिक शीतकाल के पहले महीने में बारिश सामान्य से 67 फीसद कम हुई। जबकि, इससे पहले के 90 दिनों में भी बारिश करीब 75 फीसद कम रही।
प्राकृति स्रोतों में घटा पानी
राज्य के पर्वतीय जिलों चमोली, रुद्रपयाग, टिहरी, उत्तरकाशी, पौड़ी, चंपावत, बागेश्वर व पिथौरागढ़ में प्राकृतिक जल स्रोतों में पानी जनवरी में ही कम होने लगा है। गरमी आते-आते इसके और कम होने के आसार हैं।
एक से 31 जनवरी तक की स्थिति
जिला———–वास्तविक—–सामान्य——कमी (फीसद में)
अल्मोड़ा———-16.7———-46.2———-(-64)
बागेश्वर———-14.7———-46.2———-(-68)
चमोली————29.3———-57.5———-(-49)
चंपावत———–16.5———-43.5———-(-62)
देहरादून———-22.9———-51.7———-(-56)
पौड़ी—————-9.8———-43.5———-(-77)
टिहरी————15.8———–54.6———-(-71)
हरिद्वार———–4.6———-33.0———-(-86)
नैनीताल———15.2———–46.0———(-67)
पिथौरागढ़——-17.3————50.3——–(-66)
रुद्रप्रयाग——— 22.7———–75.6———(-70)
ऊधमसिंहनगर—10.1———-30.0———-(-66)
उत्तरकाशी——-18.1———–70.9———(-74)