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उत्तराखंड सरकार के कर्ज उतारने के लिए कैम्पा योजना में चंदन लगाएं

Pahado Ki Goonj

चंदन की खेती : कम जमीन में ज्यादा कमाई
देशभर के किसान भाइयों का  करोड़  पहाडोंकीगूँज मेंं स्वागत है आप  करोड़ पति केे

 

ऐसे बने,साथ ही उत्तराखंड खण्ड सरकार देहरादून हरिद्वार कोटद्वार ,रामनगर हल्द्वानी ऊधम सिंह नगर में चन्दन के पौधे 2000 हेक्टेयर में कैम्पा मदद से लगाते हैं प्रति वर्ष लगाते हैं तो15 साल बाद 140 अरब रुपये प्रति वर्ष मिलने सुरु हो जाएंगे वाइल्ड लाइफ  खाली पड़ी जमीन तथा वन निगम के डिपो के चारों ओर चन्दन के साथ नीम के पेड़  लगा कर पर्यावरण को शुद्ध करने में मददगार साबित होगा। उत्तराखंड में मुर्दे जलाने के लिए चंदन की लकड़ी का प्रयोग धनाढ्य वर्ग के साथ साथ सामान्य वर्ग भी कर सकते हैं। उत्तराखंड में कर्मचारियों के वेतन देने के लिए कर्जा नहीं लेना पड़ेगा। अब पहली निर्वाचित सरकार के कर्ज की किस्तें आने वाली है। प्रदेश 15 वर्षों में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने लगे सकता है। जनता को रोजगार मिलने के लिए धन का अभाव नहीं रहेगा।

चंदन की खेती से जुडक़र किसान करोड़पति बन सकते हैं। बशर्तें उन्हें धैर्य के साथ चंदन की खेती करनी होगी। अगर किसान आज चंदन के पौधे लगाते हैं तो 15 साल बाद किसान अपने उत्पादन को बाजार में बेचकर करोड़ों रुपए कमा सकते हैं। देश में लद्दाख और राजस्थान के जैसलमेर को छोडक़र सभी भू-भाग में चंदन की खेती की जा सकती है। दोनों प्रकार के चन्दन की खेती करने से कई प्रकार के रोजगार मिलने लगेगें।

 

चंदन के बीज/ पौधे/मिट्टी
चंदन की खेती के लिए किसानों को सबसे पहले चंदन के बीज या फिर छोटा सा पौधा या लाल चंदन के बीज लेने होंगे जो कि बाजार में उपलब्ध है। चंदन का पेड़ लाल मिट्टी में अच्छी तरह से उगता है। इसके अलावा चट्टानी मिट्टी, पथरीली मिट्टी और चूनेदार मिट्टी में भी ये पेड़ उगाया जाता है। हालांकि गीली मिट्टी और ज्यादा मिनरल्स वाली मिट्टी में ये पेड़ तेजी से नहीं उग पाता।उत्ततराखंड के सभी

फॉरेस्ट दिभिजनो में 10 हेक्टेयर वन भूमि में चन्दन के पेड़ लगाने चाहिए। उन पौधों पर खुसबू कम भी होगी तो भी दस्तकारी के समान बनाने के काम किया जा सकता है। भारत में दूध की कमी को देखते हुए सोयाबीन का दूध बेचकर गाय का दूध बता रहे हैं।उसी प्रकार से यहां के चंदन की लकड़ी का सजावटी सामग्री का निर्माण करने के लिए चन्दन आसकते हैं।

 

 

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चंदन खेती : बुवाई का समय/जलवायु
अप्रैल और मई का महीना चंदन की बुवाई के लिए सबसे अच्छा होता है। पौधे बोने से पहले 2 से 3 बार अच्छी और गहरी जुताई करना जरूरी होता है। जुताई होने के बाद 2x2x2 फीट का गहरा गड्ढ़ा खोदकर उसे कुछ दिनों के लिए सूखने के लिए छोड़ देना चाहिए। अगर आपके पास काफी जगह है तो एक खेत में 30 से 40 सेमी की दूरी पर चंदन के बीजों को बो दें। मानसून के पेड़ में ये पौधे तेजी से बढ़ते हैं, लेकिन गर्मियों में इन्हें सिंचाई की जरूरत होती है। चंदन के पेड़ को 5 से 50 डिग्री सेल्सियस तापमान वाले इलाके में लगाना सही माना जाता है। इसके लिए 7 से 8.5 एचपी वाली मिट्टी उत्तम होती है। एक एकड़ भूमि में औसतन 400 पेड़ लगाए जाते हैं। इसकी खेती के लिए 500 से 625 मिमी वार्षिक औसम बारिश की आवश्यकता होती है।

चंदन की खेती में पौधरोपण

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