टिहरी, पहाडोंकीगूँज,आज का विषय लेते है कोविड काल मे स्कूली शिक्षा मे गरीब मजदूर व गॉव के बच्चो की शिक्षा का स्तर क्या होगा ।
आप जानते ही हो कि करीब डेड साल से स्कूल बिल्कुल बंद है जिसका असर सीधा बच्चो की पढाई पर हो रहा है शहरी क्षेत्रो मे रहने वाले बच्चो की पढाई ऑनलाइन माध्यम से हो रही है परन्तु परेशानियॉ भी आ रही है वही दुसरी तरफ हम बात करते ग्रामीण भारत की तो हमे कई सवाल सामने दिखेगे जो कि लाजमी है । हम पहाडी राज्य उत्तराखण्ड मे है तो बात पहाड के गॉव की शिक्षा के हलात पर करना आवश्यक हो जाता है और हमको उत्तर प्रदेश काल से ही कैसी शिक्षा व्यवास्था मिली है किसी से छुपा नही है परन्तु आज हम उसपर नही जायेगे और बात करना चहाते है पहाडी क्षेत्र की कोविड काल की शिक्षा की तो हम पाते कि कई गरीब परिवारो के पास स्मार्ट फोन की सुविधा नही है तो कंही अविभावको को स्मार्ट फोन की जानकारी का अभाव है और बहुत से गॉव ऐसे है जहॉ मोबाइल नेटर्वक की बडी समस्या है और इन सब समस्याओ से घिरा है बच्चो का भविष्य और अविभावको की को चिंता परन्तु वेबस है और मै तो इस विषय पर बहुत चिंतित हूँ कि जिस शिक्षा पहले से ही बजारीकरण हो चुका है जिसके कारण गरीब की शिक्षा और अमीर की शिक्षा गुणवत्ता अन्तर हो रहा था
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वही ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली मे भी यह अन्तर और बडा हो रहा है जो कि एक चिंता का विषय है हमे आज सोचना होगा कि आज हमे #सब_पढे_सब_बढे की परिकल्पना को धरातल पर कैसे उतारना होगा और गरीब के बच्चो तक सरल प्रणाली मे शिक्षा कैसे पहुँचे यह एक गम्भीर सवाल है । जिस विश्व गुरू भारत ही हम परिकल्पना हम कर रहे है वह तब तक सम्भव ही नही है जबतक गरीब मजदूर वर्ग के बच्चो बेहतर गुणवत्ता के साथ शिक्षा ना मिले मै आज इस लेख के माध्यम से कहना चहाता हूँ कि शिक्षा का बजारीकरण पर बडा वार करके देश मे समान शिक्षा का कानून लया जाना चाहिये या यू कहे कि शिक्षा का राष्ट्रीयकरण किया जाय । उत्तराखण्ड मे कई स्कूल बंद हो गये कारण पलायन परन्तु किसी ने सोचा आखिर पलायन क्यो हुआ है इसका बडा कारण है शिक्षा की गुणवत्ता….
पहाड की बात बात करते है कृषि की तो वह भी दुर हो रही है हम से और कृषि की बात हो तो गॉव और ग्रामीण की बात जरूर होगी परन्तु हमारे पहाडी राज्य मे आजतक किसी भी पहाडी स्कूलो मे कृषि विषय को पाठ्यक्रम मे नही रखा गया है कैसे हम सुढृडता ओर बढेगे ।
कोविड काल मे गरीब के बच्चो को शिक्षा से कैसे जोडा जाय यह भी सोचना होगा हमारी सरकारो और जनप्रतिनिधियो को ।
शीशराम बडोनी
उत्तराखण्ड