देहरादून। उत्तराखंड में पंचायत चुनाव के तीनों चरणों की वोटिंग हो चुकी है और अब इंतजार 21 अक्टूबर का है। इसी दिन पंचायत चुनाव के नतीजे सामने आएंगे। बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों पार्टियों की नजर नतीजों पर टिकी है। पंचायत चुनाव के नतीजे जो भी हों पर बीजेपी और कांग्रेस की अगली तैयारी पिथौरागढ़ के लिए होगी। यहां 5 दिसंबर से पहले विधानसभा उपचुनाव होना है। साल 2017 में पिथौरागढ़ सीट से बीजेपी के सीनियर लीडर प्रकाश पंत विधायक चुने गए थे। वह त्रिवेंद्र रावत सरकार में वित्त मंत्री भी रहे। इसी साल 5 जून को बीमारी की वजह से उनका निधन हो गया। पिथौरागढ़ विधानसभा सीट खाली है और संवैधानिक व्यवस्था के अंतर्गत खाली सीट पर 6 महीने के भीतर चुनाव होना चाहिए। इसलिए पंचायत चुनाव के नतीजों के तुरंत बाद बीजेपी और कांग्रेस का फोकस पिथौरागढ़ उपचुनाव होगा।
पिथौरागढ़ विधानसभा सीट कुमाऊं मंडल की अहम सीट में से एक है। 2017 में ये सीट बीजेपी के खाते में गई पर अब सवाल है कि क्या उपचुनाव में बीजेपी इस सीट को अपने झोली में डाल पाएगी। वहीं कांग्रेस के लिए पिथौरागढ़ सीट साख का सवाल होगी। ऐसे में दोनों पार्टियों को अब उम्मीदवार तय करने हैं। बीजेपी में जहां स्वर्गीय प्रकाश पंत के परिवार से किसी सदस्य को टिकट दिए जाने की चर्चा है, वहीं कुछ स्थानीय बीजेपी नेता भी टिकट की दावेदारी में जुटे हैं। कांग्रेस से 2017 में चुनाव लड़ चुके मयूख महर को फिर टिकट मिल सकता है। मयूख महर का कहना है कि फाइनल फैसला संगठन को करना है।
त्रिवेंद्र रावत सरकार में थराली से विधायक रहे मगनलाल शाह का फरवरी 2018 में निधन हुआ था। इस सीट पर 2018 में ही उपचुनाव में बीजेपी उम्मीदवार और मगनलाल शाह की पत्नी मुन्नी देवी ने जीत दर्ज की थी। पिथौरागढ़ उपचुनाव के लिहाज से दूसरी परीक्षा है। उपचुनाव में अक्सर फैसला मौजूदा सरकार के पक्ष में जाता है, लेकिन कई बार बाजी पलट भी जाती है। ऐसे में सरकार के आधे कार्यकाल के बाद हो रहा उपचुनाव काफी अहम होगा। फिलहाल पिथौरागढ़ में अपना परचम लहराने की तैयारी बीजेपी और कांग्रेस दोनों कर रहे हैं।