आखिर कब सुधरेंगे आपदा ग्रस्त आराकोट बंगाण क्षेत्र के हालात ।
मदन पैन्यूली आराकोट उत्तरकाशी
मोरी ब्लॉक के आराकोट बंगाण क्षेत्र में आई आपदा को दो साल पूरे होने वाले हैं इसके बावजूद आपदा ग्रस्त क्षेत्र में सड़क, पेयजल, दूर संचार समेत अन्य व्यवस्थाएं अभी भी पटरी पर नहीं आ पाई है । 18 अगस्त 2019 को आराकोट बंगाण के कोठीगाड़ क्षेत्र में बादल फटने से भारी तबाही मची थी. जिसमें 22 लोग काल के गाल में समा गए थे. जबकि, चिंवा, टिकोची, आराकोट और सनैल कस्बों में भारी मात्रा में मलबा आ गया था. इस आपदा में कोठीगाड़ पट्टी के माकुड़ी, डगोली, बरनाली, मलाना, गोकुल, धारा, झोटाड़ी, किराणू, जागटा, चिंवा, मौंडा, ब्लावट आदि गांव में कृषि बागवानी तबाह हो गई थी। कास्तकारों की कई हेक्टेयर कृषि भूमि और सेब की फसल आपदा की भेंट चढ़ गई थी। कई मोटर मार्ग, पेयजल योजनाएं, पुल, अस्पताल, स्कूल आदि भी क्षतिग्रस्त हो गए थे राहत और बचाव में लगा एक हेलीकॉप्टर भी 21 अगस्त को हादसे का शिकार हो गया था. जिसमें पायलट समेत तीन लोगों की मौत हो गई थी. जबकि, 23 अगस्त को एक अन्य हेलीकॉप्टर को आपात लैंडिंग करनी पड़ी थी।जिससे वो भी क्षतिग्रस्त हो गई थी. हालांकि, इस आपात लैंड़िंग में कोई जनहानि नहीं हुई , वहीं, आपदा के चलते क्षेत्रवासियों का प्रमुख स्वरोजगार सेब की फसल तबाह हो गई थी । ग्रामीण सड़क मार्ग ध्वस्त होने से सेब को मंडियों तक समय पर नहीं पहुंचा पाए थे । हालांकि जिला प्रशासन ने एक महीने तक आराकोट में कैंप लगा कर वैकल्पिक व्यवस्था सुचारू की थी। इसके बाद क्षेत्र में कोई भी सुरक्षा और निर्माण कार्य न होने पर ग्रामीणों में भारी रोष है , ग्रामीणों का कहना है कि कोरोना काल मे एक ओर सरकार बच्चों पर ऑनलाइन पढ़ाई करवाने की बात करने कह रही है लेकिन दूसरी ओर क्षेत्र में संचार सेवाओं की कनक्टबीटी सही मात्रा में नहीं होने से लोग गांव से बड़े शहर की ओर पलायन करने को मजबूर है। साथ ही जिन लोगों का स्वरोजगार सेव की फसलों पर निर्भर था और आज वह बर्बाद हो चुका है वे भी स्वरोजगार की तलाश में बड़े शहरों की ओर पलायन करने को मजबूर है। चिवां गाँव के जितेंद्र सिंह ने कहा कि करोड़ों खर्च होने के बाद भी सड़कों और पुलों की स्थिति नहीं सुधर पाई है। हल्की बारिश में सड़कों पर वाहनों की आवाजाही खतरे से खाली नहीं है। मुख्य सड़क आराकोट, टिकोची व चिंवा मोटर मार्ग बदहाल है। बदहाल सड़क मार्ग के कारण जिला मुख्यालय से भी आने वाली बसें भी अभी तक चिवां तक नहीं पहुंच पाती हैं। समाजसेवी मनमोहन सिंह चौहान ने कहा है कि ग्रामीणों का शिष्टमंडल पहले भी सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्रियों से मिला था लेकिन सड़क, पुल व पैदल मार्गों आदि की शीघ्र मरम्मत का आश्वासन तो मिला, लेकिन अभी तक समस्याओं का समाधान नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि जल्द ही 22 गांवों के आपदा पीड़ितों की एक बैठक आयोजित होगी, जिसमें 18 अगस्त को काला दिवस मनाने के साथ आगे के आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी। अगर क्षेत्र में सड़क, पेयजल, दूर संचार समेत अन्य व्यवस्थाएं सुचारू नही कि जाती हैं तो सम्पूर्ण क्षेत्र के ग्रामीणों द्वारा आगामी विधानसभा चुनाव 2022 का पूर्ण रूप से बहिष्कार किया जाएगा ।