आज का भगवत चिंतन-संतोष पैन्यूली
यावदर्जयति द्रव्यम् बांधवास्तावदेव हि धर्माधर्मो
सहैवास्तामिहामुत्र न चापर: ।।
मनुष्य जब तक धन कमाता है। तभी तक भाई बन्धु उससे सम्बन्ध रखते है। परन्तु इहलोक और परलोक में केवल धर्म और अधर्म ही सदा उसके साथ रहते है वहाँ दूसरा कोई साथी नहीं है ।
।।जय श्री राधे ।।