HTML tutorial

अब आतंकियों की खैर नहीं, पलक झपकते मार गिराएंगे भारतीय सेना के कमांडो

Pahado Ki Goonj

भारतीय सेना द्वारा द्वारा बीते कुछ समय में आतंकियों के ठिकानों को नष्ट करने के लिए सफलतापूर्वक दो सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया गया। सबसे पहले सेना द्वारा जून 2015 में सेना ने म्यांमार घुसकर उग्रवादियों के ठिकानों को तबाह किया गया। उसके बाद आर्मी ने दूसरी सर्जिकल स्ट्राइक सितंबर 2016 में एलओसी के के पार आतंकियों के लॉन्चपैड्स पर की।

अब भारतीय सेना ने विशेष बलों को और ज्यादा सशक्त बनाने के लिए कमर कस ली है। इसके लंबित पड़ी सेना के आधुनिकीकरण से जुड़ी खरीद-फरोख्त की प्रक्रिया में तेजी लाई जा रही है। एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय ने असाल्ट राइफल्स, स्नाइपर राइफल्स, सामान्य मशीन गन्स, हल्के रॉकेट लॉन्चर्स, शॉटगन्स, पिस्टल्स, नाइट विजन डिवाइस और गोला बारूद जैसे सैन्य हथियारों की खरीद-फरोख्त के उद्देश्य से इनसे संबंधित कंपनियों का चुनाव करने के लिए सात टेंडर्स निकाले हैं।

अखबार के मुताबिक, ‘बीते सप्ताह अमेरिका, इजरायल, स्वीडन समेत कई देशों की कंपनियों से प्रस्ताव आमंत्रित किए गए हैं। खरीद प्रक्रिया को शीघ्र पूरा करने की कोशिश की जा रही है। इसके अलावा, एक अलग परियोजना के तहत, 120 लाइट स्ट्राइक व्हीकल्स की खरीददारी के लिए ट्रायल चल रहे हैं। इन व्हीकल्स को स्पेशल फोर्सेज के लिए हेलिकॉप्टरों के जरिए ले जाया जा सकेगा।

इससे पहले भारत सरकार ने कई आपातकालीन सौदों के तहत थल सेना, नौसेना और वायुसेना के लिए करीब 20 हजार करोड़ रुपये के गोला बारूद और अन्य कलपुर्जों की खरीद को मंजूरी दी है। यह कदम सेनाओं को यह सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया कि कि वो जंग की स्थिति में तुरंत तैयार रहें और कम से कम 10 दिन तक बड़े पैमाने पर ऑपरेशंस चलाने के लिए तैयार रहें।

13 लाख सैनिकों वाली भारतीय सेना में बेहद प्रशिक्षित स्पेशल कमांडो हैं। इनमें केवल 9 पैरा स्पेशल फोर्सेज और 5 पैरा एयरबोर्न बटालियन ही शामिल हैं। हर यूनिट में 620 सैनिक हैं। एक कमांडो की ट्रेनिंग के लिए इन सैनिको को बेहद ही सख्त मानसिक और शारीरीक प्रशिक्षण के दौर से गुजरना पड़ता है। सीमित संख्या में कमांडो होने के कारण हथियारों की खरीदारी की सीमा और लागत भी बेहद कम है। उदाहरण के लिए 9 एमएम की 500 पिस्तौल और 1120 असॉल्ट राइफलों की खरीद के लिए टेंडर निकाले गए हैं।

जून 2015 को म्यांमार में उग्रवादी संगठनों के ठिकानों पर ऑपरेशंस के दौरान हल्के और आधुनिक हथियारों की जरूरत महसूस की गई क्योंकि इस ऑपरेशंस के दौरान, भारतीय कमांडो को भारी-भरकम रॉकेट लॉन्चर्स और आग की लपटें फेंकने वाले फ्लेम थ्रोअर्स के साथ सीमा पार करते हुए घने जंगलों में कई किमी तक अंदर तक जाना पड़ा था।

Next Post

माल्या की 4,200 करोड़ की संपत्ति कुर्क करने की मंजूरी

पिछले साल सितम्बर में ईडी ने मनी लांड्रिंग रोधक कानून के प्रावधानों के तहत आदेश जारी करते हुए विभिन्न संपत्तियों की कुर्की का आदेश दिया है. इनमें फ्लैट, फार्म हाउस, शेयर और एफडी शामिल हैं. ये संपत्तियां माल्या और उनकी सहयोगी कंपनियों के नाम हैं. केंद्रीय जांच एजेंसी ने इससे […]

You May Like