लउत्तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडये ने निजी स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए NCERT की किताबें लागू करने का आदेश देकर सराहनीय कार्य किया है। लेकिन इन स्कूलों के पूंजीपति मालिकों को यह पसंद नहीं आ रहा है आखिर किताबों के कमीशन से हर साल होने वाली लाखों-करोडों रुपए की कमाई को इतनी आसानी से कैसे छोड़ सकते हैं ये लोग?
इसलिए अब कोशिश की जाएगी शिक्षा मंत्री पर राजनीतिक दबाव बनाने की।
यही समय है जब जनता को एकजुट होकर शिक्षा मंत्री का साथ देना होगा। अभी समान शिक्षा प्रणाली की ओर पहला कदम उठाया गया है। अगर इस वक्त हम शिक्षा मंत्री का साथ नहीं देंगे तो भविष्य में कोई भी शिक्षा मंत्री निजी स्कूलों की इस सामूहिक लूट के खिलाफ कार्रवाई करने का साहस नहीं कर पाएगा। हम उम्मीद करते हैं कि भविष्य में इन स्कूलों द्वारा विभिन्न प्रकार की अनावश्यक फीस जमा करवाकर अविभावकों की जेब काटने के मंसूबों पर भी लगाम लगाई जाएगी।
अगर ये स्कूल अविभावकों से फीस लेकर हड़ताल पर जाते हैं तो सड़कों पर उतर कर इनका विरोध किया जाना चाहिए और माननीय उच्च न्यायालय में भी जनहित याचिका दायर की जानी चाहिए। इस तरह के व्यापक जनहित से जुड़े मामलों में माननीय हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट कई बार स्वयं भी संज्ञान ले लेते हैं। जमे रहिए मंत्री जी, जनताआपके साथ हैं।आपको बधाई।