परमार्थ निकेतन में विश्व विख्यात अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का विधिवत उद्घाटन भारत के उप राष्ट्रपति वेेेंकैया नायडू के पावन सान्निध्य में सम्पन्न
विश्व के 94 देशों से आये योग जिज्ञासुुु, योगाचार्य, विभिन्न सम्प्रदायों एवं धर्मों के धर्मगुरूओं की उपस्थिति मंे किया दीप प्रज्वलित
पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा, सुगन्धित इलायची की माला और श्री गणेश जी की मूर्ति भेंट की
वाटर ब्लेसिंग सेरेमनी कर विश्व स्तर पर स्वच्छ जल के संरक्षण का दिया संदेश
स्वच्छ, हरित और शान्त गृह के निर्माण का लिया संकल्प
भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा विश्व के 94 देशों से आये योगियों के लिये भेजे संदेश को सुनाया गया
3 मार्च, ऋषिकेश। विश्व विख्यात अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के तीसरे दिन परमार्थ निकेतन में भारत के उपराष्ट्रपति माननीय वेंकैया नायडू जी, उत्तराखण्ड राज्य के राज्यपाल डाॅ के के पाॅल, मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड सरकार, त्रिवेन्द्र सिंह रावत, केन्द्रीय पर्यटन राज्य मंत्री के जे अल्फोंस, आयुष मंत्री उत्तराखण्ड सरकार हरक सिंह रावत, उत्तराखण्ड विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द अग्रवाल जी, उच्च शिक्षा मंत्री उत्तराखण्ड सरकार श्री धन सिंह रावत, विधायक श्रीमती .ऋतु खंडूरी एवं अध्यात्म जगत से महामण्डलेश्वर असंगानन्द सरस्वती जी महाराज, प्रेम बाबा जी, प्रसिद्ध जीव वैज्ञानिक डाॅ ब्रूस लिप्टन और योगाचार्य गुरूमुख कौर खालसा, आभा सरस्वती, एच एस अरूण, एना फाॅरेस्ट, जोज कैलार्क, मोहन भण्डारी, गुरू शब्द सिंह खालसा, रूजुता दिवाकर, जुल्फ फेबर, भारत शेट्टी, अकीरा वाटामोटो, हिकारू हशिमोटो, राॅबर्टो मिल्लेटी, फ्रांसेस्का कैसिया, मर्ट गूलर, अन्य विशिष्ट अथितियों ने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज एवं अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशक डाॅ साध्वी भगवती सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में दीप प्रज्वलित कर योग महोत्सव का विधिवत उद्घाटन किया।
योग की कला पहले हिमालय के ऋषियों तक ही सीमित थी परन्तु अब दुनिया भर के 300 मिलियन लोगों द्वारा योग का अभ्यास किया जा रहा है। आज विश्व की योग राजधानी ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन में 94 देशों से आये 1500 से अधिक योग जिज्ञासु जो विभिन्न धर्मांे, राष्ट्रों, संस्कृतियों, जातियों और क्षेत्रों के यथा अर्जेंटीना, अफगानिस्तान, अफ्रीका, रूस, इजरायल, पेलस्टाईन, चीन, हांगकांग, सिंगापुर, ताईबान, इन्डोनेशिया, बैंकाक, फिलिस्तीन, ईरान, जापान, केन्या, इटली, अमेरिका, यमन और कई अन्य राष्ट्रों से योग करने हेतु माँ गंगा के तट पर वैश्विक ध्वज के तहत एकत्र हुये है।
माननीय उपराष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडू जी ने कहा, ’’विश्व के योगियों के लिये इस वैश्विक अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के आयोजन हेतु पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज एवं अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशक साध्वी भगवती सरस्वती जी को सहृदय बधाई देता हूँ। मुझे यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि परमार्थ निकेतन में अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के रूप में योग रूपी सूर्य का उदय 20 वर्ष पूर्व हो गया था और आज वह पूरी दुनिया को योग रूपी प्रकाश से प्रकाशित कर रहा है। हमारे देश की पवित्र परम्परा के अनुरूप योग का सच्चा सार ’विविधता में एकता’ के सूत्र में निहित है।’’
उत्तराखण्ड राज्य के राज्यपाल माननीय कृष्ण कांत पाल जी ने कहा, ’’विश्व के 94 देशों के प्रतिभागियों का एक साथ प्रतिभाग करना परमार्थ निकेतन के स्वर्णीम भविष्य की कहानी कह रहा है। अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का उत्तराखण्ड के कैलेंडर मंेेे एक महत्वपूर्ण अध्याय है। मैं कामना करता हूँ कि भविष्य में भी यह महोत्सव आध्यात्मिक आयामों के साथ बढ़ता रहे। सभी योगाचार्यों से निवेदन करता हूँ कि आप योग के राजदूत बनकर जाये और दुनिया भर में योग के साथ प्रेम का संदेश भी प्रसारित करें और पर्यावरण संरक्षण का संदेश प्रसारित करें। ’’
परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष एवं अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के संस्थापक पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा,’’सभी योग राजदूत एक साथ आकर शान्तिपूर्ण परिवार, शान्तिपूर्ण राष्ट्र और शान्तिपूर्ण दुनिया के निर्माण हेतु अपनी शक्ति और सामथ्र्य का उपयोग करे। आप सभी प्रतिभागी भारत की इस प्रचीनत्तम विधा को दुनिया में प्रसारित करने के साथ यहां से वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश और शान्ति की मशाल लेकर आगे बढ़े और दूसरों को भी इस हेतु प्रेरित करें।’’
अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशक डाॅ साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा, ’’ंमाँ गंगा के तट से पूज्य संतों और ऋषियों द्वारा प्रवाहित योग की गंगा ने दुनिया भर के लोगों को स्वास्थ्य, प्रसन्नता और शान्ति प्रदान की है। इस योग की कला ने सीमाओं के बन्धनों को तोड़कर एक नई संस्कृति को जन्म दिया है। सही मायनों में यह स्थान योग का जन्मदाता और अब दुनिया की योग राजधानी हैं।’’
प्रेरणादायी उद्बोधनों के पश्चात सभी योगाचार्यों एवं विश्व के विभिन्न देशों से आये योग राजदूतों को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिये ’योगरूपी वृ़़़क्ष’ मोमटों प्रदान किया गया। तत्पश्चात सभी ने मिलकर विश्व स्तर पर स्वच्छ जल की आपूर्ति हेतु वाटर ब्लेसिंग सेरेमनी सम्पन्न की। पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने दुनिया भर से आये योग प्रतिभागियों को स्वच्छ, हरित और शान्त गृह के निर्माण का संकल्प कराया तथा सभी विशिष्ट अतिथियों को पर्यावरण का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।
योगाचार्यों के विचार-
प्रसिद्ध कुंडलिनी योग शिक्षक और स्वर्ण ब्रिज योग एल ए के संस्थापक गुरूमुख कौर ने कहा ’योग तो आत्मा की खुराक ह,ै योग करना अर्थात आत्मा को पोषित करना।’
रिकवरी 2Û0 के संस्थापक अमेरिका से आये योगाचार्य टाॅमी रोजेन ने कहा, लोगों को व्यसनों से उबारने मंें योग की महत्वपूर्ण भूमिका है यह प्राचीनत्तम के साथ नवीनत्तम प्रणाली भी है। उन्होने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की सफलता का श्रेय पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के अविरल प्रेम; गंगा की तरह पवित्रता और आध्यात्मिक साधन का प्रतिफल है।’
लाॅस एंजिल्स स्काॅलर और योग शिक्षक, किआ मिलर ने कहा, योग वह आवरण है जो हमारे अहम के; मैं के भाव को भंग कर स्व को जागृत करता है। आईये इस महोत्सव के माध्यम से हम अपनी प्रत्येक श्वासों को जागृत कर दूसरों की सेवा हेतु समर्पित करे।
अमेरिका से आयी आयुर्वेदाचार्य, योगाचार्य एवं दीप योग की सह-संस्थापक लौरा प्लम्ब ने कहा, हम सभी इस महोत्सव में आकर यहां के वातावरण, पहाड़, नदियों एवं पूज्य संतों से निरन्तर समर्पित करने; दूसरों को देने के भावों को आत्मसात करे और इस संदेश को विश्व के प्रत्येक कोने- कोने तक पहुंचाये।
नोट-29 वें वार्षिक विश्व विख्यात अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का आयोजन परमार्थ निकेतन, आयुष मंत्रालय- भारत सरकार द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया है।
इस विश्व विख्यात कार्यक्रम की मेजबानी परमार्थ निकेतन द्वारा सन 1999 से निरन्तर की जा रही है। इस अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में विश्व के 20 देशों के 90 से अधिक पूज्य संत एवं योगाचार्य सम्मिलित हो रहे हैं। इस बार अन्तर्राष्ट्रीय योग महापर्व में सम्मिलित होने के लिये सम्पूर्ण विश्व के लगभग 94 देशों के 1500 से अधिक प्रतिभागियों ने सहभाग किया हैै और लगातार दुनिया के विभिन्न देशों के योग जिज्ञासु इस महोत्सव में सहभाग हेतु पंजीयन करा रहे हंै।
अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में पूरे सप्ताह योग की 200 से अधिक कक्षायें प्रातः 4ः00 बजे से रात 9ः30 बजे तक सम्पन्न हो रही हैं जिसमें प्रमुख रूप से अष्टांग योग, आयंगर योग, विन्यास योग, कुण्डलिनी योग, जीवमुक्ति योग, सिन्तोह योग, सोमैटिक योग, हठ योग, राज योग, भक्ति योग, भरत योग, गंगा योग, लीला योग, डीप योग आदि एक सप्ताह तक प्रस्तुत किये जाने वाले 150 योगों के मुख्य प्रारूप हैं। इसके अतिरिक्त ध्यान, मुद्रा, संस्कृतवाचन, आयुर्वेद, रेकी एवं भारतीय दर्शन की भी कक्षायें सम्पन्न हो रही हंै।
आज का विशेष सत्र-
योग सत्र मंे
– प्रातः 4ः00 बजे विश्व प्रसिद्ध योगाचार्य गुरूशब्द सिंह जी ने कुण्डलिनी योग साधना का अभ्यास कराया। बैंगलोर से आये प्रसिद्ध योगाचार्य एच एस अरूण ने अय्यंगर योग का अभ्यास कराया। योगाचार्य भारत शेट्टी ने विन्यास योग, योगाचार्य साध्वी आभा सरस्वती जी ने पारम्परिक हठ योग, चीन के कृष्णमूर्ति मोहनराज ने विन्यास योग, ताई ची, अष्टांग योग और कराटे मास्टर संदीप देसाई ने मार्शल आट्र्स का अभ्यास कराया।
अमेरिका से आयी अमेरिका की अनंद्रा जार्ज ने मंत्र विन्यास की प्रस्तुति दी, कैलिफोर्निया से आये योगाचार्य गुरूशब्द सिंह जी और कैलिफोर्निया से आयी किआ मिलर ने कुण्डलिनी योग साधना का अभ्यास कराया। आॅस्ट्रेलिया के योगाचार्य एना फाॅरेस्ट और अमेरिका के जोज कैलार्को ने फाॅरेस्ट योग का अभ्यास कराया। योगाचार्य आनंद मेहरोत्रा ने सत्व योग का अभ्यास कराया।
दोपहर के सत्र में मुम्बई से आयी प्रसिद्ध आहार विशेषज्ञ रूजुता दिवाकर और योगाचार्य आभा सरस्वती जी ने योग निद्रा, आयरलैंड से आये ब्राउन ने सोमैमेटिक योग का अभ्यास कराया और अन्ंाद्रा जार्ज ने संस्कृत मंत्र उच्चारण का अभ्यास कराया।
विशेष आध्यात्मिक सत्र- सायंकालीन दिव्य गंगा आरती में सभी प्रतिभागियों को पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी का पावन आशीष प्राप्त हुआ। रात्रि भोज के पश्चात ब्राजील के अभिनेता जियो साइनोरेली द्वारा महात्मा गांधीजी के जीवन के बारे में एक बहुत ही अनोखा और विशेष नाटक प्रस्तुत किया गया। तत्पश्चात तुर्की के मर्ट गूलर ने सूफी मेडिटेशन एवं भंवर नृत्य की प्रस्तुत किया इस मनमोहक नृत्य के सभी प्रतिभागि और योगाचार्य झूमने लगे।
परमार्थ निकेतन अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव मंच की सुन्दर झलकियाँ
परमार्थ गुरूकुल ऋषिकुमारों द्वारा योग आसनों की मनमोहक प्रस्तुुति दी।
भारत के महामहिम उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू जी ने कहा, उत्तराखण्ड की वायु,जल और मदृा में योग समाहित है। इस भूमि पर पूज्य स्वामी जी द्वारा आंमत्रित करना यह मेरे लिये सौभाग्य का अवसर है। गंगा के तट पर आकर इस महोत्सव का शुभारम्भ करना मेरे लिये गौरव का विषय है। परमार्थ निकेतन का योग महोत्सव अब सार्वभौमिक बन चुका है, यह महोत्सव, स्वयं को बदलने का अवसर प्रदान कराता है। योग, भारत की ओर से विश्व को समर्पित एक सौगात है। योग का सम्बंध मनुष्य की आध्यात्मिक, भौतिक और भावनात्मक पृष्ठभूमि से है। ’’आजकल सब कुछ आॅन लाइन हो रहा है; जीवन पद्धति आॅन लाइन हो गयी है किन्तु योग हमें लाईन में रहना सिखाता है।’’ ’’योग आपको योग्यता प्रदान करता है।’’ ’’अगर आप योगी बन गये हंै तो मान लो आप निरोगी बन गये।’’योग हमारी दिनचार्य में होना चाहिये। योग का सम्बंध किसी धर्म से नहीं है। ’’शारीरिक और आत्मिक शान्ति का माध्यम है योग।’’भारत में योग को वैज्ञानिक स्वरूप प्राप्त है और यह दुनिया में व्याप्त व्याधियों को दूर करने का एकमात्र उपाय है।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती हमारे देश के संतों एवं महात्माओं के लिये आधुनिक रोल माॅडल है।
उन्होने भारतीय संस्कृति का एक सुन्दर नमूना देकर कहा कि अगर हमारे पास एक रोटी हंै और हम उसे खा लेते हंै तो यह प्रकृति है, फेंक देना अप्राकृतिक है परन्तु उस रोटी को जरूरतमंद को दे देना हमारी संस्कृति है। दुनिया की महान संस्कृतियों में प्रमुख भारतीय संस्कृति, युनानी संस्कृति और मिस्र की संस्कृति रही हंै परन्तु भारतीय संस्कृति के अलावा सभी समाप्त हो गयी क्योंकि भारतीय संस्कृति देने की संस्कृति है; साझेदारी की संस्कृति है। इस संस्कृति पर अनेक बार आक्रमण हुये किन्तु इसने कभी किसी पर आक्रमण नहीं किया जो कि जिओ और जीने दो का बेहतर उदाहरण है और वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धातांें को सिद्ध करता है। उन्होने प्रकृति, संस्कृति और भविष्य के मध्य अटुट सम्बंधों की बात कही। सर्वे भवन्तु सुखिनः और भगवान कृष्ण के भक्तियोग और कर्मयोग का उदाहरण देते हुये भारत की संस्कृति सांप को दूध पिलाने की संस्कृति है भले ही वह बदले में हमें काटे; हमारी संस्कृति प्रकृति को संरक्षित करने की संस्कृति है क्योंकि प्रकृति का संरक्षण ही सुरक्षित भविष्य की नींव है। उन्होने सभी योगियो से वृक्षारोपण कर प्रकृति को संरक्षित करने का आह्वान किया।
केन्द्रीय पर्यटन राज्य मंत्री श्री के जे अल्फोंस जी ने कहा ’’योग के वैश्विक राजदूतों को सम्मानित करने का अवसर मुझे प्राप्त हुआ मैं गर्व महसूस कर रहा हूँ जो कि विश्व के 94 देशोें से भारत की पावन भूमि में आये है। योग संसार को एक करता है; योग बताता है कि हम सब एक है। यदि हम एक हैं तो हमें इसे व्यक्त करना चाहिये और व्यक्त करने का बेहतर माध्यम है योग। हम चाहते है कि योग महोत्सव में आये योगी इस संदेश को पूरी दुनिया में प्रसारित करे। उन्होने सभी को संदेश दिया कि वे महिलाओं, बच्चों, ग्लोबल वार्मिग, हिंसा और भूखमरी की समस्याओं के लिये मिलकर कार्य करे। उन्होने भारत के प्रधानमंत्री जी को योग का सबसे बड़ा राजदूत बताया और कहा कि पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज विश्व को शान्ति का संदेश देने वाले महानपुरूष है।’’
उत्तराखण्ड, राज्यपाल माननीय डाॅ के. के. पाॅल जी ने ’’योग के माध्यम से शान्ति, चिकित्सा और कल्याण के विषय में जानकारी दी। साथ ही अष्टांग योग के सभी आयामों के विषय में सभी को अवगत कराया। उन्होने योग को तनाव के लिये बेहद कारगर बताया। इस अवसर पर स्वामी विवेकानन्द और महर्षि पतंजलि जी को याद किया।’’
मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड सरकार त्रिवेन्द्र सिंह रावत जी ने ’’भारत के पवित्र प्रदेश में सभी का स्वागत करते हुये कहा कि विश्व से आये 94 देशों के योग प्रेमी यहां से सुख, शान्ति और सन्तोष की शिक्षा लेकर जायें। योग की शक्ति के स्वरूप रोगों से मुक्ति मिलती है। भारत की ओर से विश्व को प्रदान की गयी अनमोल निधि है योग। योग से भारत को दुनिया में उत्कृष्ट पहचान मिली है।’’
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा, ’’भक्ति और समर्पण का नाम ही योग है। यह ऐतिहासिक क्षण है जब हम भारत की महान राजनीतिक विभूतियों के साथ महोत्सव का उद्घाटन कर रहे है। उन्होने कहा कि इस पवित्र स्थान पर हमें वाई-फाई नहीं वाय आई (मैं क्यों) की जरूरत है। उन्होने हेप्पी, हेल्थी और हारमनी जीवन पद्धति की बात कहीं।’’