नरेंद्रनगर (टिहरी) स्थित राजदरबार में हुई कपाट खुलने की तिथि घोषित ।
नरेंद्रनगर( टिहरी: 14 फरवरी।विश्व प्रसिद्ध श्री बदरीनाथ धाम के कपाट रविवार 12 मई कोे प्रात: 6 बजे खुलेंगे।आज बसंत पंचमी को राजदरबार नरेंद्र नगर में आयोजित धार्मिक समारोह में पूजा-अर्चना तथा पंचांग गणना के पश्चात विधि-विधान से यात्रा वर्ष 2024 के लिए कपाट खुलने की तिथि की घोषणा की गयी जबकि तेल-कलश यात्रा की भी तिथि 25 अप्रैल को तय हुई।इस दौरान राजमहल में कई विशिष्टजन एव बड़ी संखा में श्रद्धालुगण मौजूद रहे।
टिहरी राजदरबार नरेंद्रनगर में आज प्रातः से कपाट खुलने की तिथि घोषित करने के लिए कार्यक्रम शुरू हआ महाराजा मनुजयेंद्र शाह,सांसद रानी माला राज्यलक्ष्मी शाह सहित श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर(बीकेटीसी) अध्यक्ष अजेंद्र अजय, राजकुमारी शिरजा शाह की उपथिति में पंचांग गणना पश्चात राजपुरोहित आचार्य कृष्ण प्रसाद उनियाल ने तिथि तय कर महाराजा के सम्मुख रखी तत्पश्चात महाराजा मनुजयेंद्र शाह ने कपाट खुलने की तिथि की विधिवत घोषणा की इस दौरान राजमहल परिसर जय बदरी विशाल के उद्घोष से गूंज उठा।
इससे पहले श्री डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत के पदाधिकारी- सदस्यों ने तेल कलश राजदरबार के सुपुर्द किया। इसी कलश में राजमहल से तिलों का तेल पिरोकर 25 अप्रैल तेलकलश यात्रा राजमहल से शुरू होकर कपाट खुलने की तिथि पर भगवान बदरीविशाल के अभिषेक हेतु श्री बदरीनाथ धाम पहुंचेगी।
इस अवसर पर बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि तय होते ही यात्रा की तैयारियों शुरू कर दी गयी है। मंदिर समिति आगामी बजट में यात्री सुविधाओं हेतु पर्याप्त बजट प्रावधान करेगी।उन्होंने श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि तय के अवसर पर सबको बधाई दी है।
कपाट खुलने की तिथि तय होने के अवसर मुकुंदानंद महाराज डिमरी पंचायत अध्यक्ष आशुतोष डिमरी,मंदिर समिति सदस्य वीरेंद्र असवाल, श्रीनिवास पोस्ती, पुष्कर जोशी भास्कर डिमरी,राजपाल जड़धारी, हरीश डिमरी, विनोद डिमरी,सुरेश डिमरी, मुख्यकार्याधिकारी योगेंद्र सिंह, अनुसचिव धर्मस्व रमेश रावत,धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, अधिशासी अभियंता अनिल ध्यानी, निजी सचिव प्रमोद नौटियाल,मीडिया प्रभारी डा.हरीश गौड़, माधव नौटियाल, संजय डिमरी, ज्योतिष डिमरी आदि मौजूद रहे।
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काली हल्दी के इन उपायों से घर में आ सकती है पॉजिटिव एनर्जी
आमतौर पर हल्दी का इस्तेमाल मसाले के रूप में किया जाता है। हल्दी दो रंग की होती है। आज हम काली हल्दी से जुड़े ऐसे उपायों के बारे में बता रहे हैं।
पूजा सिन्हा
हल्दी अपने औषधीय और ज्योतिष गुणों के लिए काफी फेमस है और ये काफी आसानी से हमारे रोजमर्रा के जीवन में घुल-मिल भी जाती है। हल्दी, पीले और काले दो रंगों में आती है। शायद आपको पीली हल्दी के फायदों और उपायों के बारे में जानकारी होगी। इसलिए आज हम आपको काली हल्दी की खूबियों के बारे में बता रहे हैं। इसकी जानकारी सिद्धार्थ एस कुमार, एस्ट्रो न्यूमरोलॉजिस्ट और फाउंडर न्यूमेरोवाणी ने शेयर की है।
काले रंग की हल्दी
काली हल्दी बाहर से दिखने में काले रंग की होती है और अंदर की तरफ से वो हल्के नीले रंग की होती है। भारत के पूर्वोत्तर के राज्यों और मध्यप्रदेश में काली हल्दी ज्यादा मात्रा में उगाई जाती हैं।
काली हल्दी और ग्रह
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आमतौर पर हल्दी पर गुरु देव का आधिपत्य होता हैं, लेकिन काली हल्दी पर गुरु देव के साथ-साथ शनि देव और राहु देव का भी प्रभाव होता हैं। ये प्रभाव हल्दी के काले और नीले रंग की वजह से होता हैं।
अंक ज्योतिष के आधार पर गुरु देव (अंक 3) और शनि देव (अंक 8) को दर्शाते हैं। अंक 3 और 8 दोनों ही इनफिनिटी (अनंत का अर्थ होता है जिसका कोई अंत न हो) के सिंबल से काफी मिलते-जुलते हैं और इस वजह से व्यक्ति को बहुत ज्यादा लाभ देने की शक्ति रखते हैं। अंक 4 भी व्यक्ति को लाभ देने में मदद करता है।
शनि देव व्यक्ति के कर्मफल दाता हैं और गुरु देव ज्ञान हैं, ये दोनों मिलकर व्यक्ति को इस जीवन में किए गए कार्य का कर्म का फल देते हैं।
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काली हल्दी के उपाय
गुरु देव/शुक्र देव की पीड़ा से बचाव
अगर किसी व्यक्ति को जीवन में गुरु देव या शुक्र देव के कारण कोई पीड़ा हो रही हो, तो उन्हें शुक्ल पक्ष के पहले गुरूवार को काली हल्दी का तिलक अपने माथे और गले पर लगाना चाहिए। ऐसा करने से जीवन में पीड़ा से मुक्ति मिलती हैं और जीवन में नई खुशियां आती है।
सोए हुए भाग्य को जगाने के लिए
काली हल्दी पीसकर अष्टगंध (अष्टगंध को 8 तरह की जड़ी-बूटियों जैसे कुंकुम, अगर, कस्तुरी, चन्द्रभाग, त्रिपुरा, गोरोचन, तमाल, जल आदि मिलाकर बनाया जाता है) के साथ मिलाकर गंगाजल से पेस्ट बनाकर व्यक्ति अपने गले और दाहिने हाथ पर तिलक कर सकते हैं।
ऐसा करने से व्यक्ति अपने जीवन में सोए हुए भाग्य को जगा सकता है। काल पुरुष की कुंडली में गुरु देव भाग्य के स्वामी है, वही शनि देव कर्म और लाभ भाव के स्वामी हैं। काली हल्दी दोनों से हमें अच्छा लाभ दिलाती हैं।
घर में पॉजिटिव एनर्जी के लिए
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काली हल्दी को पीसकर उसमें गंगाजल मिलाएं और उस पेस्ट से शुक्ल पक्ष के पहले बुधवार को घर के मुख्य दरवाजे पर स्वस्तिक बनाएं। ऐसा करने से घर में सकरात्मक ऊर्जा का वास होता है। साथ ही, घर के सदस्यों में आपसी सामंजस्य भी बनता है।
स्वास्थ्य लाभ के लिए
अगर कोई व्यक्ति बार-बार बीमार हो रहा हो या बहुत मेहनत के बाद भी बीमारी का पता नहीं लग पा रहा हो। ऐसे व्यक्ति को काली हल्दी के 27 दाने लेकर और उनको एक पीले धागे में पिरोकर माला के रूप में धारण करना है। ऐसा करने से व्यक्ति को स्वस्थ्य लाभ होता है। ये ऊपर व्यक्ति को नजर दोष और ऊपरी बाधा से भी बचने में काफी मददगार होती हैं।
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आर्थिक लाभ के लिए
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शुक्ल पक्ष के चतुर्दशी को 7 काली हल्दी एक पीले कपड़े में बांधकर अपने पूजा स्थान पर रखें। फिर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के मंत्र से उसकी पूजा करें। पूजा के उपरांत अगले दिन उसको तिजोरी में रख दें। ऐसा करने से बरकत बनी रहेगी और दिन दूनी रात चौगुनी रफ्तार से आर्थिक लाभ मिलेगा।
ज्योतिष उपाय के साथ-साथ काली हल्दी के औषिधीय गुण भी है। माइग्रेन, सांसों से जुड़ी समस्याओं और दर्द में आराम पाने के लिए काली हल्दी का सेवन किया जा सकता है।
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