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अपनी-अपनी सुख सुविधा के लिए 6मार्च को होलिका दहन में करें निम्न उपाय 8 मार्च को वसंतोत्सव

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अपनी-अपनी सुख के लिए 6मार्च को होलिका दहन में करें निम्न उपाय 8 मार्च को वसंतोत्सव

6 मार्च को होलिका दहन 8 मार्च को वसंतोत्सव-

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देहरादून, भारत को  विश्व में भारत  माता के नाम से जाना जाता है  य़ह  इकलौता देश है जिसको  माँ का श्रेष्ठ दर्जा प्राप्त है  ।वह हमारे देश में  प्रत्येक व्यक्ति को संस्कार बनाने की परंपराएं देश की संस्कृति  में रची बसी है। हमारे वेद  ,पुराण, शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान के नाम  जपने, उनके प्रति आस्था रखने वाले लोगों को श्रीकृष्ण भगवान रक्षा करते हैं। होलिका दहन करने के त्योहार के  पीछे भी हमे सदैव  संस्कार  बान रहने की शिक्षा देता है  ।इस वर्ष होली  नक्षत्रों को लेकर  मनाया इस  प्रकार से  है काली हल्दी, काले चावल के लिए अग्रिम धन राशि प्रदान करने की कृपा  कीजिएगा patam no 9456334283 
इस वर्ष फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा 15 मंगलवार को 28 घटी 41 पल सायंकाल 5:39 पर समाप्त हो रही है तथा इसी दिन सूर्यास्त 5:55 पर हो रहा है मंगलवार को पूर्णिमा सूर्यास्त काल में नहीं है, तथा पूर्व दिन सोमवार को चतुर्दशी तिथि 24 घटी 23 पल दिन में 3:56 पर समाप्त होकर पूर्णिमा तिथि लग रही है इसी दिन रात्रि पर्यन्त भद्रा है। फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा मंगलवार को प्रदोष काल में पूर्णिमा के न मिलने के कारण पूर्व दिन सोमवार दिनांक 6/ 3 /2023 को रात्रि भद्रापुच्छ में 12:23 से रात 1:35 के मध्य अर्थात तीन घटी 72 मिनट में होलिका का दहन करना चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार “भद्रामुखं वर्जयित्वा”भद्रा का मुख छोड़कर पुच्छ में “तिस्र:पुच्छे तु नाडिका” वचनानुसार रात्रि 12:23 से 1:35 तक भद्रा पुच्छ में “पुच्छे ध्रुवो जय:” होलिका दहन होना चाहिए क्योंकि प्रतिपदा तिथि को, भद्रा में, और दिन में होलिका के दहन का विधान नहीं है। पूर्णिमा की रात्रि में प्रदोष काल में ही होलिका दहन का विधान प्राप्त होता है किंतु इस वर्ष विषम स्थिति आ जाने के कारण भद्रा पुच्छ में भी होलिका दहन किया जा सकता है अतः शास्त्रीय वचन का पालन करते हुए भद्रा पुच्छ में ही होलिका दहन करना चाहिए।
“प्रदोष व्यापिनी ग्राह्या पौर्णिमा फाल्गुनी सदा।
तस्यां भद्रामुखं त्यक्तवा पूज्या होला निशामुखे।।”
प्रतिपद्भूत भद्रासु याऽर्चिता होलिका दिशा।
संवत्सरं च तद् राष्ट्रं पुरं दहति साद्भुतम्।।”
आदि प्रमाणों के अनुसार 6/3/ 2023 सोमवार रात्रि 12: 23 से 1:35 के मध्य होलिका दहन करना चाहिए।
दूसरे दिन 7/3 /2023 को मंगलवार को पूर्णिमा है अतः पूर्णिमा के दिन होलिका नहीं खिलाना चाहिए शुद्ध प्रतिपदा तिथि में ही होलिकोत्सव बसंतोत्सव मनाना चाहिए।
अतः 6 तारीख की रात्रि में होलिका दहन होगा तथा 8 तारीख को होली खेली और मनाई जाएगी।

 

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देहरादून, भारत को  विश्व में भारत  माता के नाम से जाना जाता है  य़ह  इकलौता देश है जिसको  माँ का श्रेष्ठ दर्जा प्राप्त है  ।वह हमारे देश में  प्रत्येक व्यक्ति को संस्कार बनाने की परंपराएं देश की संस्कृति  में रची बसी है। हमारे वेद  ,पुराण, शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान के नाम  जपने, उनके प्रति आस्था रखने वाले लोगों को श्रीकृष्ण भगवान रक्षा करते हैं। होलिका दहन करने के त्योहार के  पीछे भी हमे सदैव  संस्कार  बान रहने की शिक्षा देता है  ।इस वर्ष होली  नक्षत्रों को लेकर  मनाया इस  प्रकार से  है

 काली हल्दी, काले चावल के लिए अग्रिम धन राशि प्रदान करने की कृपा  कीजिएगा patam no 9456334283
इस वर्ष फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा 15 मंगलवार को 28 घटी 41 पल सायंकाल 5:39 पर समाप्त हो रही है तथा इसी दिन सूर्यास्त 5:55 पर हो रहा है मंगलवार को पूर्णिमा सूर्यास्त काल में नहीं है, तथा पूर्व दिन सोमवार को चतुर्दशी तिथि 24 घटी 23 पल दिन में 3:56 पर समाप्त होकर पूर्णिमा तिथि लग रही है इसी दिन रात्रि पर्यन्त भद्रा है। फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा मंगलवार को प्रदोष काल में पूर्णिमा के न मिलने के कारण पूर्व दिन सोमवार दिनांक 6/ 3 /2023 को रात्रि भद्रापुच्छ में 12:23 से रात 1:35 के मध्य अर्थात तीन घटी 72 मिनट में होलिका का दहन करना चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार “भद्रामुखं वर्जयित्वा”भद्रा का मुख छोड़कर पुच्छ में “तिस्र:पुच्छे तु नाडिका” वचनानुसार रात्रि 12:23 से 1:35 तक भद्रा पुच्छ में “पुच्छे ध्रुवो जय:” होलिका दहन होना चाहिए क्योंकि प्रतिपदा तिथि को, भद्रा में, और दिन में होलिका के दहन का विधान नहीं है। पूर्णिमा की रात्रि में प्रदोष काल में ही होलिका दहन का विधान प्राप्त होता है किंतु इस वर्ष विषम स्थिति आ जाने के कारण भद्रा पुच्छ में भी होलिका दहन किया जा सकता है अतः शास्त्रीय वचन का पालन करते हुए भद्रा पुच्छ में ही होलिका दहन करना चाहिए।
“प्रदोष व्यापिनी ग्राह्या पौर्णिमा फाल्गुनी सदा।
तस्यां भद्रामुखं त्यक्तवा पूज्या होला निशामुखे।।”
प्रतिपद्भूत भद्रासु याऽर्चिता होलिका दिशा।
संवत्सरं च तद् राष्ट्रं पुरं दहति साद्भुतम्।।”
आदि प्रमाणों के अनुसार 6/3/ 2023 सोमवार रात्रि 12: 23 से 1:35 के मध्य होलिका दहन करना चाहिए।
दूसरे दिन 7/3 /2023 को मंगलवार को पूर्णिमा है अतः पूर्णिमा के दिन होलिका नहीं खिलाना चाहिए शुद्ध प्रतिपदा तिथि में ही होलिकोत्सव बसंतोत्सव मनाना चाहिए।
अतः 6 तारीख की रात्रि में होलिका दहन होगा तथा 8 तारीख को होली खेली और मनाई जाएगी।
होलिका दहन पर इन उपायों को करने से जीवन में आती है सुख-समृद्धि, मिलती है लक्ष्मी की कृपा। हिंदू धर्म में खेली जाने वाली जिस होली का इंतजार पूरे साल बना रहता है उसकी शुरुआत होलिका दहन की पूजा से होती है. पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष की भांंति इस साल भी होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि पर होगा. इस साल यह पावन तिथि 07 मार्च 2023,मंगलवार को पड़ेगी. मान्यता है कि इसी पावन तिथि पर होलिका जिसे अग्नि से न जलने का आशीर्वाद प्राप्त था, भगवान श्री विष्णु के भक्त प्रहलाद को लेकर जलती लकड़यों में जाकर बैठ गई थी. इसके बाद श्री हरि की कृपा से प्रहलाद बच गए लेकिन वह जल कर राख हो गई थी. आइए होलिका दहन से पहले और उसके बाद में किए जाने वाले सरल एवं प्रभावी उपाय और उनके पीछे कारणों के बारे में विस्तार से जानते हैं.
होलिका दहन पर करें उबटन का महाउपाय

हिंदू धर्म में होलिका दहन की रात को पूरे शरीर में उबटन लगाए जाने की परंपरा है. उबटन की यह परंपरा सिर्फ धार्मिक ही नहीं है, बल्कि इसके पीछे ज्योतिषीय कारण भी शामिल है. ज्योतिष के अनुसार यदि होलिका दहन से पहले उबटन को लगाने के बाद निकली मैल को होलिका की आग में डाल दिया जाए तो उस उबटन के साथ उसके जीवन से जुड़ी सारी बलाएं और नकारात्मक ऊर्जा जलकर राख हो जाती हैं. यदि आपके घर में किसी सदस्य का शरीर हमेशा अस्वस्थ रहता हो या फिर लंबे समय से वह किसी शारीरिक पीड़ा से गुजर रहा हो तो उसे शीघ्र ही स्वास्थ्य लाभ पाने के लिए होलिका दहन की रात काली सरसों से बने उबटन को लगाकर आग में डाल देना चाहिए. मान्यता है कि इस उपाय को करने पर व्यक्ति के जीवन से जुड़े सारे रोग-दोष दूर हो जाते हैं और उसकी सेहत हमेशा अच्छी बनी रहती है.

2. होलिका दहन की कितनी बार परिक्रमा करनी चाहिए

हिंदू धर्म में किसी भी देवी-देवता की पूजा करने के बाद उसकी परिक्रमा का विधान है. होलिका दहन की पूजा करने के बाद भी उसकी परिक्रमा जरूर करनी चाहिए. हिंदू मान्यता के अनुसार होलिका दहन के समय उसकी सात परिक्रमा करने पर इंसान को जीवन से जुड़े सातों सुख की प्राप्ति होती है.

3. होलिका दहन पर करें काली सरसों का अचूक उपाय

यदि आपको हर समय जाने-अनजाने शत्रुओं का भय बना रहता है या फिर आपको कोई बड़ी चिंता ने परेशान कर रखा है तो उससे मुक्ति पाने के लिए होलिका दहन की रात काली सरसों, काला तिल, लौंग और सूखा नारियल को लेकर अपने सिर पर सात बार वार लें और उसके बाद उसे जलती हुई जलती होलिका में डाल दें. मान्यता है कि इस उपाय को करने पर जीवन से जुड़ी सभी परेशानियां पलक झपकते दूर हो जाती हैं.

4. होलिका दहन की रात करें श्रीयंत्र की साधना

फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर न सिर्फ भगवान श्री विष्णु बल्कि माता लक्ष्मी की पूजा का भी बहुत ज्यादा महत्व है. ऐसे में जीवन से जुड़ी आर्थिक दिक्कत को दूर करने के लिए होलिका दहन की रात को माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए श्रीयंत्र की विधि-विधान से साधना और उनके मंत्रों का जप करना चाहिए.
ज़न साधारण के लिए उनकी रूचि पर विचार विमर्श करने के बाद  लिखा गया है  कोई  वैज्ञानिक  प्रमाण नहीं है 
 

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