जोशीमठ में बदरी गाय के संरक्षण के लिए गौशाला की शुरूआत ।
भगवान बदरीनाथ एवं भगवान नृसंह के अभिषेक मे किया जाता है बदरी गाय के दूध का उपयोग ।
जोशीमठ । पहाड़ो की गूंज ।
बदरी गाय के संरक्षण व संवर्धन के लिए स्थानीय लोगों ने की नई पहल | गौंख में गो पूजन कर गौशाला की शुरूआत की। विलुप्त होती बदरी गाय के सरक्षण के लिए स्थानीय देव पुजाई समिति एंव गौंख विकास समिति के संयुक्त तत्वाधान मे बदरी गाय” स्थानीय गाय” के सरंक्षण एवं सवंर्धन का संकल्प लिया गया। नगर पालिका क्षेत्र से लगा गौखं गाँव जहाँ नगर पालिका जोशीमठ के विभिन्न वार्डो के निवासियों की की सैकडो नाली भूमि है। लेकिन सडक संपर्क नही होने तथा जंगली जानवरो के आंतक के कारण लोगो ने विवश होकर खेती से मुँह मोड दिया था। गौंख गांव आलू, राजमा, चैलाई जैसी नगदी फसलो के लिए विख्यात रहा है। लेकिन अब लोगो का आवागमन भी बेहद कम हो गया है।
गौंख से जुडे स्थानीय लोगो ने एक नई पहल करते हुए गौंख मे गौ सेवा सदन की स्थापना की परिकल्पना की। और गौखं विकास समिति का गठन किया। स्थानीय देव पुजाई समिति एंव गौखं विकास समिति ने गौ सेवा सदन की वकायदा शुरूवात की। गौख मे भब्य सुदंर कांड पाठ का आयोजन किया गया। इससे
पूर्व बदरी गाय का पूजन हुआ।
देव पूजाई समिति एंव गौंख विकास समिति का मानना है कि यहाॅ बदरी गायों का पालन पोषण के साथ संवर्धन किया जाऐगा। क्योकि परंपरानुसार भगवान बदरीनाथ एव भगवान नृसंह के अभिषेक मे बदरी गाय की दूध का ही प्रयोग किया जाता है। इसीलिए बदरी गाय के संवरक्षण एवं सवर्धन के लिए यह प्रयास किया गया है । गौंख मे स्थानीय लोगो की हुई बैठक में तय हुआ कि शीघ्र ही बदरी गाय के संरक्षण एंव संवर्धन के लिए एक कमेटी का गठन किया जाऐगा। और गौशाला का निर्माण कर पहले चरण में ब्लाक जोशीमठ की बदरी गायों को पालन / पोषण किया जाऐगा।
बदरी गाय के सरक्षण एव सवंर्धन के संकल्प प्रक्रिया से पूर्व हुए सुंदरकांड पाठ मे महिला मंगल दल , नृसिहं मंदिर, मारवाडी, सहधार, के साथ विभिन्न वार्डो की कीर्तन मंडली के अलावा देव पुजाई समिति के सचिव उमेश सती, गौंख विकास समिति के अध्यक्ष अनिल नंबूरी, भरत प्रसाद सती, विक्रम सिंह कवंण, देवेन्द्र परमार, आंनद पवार, सुरेन्द सिंह, उत्तम सिंह पंवार, विराज विष्ट, विनोदभटट,एनटीपीसी के एजीएम सिविल – राजेन्द्र कुमार, आदि मौजूद रहे ।
पहाड़ी गाय उत्तराखंड के गांवों की कृषि एवं आर्थिकी से सीधे जुड़ी है। इसका मुख्य आहार हरी एवं सूखी घास है। जबकि, जर्सी, होल्सटिन समेत अन्य नस्ल की गाय दाना, खल आदि पर निर्भर हैं। हालांकि, दूध का मूल्य सभी गायों का एक समान है। उत्तराखंड सरकार का पशुपालन विभाग बद्री गाय के संरक्षण एवं विकास पर विशेष ध्यान दे रही है। इसकी शुरुआत 2019 में श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति कर्मचारियों के अध्यक्ष बिजेंद्र सिह बिष्ट के प्रयास से सुरु की गईं थीं। अब सरकारी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि बदरी गाय का संरक्षण किया जाय। इसके लिए 1 करोड़ का प्रावधान किया गया है।