वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को पूरी उम्मीद है कि भारत हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के निर्यात की अनुमति दे देगा। डोनाल्ड ट्रंप ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि अगर भारत हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के ऑर्डर की आपूर्ति करने को मंजूरी नहीं देता है, तो हमें बड़ी हैरानी होगी। अगर वह मंजूरी देते हैं, तो हम इसकी सराहना करेंगे, अगर ऐसा नहीं होता है तब भी कोई बात नहीं। भारत हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा मलेरिया में उपयोगी होती है, जिसका भारत प्रमुख निर्यातक रहा है। कोरोना वायरस की अभी तक कोई दवा ईजाद नहीं हुई है, लेकिन हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन ऐसे मरीजों को दी जा रही है। कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों में मलेरिया की दवाई को मददगार माना जा रहा है. भारत से राष्ट्रपति ट्रंप ने पीएम मोदी को फोन कर मलेरिया की दवाई यानी हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन भेजने का अनुरोध किया था. भारत ने इस दवाई के निर्यात पर प्रतिबंध लगाकर रखा है क्योंकि घरेलू खपत ही बहुत ज्यादा है. सोमवार को राष्ट्रपति ट्रंप ने यहां तक कह दिया कि अगर भारत ने दवाई नहीं भेजी तो अमरीका जवाबी कार्रवाई कर सकता है.
मंगलवार को विदेश मंत्रालय ने इस बारे में बयान जारी किया है और स्थिति स्पष्ट की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा,कि श्कुछ मीडिया संस्थान कोविड-19 से जुड़ी दवाओं और फार्मास्युटिकल्स को लेकर बेवजह विवाद खड़ा कर रहे हैं। किसी भी जिम्मेदार सरकार की तरह हम पहले यह सुनिश्चित करेंगे कि हमारे पास अपने लोगों के लिए दवाओं का पर्याप्त स्टॉक हो. इस लिहाज से कुछ दवाओं के निर्यात को रोकने के लिए अस्थायी कदम उठाए गए थे। इसके साथ ही अलग-अलग परिस्थितियों में संभावित जरूरतों को लेकर भी विचार किया गया। जरूरी दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता की पुष्टि होने के बाद रोक हटा दी गई है। सोमवार को डीजीएफटी ने 14 दवाओं पर लगी रोक हटाने की जानकारी दी है पैरासीटामॉल और हाइड्रोक्लोरोक्वीन को लाइसेंस की कैटिगरी में रखा जाएगा और उनकी मांग पर लगातार नजर रखी जाएगी हालांकि स्टॉक की स्थिति देखते हुए हमारी कंपनियां अपने कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक़ निर्यात कर सकती हैं।
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी की गंभीरता को देखते हुए भारत ने हमेशा यह सुनिश्चित किया है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मजबूत एकजुटता और सहयोग दिखाना चाहिए। इस दृष्टि से अन्य देशों के नागरिकों की निकासी को लेकर भी निर्देश जारी किए गए हैं। महामारी के मानवीय पहलुओं के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया है कि भारत अपने सभी पड़ोसी देशों, जो हमारी क्षमताओं पर निर्भर हैं। में उचित मात्रा में पैरासीटामॉल और एचसीक्यू के लाइसेंस देगा। महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए कुछ देशों को भी हम इन जरूरी दवाओं की आपूर्ति करेंगे। इसलिए हम इस संबंध में किसी भी तरह की अटकलें या राजनीति को खारिज करेंगे।